बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की नाराजगी फिलहाल दूर हो गई है, लेकिन मंत्री पद की दावेदारी बरकरार है। पिछले दिनों चार विधायक नाराज होकर दिल्ली गए थे, जिन्हें बाद में सीएम अशोक गहलोत ने फोन करके मनाया था।
बसपा से कांग्रेस में आए विधायक वाजिब अली ने कहा कि मंत्री कौन नहीं बनना चाहता। हम तो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, मौका तो मिले। हमें कोई हड़बड़ी नहीं है। मुख्यमंत्री यह बेहतर तरीके से जानते हैं। जिस दिन उचित समझेंगे मंत्रिमंडल विस्तार कर देंगे। जिस तरह की परिस्थितियों में सरकार चल रही है, वह सबके सामने है। हमारी प्राथमिकताएं जो हैं, उन्हें सरकार पूरा कर रही है।
मंत्रिमंडल विस्तार में देरी से नाराजगी और बसपा से कांगेस में आए विधायकों में फूट के सवाल पर वाजिब अली ने कहा- अब हम हाथी में नहीं पंजे में हैं। पंजे से अब अलग करने के लिए तो उंगली ही काटनी पड़ेगी। सब उंगलियां बराबर नहीं होती, लेकिन सबका अलग अलग काम होता है। सब एकजुट हैं।
बसपा से कांग्रेस में आए विधायक लाखन मीणा ने कहा- हम कानूनी सलाह लेने दिल्ली गए थे। सुप्रीम कोर्ट में मेरे केस में सुनवाई होनी है। विधानसभा अध्यक्ष ने जो फैसला दिया है वह कानून सम्मत है। अब तक देश में कई लोगों ने दल बदले हैं, उनकी भी मेंबरशिप नहीं गई। इसलिए हमें उम्मीद है कि ऐसा कुछ नहीं होगा। फिर भी सतर्कता के तौर पर हम कानूनी राय ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भी अच्छे वकील पैरवी के लिए किए हैं। हमने भी अपने वकीलों से राय ली है।
मंत्रिमंडल में देरी पर लाखन मीणा ने कहा- मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के कई कारण रहे हैं। दो साल से कोरोना महामारी रही इसलिए मुख्यमंत्री की प्राथमिकता उससे लड़ने में थी। कोरोना की वजह से विस्तार में देरी हुई। सीएम को उचित लगेगा तो विस्तार हो जाएगा।
बसपा से आने वाले विधायक दो साल से कर रहे हैं मंत्री बनने का इंतजार
बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायक पिछले दो साल से मंत्री बनने का इंतजार कर रहे हैं। छह विधायकों ने सितंबर 2019 में बसपा से कांग्रेस में विलय किया था, तब से वे सरकार में भागीदारी का इंतजार कर रहे हैं। ये विधायक समय-समय पर नाराजगी भी जताते रहते हैं।
छह विधायकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, इसी महीने इन्हें जवाब देना है
बसपा ने पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों को दल बदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा रखी है। उस याचिका पर सुनवाई अब फाइनल स्टेज पर है। सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों से 25 अक्टूबर से पहले जवाब देने को कहा है। इन विधायकों के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। इस बीच इन विधायकों को यह डर सता रहा है कि कहीं सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्ष में आ गया तो सदस्यता जाने के साथ चुनाव लड़ने से छह साल अयोग्य भी हो सकते हैं।
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