RAS 2018 का परिणाम आ चुका है। इनमें कई युवाओं ने जॉब करते हुए या परिवार के खराब आर्थिक हालात से लड़ते हुए एग्जाम क्लियर किया। ऐसे ही हैं जयपुर के 30वीं रैंक हासिल करने वाले सब इंस्पेक्टर देवीलाल। वे जब 2006 में पुलिस कांस्टेबल बने तब RAS का फुल फॉर्म राजस्थान प्रशासनिक सेवा भी नहीं पता था।
30वीं रैंक लाने वाले देवीलाल की कहानी
RAS 2018 में 30 वीं रैंक हासिल करने वाले सब इंस्पेक्टर देवीलाल यादव ने कहा कि वे देहाती जीवन शैली से आते हैं। उन्होंने भास्कर से बातचीत में बताया कि वे जब 2006 में पुलिस कांस्टेबल बने तब RAS का फुल फॉर्म भी नहीं पता था। ना मैं स्कूल कॉलेज में बहुत ज्यादा होनहार था, न ही कभी कोई टॉपर रहा हूं। माता-पिता खेतीबाड़ी करते थे। हम दो भाई और तीन बहनें हैं। मैं कुछ भी करने के लिए फ्री था, लेकिन गाइडेंस नहीं था कि क्या करना है। बेरोजगार थे, इसलिए सरकारी नौकरी पाने का सपना था।
देवीलाल ने बताया कि गांवों में दो ही बातें होती है। या तो फौज में जाओ या फिर पुलिस में जाओ। या फिर खेती करो। मैं 2006 में पुलिस कांस्टेबल बन गया। जयपुर से भर्ती होने पर कई अच्छे साथी मिले। इनमें से कुछ कांस्टेबल से SI और फिर RAS भी बन गए थे। उन्हीं से प्रेरित होकर RAS बनने की बात सोची। मैंने सोचा कि एक बार मैं भी ट्राई करके देखता हूं। ऐसे में पहले 2013 में सब इंस्पेक्टर बना और फिर पहले प्रयास में RAS 2018 में 30 वीं रैंक हासिल की है।
मैकेनिकल इंजीनियर शिवम् का सपना था सिविल सर्विस की कुर्सी पर बैठना
जयपुर में चांदपोल बाजार स्थित दीनानाथ जी की गली में रहने वाले शिवम जोशी अभी बीकानेर सेंट्रल जेल में उप अधीक्षक कारागार है। RAS 2018 में शिवम ने 87वीं रैंक हासिल की है। भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया कि 2016 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करते ही 2016 RAS की तैयारी शुरू कर दी। एक ही सपना सिविल सर्विस जॉइन करने का था। इस बीच ग्राम सेवक में चयन हो गया। इंजीनियरिंग कॉलेज के कैंपस प्लेसमेंट में एक बड़ी कंपनी में जॉब का ऑफर आया।
शिवम ने दोनों नौकरियों को जॉइन नहीं की। RAS-2016 की परीक्षा में छह माह का वक्त बचा था। इसलिए रोजाना करीब 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। तब 316 वीं रैंक हासिल की। जेल उपाधीक्षक बना। टॉप 10 में आने की चाह में फिर से RAS-2018 की परीक्षा दी। इस बार 87वीं रैंक हासिल की। शिवम् के पिता कन्हैयालाल जोशी राजकीय स्कूल में टीचर हैं और मां सुमन गृहिणी हैं। छोटा भाई यश अभी RAS की तैयारी कर रहा है।
पिता के मार्गदर्शन से मिली समीक्षा को सफलता
समीक्षा वर्मा निवासी रैगर मोहल्ला शहर सवाई माधोपुर ने पहले ही प्रयास में RAS सफलता हासिल की है। उन्होंने RAS में 1319 वीं रैंक हासिल की है जबकि SC कैटेगरी ने 22वीं रैंक हासिल की है। समीक्षा के पिता अध्यापक हैं और मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। समीक्षा बताती हैं कि उनके पिता ने उन्हें बचपन से ही सिविल सर्विस के लिए प्रेरित किया। 2015 में महारानी कॉलेज से BA करने के बाद RAS की तैयारी में जुट गई। उन्होंने UPSC 2017 में इंटरव्यू भी दिया था, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।
एमटेक कर किया सिविल सर्विस का रुख
पटेल नगर सवाई माधोपुर के रहने वाले विशाल वर्मा ने RAS परीक्षा के पहले प्रयास में 911 वीं रैंक व एससी में 17 वीं रैंक हासिल की है। इनके पिता संतोष कुमार वर्मा अध्यापक है। विशाल ने एमटेक किया था। वे राजस्थान विश्वविद्यालय से साइकोलॉजी में Ph.D. कर रहे हैं। विशाल बताते हैं कि उन्होंने कैलाश सिंह से नोट्स से लेकर सभी तरह की मदद की। फिलहाल कैलाश सिंह झालावाड़ में लेबर इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। विशाल बताते हैं कि उन्होंने इसके लिए नियमित 7 से 8 घंटे की पढ़ाई की थी।
माता-पिता ने मजदूरी कर बेटे को RAS बनाया
जिले के चौथ का बरवाड़ा तहसील क्षेत्र के बलरिया गांव के बनवारी लाल बैरवा का भी RAS में चयन हुआ है। उन्होंने पहले ही प्रयास में 1544वीं रैंक व एससी में 118 वीं रैंक प्राप्त कर अपने माता-पिता का मान बढ़ाया है। बनवारी लाल का जीवन संघर्ष से भरा रहा है। उनके पिता मजदूरी का कार्य करते हैं। पढ़ाई की ललक को देखते हुए उन्होंने मजदूरी के पैसों से ही बेटे को पढ़ाया तो बेटे ने RAS में चयनित होकर माता-पिता का मान बढ़ाया है।
पुलिस की नौकरी करते हुए भी RAS में पाई सफलता
जिले के चौथ का बरवाड़ा तहसील क्षेत्र के बलरिया के ही एक युवक ने पुलिस में नौकरी करते हुए RAS में सफलता प्राप्त की है। लक्ष्मी चंद मीणा 8 साल पहले पुलिस सब इंस्पेक्टर बने थे। लम्बी ड्यूटी के बावजूद RAS में एसटी वर्ग में 12 तथा सामान्य में 392 रैंक हासिल की है। लक्ष्मी चंद बताते है कि वह 2006 में पटवारी बने थे। 2010 में राजस्थान पुलिस में SI बने। राजकीय सेवा में होने के बावजूद भी नियमित अध्ययन करते थे। फिलहाल वह जयपुर में मुख्यमंत्री सिक्योरिटी में तैनात है। वह रोजाना 6 से 8 घंटे पढ़ाई करते थे। इसी के साथ मुख्यमंत्री सिक्योरिटी में भी सेवाएं देते रहे।
IIT में नहीं हुआ सलेक्शन, दो बार UPSC एग्जाम में फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार
RAS में 42वीं रैंक हासिल करने वाले चित्तौड़गढ़ में बड़ीसादड़ी के यतींद्र पोरवाल दो बार UPSC परीक्षा में असफल होने पर भी हौसला नहीं खोया। सरकारी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने वाले यतींद्र 8वीं बोर्ड में जिला टॉपर रहे और 10वीं बोर्ड में जिले में 6 रैंक हासिल की थी। यतींद्र ने बताया कि कई बार अलग-अलग बड़ा बनने के सपने देखे। प्रयास भी किया, लेकिन पूरे नहीं हो सका।
स्कूली शिक्षा के लिए कोटा में जाकर IIT की कोचिंग की। लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। उसके बाद उदयपुर से बीटेक (सिविल इंजीनियरिंग) पूरी करने के बाद 2016 से 2018 में IAS की तैयारियां शुरू की, लेकिन सफलता नहीं मिली। ग्रेजुएशन के बाद अहमदाबाद से प्लेसमेंट ऑफर अभी आया था। सिविल सर्विस की चाह में उस जॉब को ज्वॉइन नहीं किया। तब RAS की तैयारी शुरू की। आखिरकार सफलता मिली।
RAS बनना था इसलिए 10 साल में घूमने नहीं गए
अलवर के कोटकासिम के शिलपटा गांव निवासी सरिता यादव का 5वीं बार सरकारी नौकरी में चयन हुआ है। लेकिन लक्ष्य आरएएस बनना था। इसलिए पति-पत्नी 10 साल से घूमने के प्लान भी टालते रहे। वर्तमान में सरिता भिवाड़ी में जीएसटीओ हैं। अब नौकरी में रहते हुए आरएएस में 205वीं रैंक मिली है। इससे पहले दो बार थर्ड ग्रेड टीचर व एक बार स्कूल लेक्चरर पद पर चयनित हुई हैं। बड़े लक्ष्य को सीढ़ी दर सीढ़ी पाने के लिए बहुत कुछ त्यागना पड़ता है। जिस तरह सरिता की शादी को 10 साल हो चुके हैं। 6 साल की बेटी है। यही नहीं घर, परिवार व रिश्तेदारी में कोई कार्यक्रम होता है तो भी बहुत कम समय के लिए ही जाती हैं। उनके पति अमित यादव का भिवाड़ी में ही बिजनेस है।
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