सचिन पायलट खेमे के कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री रमेश मीणा ने राज्य की गहलोत सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने इस बार सरकार पर एससी, एसटी और माइनॉरिटी विधायकों के इलाकों में बजट देने में भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'जिस तरह प्रदेश में SC,ST और माइनॉरिटी के साथ भेदभाव किया जा रहा है। वह ठीक नहीं है। मैं अपनी समस्याओं को लेकर राहुल गांधी से मिलूंगा। मैंने मुलाकात का वक्त मांगा है। अगर वहां भी सुनवाई में हमारी समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ तो मैं इस्तीफा देने से भी पीछे नहीं हटूंगा। राज्यसभा के चुनावों में भी हमने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचाई थी, लेकिन तब भी उन समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ था।
मंत्री, वरिष्ठ विधायकों तक से नहीं मिल रहे
शुक्रवार को विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में मीणा ने कहा-आज जो मंत्री बने बैठे हैं वे अमीन खां, बाबू लाल बैरवा जैसे वरिष्ठ विधायकों तक की सुनवाई नहीं कर रहे। मंत्रियों से मिलने के लिए जब विधायक पहुंचते हैं तो वे कोई न कोई बहाना बनाकर उनसे मिलते नहीं है। आज जब मंत्री ही विधायकों से नहीं मिल रहे तो मुख्यमंत्री की तो दूर की बात है।
पिछले तीन बजट उठाकर देखिए एससी, एसटी विधायकों के इलाकों को क्या मिला?
विधायक मीणा ने गहलोत सरकार पर बजट में भी एससी, एसटी विधायकों से भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पिछले 3 साल का बजट उठाकर देख लीजिए। एससी, एसटी विधायक जहां से आते हैं उन्हें अब तक क्या मिला है? और कोटा, जोधपुर में क्या मिला है? रमेश मीणा ने नाम लिए बिना सीएम अशोक गहलोत और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को निशाने पर लिया है।
मुख्य सचेतक अब ठंडे छींटे मारकर मामला शांत करना चाहते हैं
रमेश मीणा ने कहा-सदन में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के विधायकों को बिना माइक वाली सीटें दी गई। अब मुख्य सचेतक ठण्डे छींटे देकर मामले को शांत करना चाह रहे हैं। बिना माइक की सीट देना कोई छोटा-मोटा मामला नहीं है। हम विधायक हैं और अगर हमें अपने क्षेत्र के मुद्दों को विधानसभा में ही रखने नहीं दिया जाएगा तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है?
मंत्री पद का लोभ होता तो चुप रहता
मंत्री बनने के लिए दबाव बनाने के सवाल पर रमेश मीणा ने कहा- मंत्री तो मैं पहले ही था। अगर मंत्री पद का ही मोह होता तो उस वक्त भी चुप रह सकता था और इनके चिपका रहता। लेकिन हम हमारे लोगों के साथ भेदभाव पर चुप नहीं रह सकते। मुझे मंत्री नहीं बनना। मैं कांग्रेस को कमजोर करने वाली हरकतों के खिलाफ आवाज उठा रहा हूं। आप कांग्रेस की बैकबोन वाले वर्गों के विधायकों को विधानसभा में बोलने नहीं दो। मंत्री उनसे मिले नहीं। उनसे बदतमीजी से बात करें तो कांग्रेस को कमजोर करने का इससे बड़ा कृत्य क्या हो सकता है? बता दें कि पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद रमेश मीणा को खाद्य मंत्री पद से बर्खास्त किया गया था।
20 फीसदी विधायकों को टेबलेट चलाना नहीं आता
विधायक मीणा ने कहा कि सरकार सदन में माइक व्यवस्था ठीक नहीं होने में भी खर्चा देख रही है। बजट में जब टेबलेट और ब्रीफकेस बांटे तब खर्चा नहीं देखा गया। थोड़ा खर्चा करके अगर माइक व्यवस्था को ठीक करवा ले तो क्या हो जाएगा? आज जिन लोगों को टेबलेट दिए हैं उनमें से 20% भी उसे चलाना नहीं जानते। अगर टेबलेट दिया है तो फिर ब्रीफकेस देने की जरूरत क्यों आ पड़ी?
गौरतलब है कि दो दिन पहले विधायक मीणा ने सदन में में SC, ST, OBC और माइनॉरिटी के विधायकों को सदन में बोलने नहीं दिए जाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जानबूझकर इन वर्गों से जुड़े विधायकों को विधानसभा में ऐसी जगह बैठाया, जहां माइक ही खराब या बंद पड़े हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.