दिवाली से पहले व अब 5 बिजली उत्पादन इकाइयां बंद होने से राजस्थान में बिजली संकट तो बढ़ा ही, सरकार को 20 रु. यूनिट तक बिजली खरीदनी पड़ी है। लेकिन अगले 4-5 साल में राजस्थान को बिजली महज 2 रुपए प्रति यूनिट की दर से मिलेगी। यह रिनेबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) से संभव होगा। पावर स्टोरेज के लिए 2520 मेगावाट क्षमता का देश का पहला प्लांट ग्रीनको एनर्जी बारां के शाहपुर में लगेगा।
यही कंपनी पाली के जैतारण में हाईब्रिड (विंड और सोलर) में 4500 मेगावट के प्रोजेक्ट लगेंगे। वहीं, सिरोही में जेएसडब्ल्यू ने 1000 मेगावाट क्षमता का पंप स्टोरेज प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया है। रीको के पास 4 कंपनियों की ओर से 36000 मेगावाट क्षमता के रिनेबल एनर्जी प्लांट लगाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
दूसरी ओर, 5 बड़ी कंपनियों ने 15000 मेगावाट क्षमता के रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया है। इससे राजस्थान में कुल 1.64 लाख करोड़ का निवेश आएगा और 7 हजार से ज्यादा लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा।
इस तकनीक से जब भी जरूरत हो बिजली का उत्पादन किया जा सकता है
इनके बीच एलीवेशन ऐसा रखते हैं कि निचले जलाशय की तरफ बहता पानी टरबाइन से होकर निकलता है और उससे बिजली पैदा होती है। निचले जलाशय से ऊपर पानी पहुंचाने के लिए बिजली चाहिए होती है। यह सिस्टम विशाल बैटरी जैसे कार्य करता है। कभी भी पानी प्रवाहित कर बिजली बना सकते हैं।
दिन में अतिरिक्त बचने वाली बिजली काम में लेंगे
सौर ऊर्जा से बिजली दिन में सूरज हो तब मिलती है जबकि मांग शाम से रात तक ज्यादा रहती है। इस स्टोरेज से दिन में मांग कम होने पर उपलब्ध बिजली से पानी ऊपरी जलाशय में चढ़ाएंगे। शाम को यही पानी छोड़कर बिजली बनाई जाएगी।
सबसे पहले इटली में तकनीक
इस तकनीक का वर्ष 1890 में इटली में उपयोग किया गया और 1930 से अमेरिका में। अभी अमेरिका की पंप स्टोरेज क्षमता 2 गीगावाट है, जो दोगुनी की जाएगी। अमेरिका में 43 पीएसएच प्लांट काम कर रहे हैं। अभी ऑस्ट्रेलिया में टेस्ला ने बैटरी आधारित पावर स्टोरेज का प्लांट लगाया है।
अभी दर 7 से 9 रुपये, फिर होगी देश में सबसे सस्ती
राज्य में इंडस्ट्री को 7 और घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को 8 से 9 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। इससे निवेशकों का रुझान भी कम रहता है। रिनेबल एनर्जी के ये प्लांट क्रियाशील होने के बाद राजस्थान में सबसे सस्ती बिजली का उत्पादन होगा। आगामी 4-5 साल में 2 रुपए यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध होगी। राज्य में प्लांट के लिए अपेक्षित 125 लाख हेक्टेयर जमीन खाली भी है। इस पर 142 गीगावाट क्षमता के सोलर और 127 गीगावाट क्षमता के विंड प्लांट लगने की संभावना है।
बारां में पंप स्टोरेज एनर्जी प्रोजेक्ट के बाद और भी कंपनियों ने ऐसे प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव दिए हैं। हमारा लक्ष्य 18% से ज्यादा अक्षय ऊर्जा उत्पादन का हैं। - डॉ. सुबोध अग्रवाल, एसीएस, ऊर्जा विभाग
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