सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रदेश में गैर पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्राॅली से किए जा रहे अवैध बजरी खनन व परिवहन को सख्ती से रोके। वहीं गैर पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्रोली को परिवहन कार्य के लिए मंजूरी नहीं दी जाए। अदालत ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में शपथ पत्र पेश कर बताने के लिए कहा है कि उसने अवैध बजरी खनन व परिवहन को रोकने और इन केसों में गिरफ्तारियों के लिए क्या कार्रवाई की।
जस्टिस एल.नागेश्वर राव, बीआर गवई व एस बोपन्ना की खंडपीठ ने यह आदेश ऑल राजस्थान बजरी ट्रक ऑपरेटर्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष नवीन शर्मा की अवमानना याचिका व बजरी लीज धारक वेलफेयर सोसायटी की एसएलपी पर संयुक्त सुनवाई करते हुए दिया। अदालत ने कहा कि जिन लीज धारकों ने एमओईएफसीसी से मंजूरी प्राप्त कर ली है उन्हें बिना देरी किए लीज जारी की जाए। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नवंबर 2021 में दिए गए फैसले में भी निर्देश दिया था कि वह अवैध बजरी खनन से सख्ती से निपटे।
सुनवाई के दौरान नवीन शर्मा की ओर से कहा कि सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद भी प्रदेश में बजरी का अवैध खनन जारी है। प्रदेश में गैर पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्रोली से बिना नंबरों के ही बजरी का अवैध खनन व परिवहन किया जा रहा है। प्रदेश में बीस हजार ऐसे गैर पंजीकृत ट्रैक्टर हैं जिनका उपयोग केवल कृषि कार्य के लिए हो सकता है। लेकिन इनका उपयोग अवैध बजरी खनन व परिवहन में किया जा रहा है। लेकिन राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही और गैर पंजीकृत ट्रैक्टर्स के मालिकों के खिलाफ कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं किए हैं।
जबकि पूर्व में अदालत ने राज्य सरकार को अवैध बजरी खनन व परिवहन के लिए सख्ती बरतने का निर्देश दिया था। जवाब में राज्य सरकार के एएजी मनीष सिंघवी ने कहा कि वे इस संबंध में सरकार से निर्देश प्राप्त कर विस्तृत हलफनामा पेश कर देंगे कि राज्य सरकार ने अवैध बजरी खनन को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर निर्देश दिया कि वह प्रदेश में अवैध बजरी खनन रोकने के लिए सख्त कदम उठाए और गैर पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्राॅली से हो रहे अवैध बजरी खनन व परिवहन को रोके।
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