राजस्थान डिस्कॉम ने किसानों को रबी सीजन में 4 ब्लॉक में 6-6 घंटे बिजली देने का फैसला लिया है। लेकिन 2 ब्लॉक रात के रखे हैं। जिसमें रात 10 से सुबह 4 और रात 11 से सुबह 5 बजे तक किसानों को सर्द रातों में खेतों में पानी देने जाना होगा। इससे किसानों में आक्रोश फैल गया है। किसान जगह-जगह आंदोलन पर उतर आए हैं। प्रदेश में रबी सीजन में बिजली की पीक डिमांड करीब 15500 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। जो आने वाले दिनों में 17750 मेगावाट के पार तक पहुंच सकती है। फिलहाल दीपावली के बाद लगभग तीन हफ्तों में बिजली की मांग करीब 4500 मेगावाट तक बढ़ गई है, जो बड़ी चिन्ता का कारण है। राजस्थान में बिजली की उपलब्धता करीब 12500 मेगावाट ही है।
भारी बिजली संकट के कारण बड़े स्तर पर एक्सचेंज से बिजली की खरीद की जा रही है। लेकिन ना तो सभी 33 जिलों में किसानों को दिन में बिजली देने की सरकार की घोषणा सिरे चढ़ पा रही है। ना ही साल 2021-22 की वह बजट घोषणा पूरी हो सकी है, जिसमें कृषि के लिए अलग से बिजली कंपनी बनाने की बात सीएम ने कही थी।
अधिकतम डिमांड से कम बिजली, तो कैसे किसानों को दिन में देंगे बिजली
24 अक्टूबर को दीपावली के दिन बिजली की अधिकतम डिमांड 11744 मेगावाट और 25 अक्टूबर को 10988 मेगावाट रही थी। रबी का फसली सीजन आते ही 1 नवंबर को बिजली की डिमांड 14072 पर पहुंच गई। जो 12 नवंबर तक बढ़ते-बढ़ते 15500 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। राजस्थान में बिजली कंपनियों के लिए किसानों को दिन में बिजली देना सबसे बड़ी चुनौती है। प्रदेश में बिजली की कुल उपलब्धता 12500 मेगावाट के करीब है। दिन में बिजली की डिमांड ज्यादा बढ़ने के कारण करीब 4 करोड़ यूनिट बिजली की खरीद एक्सचेंज और दूसरे सोर्सेज से की जा रही है।
लोड शेडिंग और अघोषित बिजली कटौती
बिजली की पूरी सप्लाई तो देना दूर बिजली कटौती की जा रही है। जयपुर डिस्कॉम एरिया में ग्रामीण एरिया के 57 फीडर, अजमेर डिस्कॉम एरिया में 54 फीडर, जोधपुर डिस्कॉम एरिया में 78 फीडर से लोड शेडिंग कर बिजली कटौती शुरू कर दी गई है। रोस्टर के आधार पर फीडर चलाए जा रहे हैं। किसान लगातार दिन में बिजली की डिमांड कर रहे हैं। ताकि फसलों में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल और पम्प चलाकर पानी दिया जा सके। ग्रामीण,कस्बाई इलाकों में 30 मिनट तक बिजली कटौती बताई जा रही है। लेकिन 2 से 3 घंटे तक बिजली सप्लाई नहीं मिल पा रही है। कहीं अनप्लांड शटडाउन, कहीं फाल्ट तो कहीं अघोषित कटौती के नाम पर पावर कट से ग्रामीण उपभोक्ताओं को दो-चार होना पड़ रहा है।
पूरे प्रदेश में किसानों को थ्री फेज बिजली देना चुनौती
किसानों को दिन में थ्री फेज बिजली देने की बात गहलोत सरकार पिछले 2 साल से कर रही है। लेकिन सिरे नहीं चढ़ पा रही है। अलग से कृषि बिजली कंपनी बनाने और किसानों के लिए अलग फीडर लाइन बिछाने पर काम तेजी से आगे नहीं बढ़ पाया। अब रबी सीजन में बिजली की जबरदस्त डिमांड है। किसान, इंडस्ट्री, घरेलू उपभोक्ताओं को सप्लाई करने के लिए पूरी बिजली ही उपलब्ध नहीं है। तो किसानों को दिन में कैसे पूरी बिजली सप्लाई दी जाएगी यह चिन्ता का विषय बन गया है। लेकिन बिजली कंपनियों के अधिकारी अपनी वर्कशीट को बेहतर करके सरकार के सामने पेश करने में जुटे हैं।
रबी सीजन में चार में से दो ब्लॉक में रात में सिंचाई की बिजली
इसकी बानगी राजस्थान डिस्कॉम का हालिया फैसला है, जिसमें तीनों बिजली कंपनियों JVVNL, AVVNL, JDVVNL के जरिए किसानों को रबी सीजन में चार ब्लॉक में रोजाना 6 घंटे बिजली देने का फैसला लिया गया है। बिजली कंपनियों के पास पीक डिमांड के मुताबिक पूरी बिजली ही नहीं है। इस कारण किसानों के साथ किया गया वादा शुरूआत में ही फेल होता नजर आ रहा है। क्योंकि दिन में दो ब्लॉक और रात में दो ब्लॉक रखे गए हैं। रबी सीजन में सर्दी और शीतलहर का प्रकोप रहता है। किसान को रात में खेत में सर्दी में पानी देने जाना पड़ता है। जिससे हर बार हादसे होते हैं। कई किसानों की मौत तक हो जाती है। इनमें शीतलहर, सर्पदंश (सांप डसने), जहरीले कीड़े, जानवर के हमले की घटनाएं शामिल होती हैं।
किसानों ने बाड़मेर के शिव उपखंड में भिंयाड़ डिस्कॉम ऑफिस घेरा
दो दिन पहले शुक्रवार को बाड़मेर जिले के शिव उपखंड के भिंयाड़ डिस्कॉम ऑफिस पर कृषि कनेक्शन पर 6 घंटे बिजली सप्लाई देने और अघोषित बिजली कटौती बंद करने की मांग को लेकर किसानों ने बीजेपी पदाधिकारियों के साथ घेराव किया। भियाड़ सहायक अभियंता कैलाश चौधरी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। किसानों ने 6 घंटे लगातार बिजली सप्लाई देने और बार-बार बिजली कटौती नहीं करने, पर्याप्त वोल्टेज की बिजली देने की मांग की।
रबी सीजन में वोल्टेज की कमी के कारण सिंचाई कार्य प्रभावित होने, वोल्टेज की कमी से पम्प और ट्रांसफार्मर जलने की शिकायत की। फिल्टर पर एक समान लोड रखने की मांग रखी गई। ट्रांसफार्मर जलने पर शिकायत के 2 महीने बाद भी नहीं बदलने से बिजली सप्लाई ठप होने की भी परेशानी बताई। शिव उपखंड मुख्यालय पर 132 केवी जीएसएस का भाजपा नेता स्वरूप सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने जीएसएस का मुख्य गेट बंद कर प्रदर्शन किया। इस दौरान 2 घंटे तक पूरे शिव उपखंड क्षेत्र की विद्युत सप्लाई बंद रही। प्रदर्शन ममें धन सिंह मोसेरी, कान सिंह राजगुरु, हिम्मत कुमार गोदारा, भोम सिंह बलाई, नरेन्द्र सिह अध्यक्ष जेएनवीयू जोधपुर, गजेंद्र चौधरी , पृथ्वी सिंह, भूरचन्द जैन, धर्माराम चौधरी, छगनलाल बोड़ना, पहलादराम जाणी, तुलसी दास गर्ग, लक्ष्मण मुंढ सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
किसानों में फैला आक्रोश
4 दिन पहले अजमेर जिले के किसानों ने रात में सिंचाई के लिए बिजली देने पर मसूदा उपखंड क्षेत्र शेरगढ़ के ग्रिड सब स्टेशन (GSS) पर ताला जड़ दिया। साथ ही दिन के समय में सिंचाई के लिए बिजली देने की मांग की। ऐसा नहीं करने पर आन्दोलन की चेतावनी दी। किसानों ने कहा बिजली विभाग ने खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए एक सप्ताह दिन और एक सप्ताह रात में बिजली सप्लाई का फैसला लिया है। लेकिन खेतों में रात को 10 बजे से सुबह 4 बजे तक बिजली दने से काफी चिंता है । रात के समय सर्दी पड़ने लगी है, सेहत को लेकर खासी परेशानियां इस दौरान आती हैं। रात में अंधेरा होने के साथ-साथ जहरीले और हिंसक जानवर-कीड़े दिखाई नहीं देने से जान का खतरा और बढ़ जाएगा। खेतों में पिलाई का काम करना भी मुश्किल है। रात में बुजुर्ग और महिलाएं खेत पर जाने से कतरा रहे हैं। बेरोजगार युवा पढ़ाई में लगे हैं।
15 लाख कृषि कनेक्शन, सर्द रात में 6-6 घंटे किसान को खेत में पानी देना होगा
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (आरयूवीएनएल) ने तीनों डिस्कॉम को इसी आधार पर बिजली सप्लाई करने को कहा है। प्रदेश में करीब 15 लाख कृषि कनेक्शन हैं। अभी तक किसानों को कुल 3 ब्लॉक में 5-5 घंटे ही बिजली सप्लाई की जा रही थी। 6-6 घंटे के 4 ब्लॉक तय कर ज्यादा बिजली सप्लाई का दावा किया गया है। लेकिन दिन में दो ही ब्लॉक हैं। रात 10 से सुबह 4 और रात 11 से सुबह 5 बजे के दो ब्लॉक रखे गए हैं। अलग-अलग एरिया वाइज ये बिजली सप्लाई होगी। अन्नदाता को सर्दी की रात में जागकर खेतों में सिंचाई का पानी देना होगा।
जयपुर डिस्कॉम
सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक पहला ब्लॉक
सुबह 10.30 से शाम 4.30 बजे तक दूसरा ब्लॉक
रात 10 से सुबह 4 बजे तक तीसरा ब्लॉक
रात 11 से सुबह 5 बजे तक चौथा ब्लॉक
अजमेर डिस्कॉम
सुबह 9.15 से दोपहर 3.15 बजे तक पहला ब्लॉक
सुबह 10.45 से शाम 4.45 बजे तक दूसरा ब्लॉक
रात 10 से सुबह 4 बजे तक तीसरा ब्लॉक
रात 11 से सुबह 5 बजे तक चौथा ब्लॉक
जोधपुर डिस्कॉम
सुबह 9.30 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक पहला ब्लॉक
सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक दूसरा ब्लॉक
रात 10 से सुबह 4 बजे तक तीसरा ब्लॉक
रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक चौथा ब्लॉक
CM गहलोत की बजट घोषणा और फैसलों पर इम्प्लीमेंटेशन पेंडिंग
साल 2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों को दिन में थ्री फेज बिजली उपलब्ध करवाने का महत्वपूर्ण फैसला लिया था। इसके लिए बजट में घोषणा की गई कि 1 अप्रैल 2023 तक तीन चरणों में राज्य के सभी जिलों में दिन में थ्री फेज बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। लेकिन 2022 नवंबर महीना चल रहा है। प्रदेश के सभी जिलों में किसानों को पूरी तरह दिन में बिजली देना अभी चुनौती बना हुआ है।
घोषणा के वक्त गहलोत ने कहा था- हमारे किसानों को ठंड के दिनों में रात में खेतों की सिंचाई करने में तकलीफ होती है।इसलिए राजस्थान सरकार ने यह फैसला किया है कि किसानों को सिंचाई के लिए दिन में थ्री फेज बिजली उपलब्ध कराई जाए। सरकार ने आधारभूत ढांचे को विकसित करने का काम भी शुरू किया है। प्रदेश के 15 जिलों में किसानों को सिंचाई के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। 2023 तक सभी जिलों में किसानों को दिन में बिजली मिलने लगेगी।
नई कृषि बिजली डिस्ट्रिब्यूशन कम्पनी फाइलों में दबकर रह गई
साल 2021-22 के बजट में गहलोत सरकार ने खेती के लिए पर्याप्त बिजली की उपलब्धता, बिजली खरीद में पारदर्शिता और अच्छे फायनेंशियल मैनेजमेंट के लिए नई एग्रीकल्चर बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी बनाने की घोषणा की थी। वह वित्तीय वर्ष तो निकल ही गया। उसके बाद 2022-23 के भी 8 महीने गुजर चुके हैं। अगला और फाइनल चुनावी बजट 2023-24 जारी करने की सीएम और सरकार तैयारी कर रहे हैं। लेकिन अब तक नई कृषि बिजली कंपनी धरातल पर नहीं उतर सकी है। इस बार जनवरी-फरवरी 2023 में जल्दी ही बजट जारी किया जा सकता है। क्योंकि फिर सरकार को विधानसभा चुनाव-2023 की तैयारियों में जुटना है। लेकिन कृषि बिजली कंपनी बनाने की घोषणा अब तक फाइलों में ही दबकर रह गई है।
कृषि बिजली कंपनी पर काम आगे क्यों नहीं बढ़ सका ?
एग्रीकल्चर बिजली डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी की बजट घोषणा के बाद एग्रीकॉम नाम से कंपनी का प्रपोजल भी तैयार हुआ। लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डालकर बंद कर दिया गया। यह कंपनी बनाकर सरकार को करीब 15 लाख किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध कराना और सालाना 16500 करोड़ रुपए की सब्सिडी के बोझ को 50 से 70 परसेंट तक घटाना था। इसमें सोलर एनर्जी को बढ़ावा देना भी शामिल था।
कृषि बिजली कंपनी बनाने की घोषणा अधूरी क्यों है?
-नई कृषि बिजली वितरण कंपनी-एग्रीकॉम के लिए अलग से बजट व्यवस्था करनी होगी।
-नई कंपनी में अधिकारियों, इंजीनियरों, कर्मचारियों की भर्ती करनी होगी।
-राजस्थान भारत का सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला प्रदेश है। मौजूदा बिजली सिस्टम के पैरेलल (समानान्तर) किसानों के लिए अलग सिस्टम खड़ा करना आसान काम नहीं है।
-ग्रामीण क्षेत्र में बड़े बिजली डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम को समझना, सम्भालना, मॉनिटरिंग,मेंटेन करना, कंट्रोलिंग करना, नए कनेक्शन जारी करना, बिजली छीजत और चोरी रोकना, बकाया बिजली बिलों की वसूली करना, प्रॉपर पावर सप्लाई करना, फाल्ट सुधारना और मरम्मत करना बहुत बड़ा टास्क है।
-अलग कृषि कंपनी के लिए अलग से फीडर और फीडर लाइनें बिछाने का काम बहुत बड़ा और भारी है।
-ऊर्जा विभाग के अफसरों की ढिलाई,उदासीनता और लचर वर्किंग भी इसका बड़ा कारण है कि कंपनी धरातल पर नहीं उतर पाई है।
इस फायनेंशियल ईयर में 4910 MW तक बिजली कमी पड़ने का अनुमान
RUVNL ने प्रदेश में साल 2022-23 में बिजली की पीक डिमांड 17757 मेगावाट तक पहुंचने और उपलब्धता 12847 मेगावाट रहने का अनुमान लगाया है। पीक आवर्स में बिजली की कमी 4910 मेगावाट रहेगी। साल 2023-24 में पीक बिजली डिमांड 18979 मेगावाट और बिजली उपलब्धता 13636 मेगावाट रहने का अनुमान है। 5343 मेगावाट बिजली की कमी पड़ेगी।
पेंडिंग एग्रीकल्चर कनेक्शन जारी करने पर 4307 MW बिजली का लोड पड़ेगा
ऊर्जा विकास निगम ने राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेरिटी कमीशन में लगाई याचिका में कहा कि प्रदेश में पेंडिंग चल रहे एग्रीकल्चर बिजली कनेक्शन की संख्या 4 लाख 88 हजार 625 है। प्रति कनेक्शन औसत लोड 8.814 किलोवाट है। सभी पेंडिंग एग्रीकल्चर कनेक्शन जारी करने पर 4307 मेगावाट बिजली का लोड पड़ेगा। इसके लिए प्रदेश में रोजाना बिजली की इतनी डिमांड भी बढ़ जाएगी।
2120 MW बिजली खरीद और उधार लेकर चलाएंगे काम
पावर क्राइसिस से निपटने के लिए राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने जो प्लान तैयार किया है। उसके बावजूद करीब 2000 से 3000 मेगावाट तक बिजली पीक आवर्स में और कम पड़ सकती है। RUVNL ने कोस्टल गुजरात पावर लिमिटेड से कॉन्ट्रैक्ट के तहत 380 मेगावाट पावर परचेज फिर से शुरू कर दी है। पावर एक्सचेंज से भी 300 मेगावाट तक बिजली लेने का प्लान किया है।
रबी सीजन को देखते हुए उत्तरप्रदेश की बिजली डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों से 15 नवम्बर से 1500 मेगावाट बिजली बैंकिंग प्रोसेस से ली जाएगी। इसके तहत जितनी बिजली RVUNL लेगा, उतनी ही बाद में लौटानी भी होगी। अगले साल अप्रैल से सितम्बर 2023 के बीच राजस्थान को UP को यह बिजली लौटानी होगी। उस वक्त UP में बिजली की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने अगले तीन महीने तक 250-250 मेगावाट तक बिजली की शॉर्ट टर्म खरीद के लिए टेंडर निकाला है। 1 दिसम्बर 2022 से 28 फरवरी 2022 तक ये खरीद होगी। जिसकी बिडिंग रेट 18 नवंबर को खुलेगी। इससे पहले 5.70 रुपए प्रति यूनिट की रेट पर 250 मेगावाट बिजली की खरीद नवम्बर महीने में शॉर्ट टर्म टेंडरिंग से की गई है।
सूत्र बताते हैं कि इसके अलावा और बिजली की डिमांड होने पर पावर एक्सचेंज के जरिए डेली रीयल टाइम मॉनिटरिंग कर बिजली की खरीद की जाएगी। साल 2025-26 से अगले 25 सालों के लिए 1200 मेगावाट बिजली की लॉन्ग टर्म बेसिस पर सोलर पावर प्लांट के जरिए खरीद की जाएगी। पीक डिमांड पीरियड में प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे यह खरीद होगी।
राजस्थान में कृषि और बिजली से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े
-राजस्थान की इकोनॉमी में कृषि क्षेत्र का योगदान- 25.56 प्रतिशत।
-कृषि श्रेणी के सामान्य उपभोक्ताओं की बिजली रेट- 0.90 पैसे प्रति यूनिट।
-राजस्थान में कृषि बिजली कनेक्शन- लगभाग 15 लाख।
-कृषि में बिजली खपत- 41 फीसदी।
-इंडस्ट्री में बिजली खपत-24 फीसदी।
-घरेलू बिजली खपत- 22 फीसदी।
-कॉमर्शियल (अघरेलू) बिजली खपत 8 फीसदी।
-अन्य क्षेत्र (रोड लाइट्स) पर बिजली खपत- 5 फीसदी।
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