देश में लोगों को न्याय देने के मामले में राजस्थान दसवें नंबर पर है। महाराष्ट्र सभी राज्याें में पहले नंबर पर है। टाटा ट्रस्ट की ओर से तैयार की गई जस्टिस रिपाेर्ट 2020 के अनुसार राजस्थान एक साल में 4 पायदान ऊपर चढ़ा है। गत वर्ष 14 वें नंबर से वह इस वर्ष दसवें नंबर पर आ गया है। राजस्थान का स्काेर 4.93 है। महाराष्ट्र के बाद इस मामले में तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब और केरल का नंबर आता है। एक करोड़ से कम आबादी वाले राज्यों में त्रिपुरा, सिक्किम और गोवा अपने नागरिकों को सबसे ज्यादा न्याय दे रहे हैं। देश में पुलिस, जेल और न्याय व्यवस्था के लिहाज से राजस्थान पांचवे नंबर पर है। जबकि इसी कैटेगिरी में गत वर्ष राजस्थान काे दसवें नंबर पर रखा गया था। महिला प्रतिनिधित्व के मामले में राजस्थान की स्थिति ठीक नहीं है। राजस्थान में महिला प्रतिनिधित्व दस प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिला जजों की संख्या महज 29 फीसदी है। हालांकि हाईकोर्ट में महिला जजों का औसत 11 से बढ़कर 13 फीसदी और सहायक अदालतों में 28 से बढ़कर 30 फीसदी हुआ है। नेशनल ज्युडिशियल डाटा ग्रिड के हिसाब से 3.84 करोड़ से ज्यादा मुकदमे जिला अदालतों में लंबित हैं। इसमें सभी हाईकोर्ट में लंबित 47.4 लाख मुकदमे भी जोड़ दें तो यह संख्या 4 करोड़ के पार पहुंच जाती है। हालत से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर न्यायिक सुधार की आवश्यकता जताई गई है।
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