राजस्थान बीजेपी में चेहरों को लेकर तल्खियां जगजाहिर है। पिछले दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे के दिन भाजपा के दिग्गज नेता एक जगह जुटे तो हल्के माहौल में इशारों-इशारों में नाराजगी भी जाहिर कर दी। नेताओं की इस हाजिर जवाब वाली बातचीत में गहरे सियासी मैसेज भी थे।
भाजपा दिग्गज नेताओं के बीच हंसी मजाक के माहौल में 10 मिनट तक जो बातचीत हुई, वो भास्कर के कैमरे में रिकॉर्ड हो गई।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ से अलग अंदाज में बात हुई। शेखावत से वसुंधरा राजे ने कहा- मेरी और राजेंद्र राठौड़ की केमिस्ट्री देखी, इस पर गजेंद्र सिंह शेखावत बोले- मैं ह्यूमैनिटीज का स्टूडेंट रहा हूं, केमिस्ट्री कैसे समझूंगा।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सभी से मिली, लेकिन वहां खड़े बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया से नहीं मिलीं।
वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर और गुलाबचंद कटारिया ने बातचीत में अलग तेवर दिखाए। हंसी-मजाक के माहौल में ही हल्की-फुल्की बातचीत के गहरे सियासे मायने हैं।
पढ़िए पूरी बातचीत…
राठौड़ ने पोस्टर की तरफ इशारा कर गजेंद्र सिंह से पूछा- इनमें हम छोटे क्यों हैं?
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम प्रकाश माथुर, नारायण पंचारिया और राजेंद्र राठौड़ नड्डा का स्वागत करने खड़े थे।
राजेंद्र राठौड़ की नजर वहां लगे एक पोस्टर पर गई, जिस पर राजस्थान का नक्शा बना हुआ था और जिलेवार कमल के निशान बने हुए थे।
राठौड़ ने पोस्टर की तरह इशारा करके वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर और गजेंद्र सिंह शेखावत से पूछा- कुछ मोटे और कुछ छोटे, लेकिन हम छोटे क्यों हैं इसमें?
शेखावत बोले- दिल्ली शुरू से ही बड़ी है
बातचीत चल रही थी। इसी बीच वहां नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया भी पहुंच गए।
कटारिया : क्या बातचीत चल रही है?
माथुर : बहुत बड़ी और टेक्निकल बात है।
कटारिया : आखिर क्या बात है?
राठौड़ : भाई साहब! इस पोस्टर पर राजस्थान का नक्शा है। इसमें 200 विधानसभा बनी हुई हैं। इसमें अपना इलाका जहां पर है, आपकी मेरी विधानसभा है वहां तो छोटे-छोटे कमल बन रहे हैं। (केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की तरफ इशारा करते हुए) यहां बड़ा सारा कमल बन रहा है। मुझे लगता है अध्यक्ष जी इसे देखकर समझ जाएंगे।
कटारिया : यह समझना तो पड़ेगा कि आखिर इनके इतना बड़ा क्यों आया है?
राठौड़ : हां, आजकल भाई साहब, दिल्ली बड़ी हो रही है।
शेखावत(ठेठ राजस्थानी में) : दिल्ली तो ठेठ सू ही बड़ी है।
राठौड़ : (ओम प्रकाश माथुर से कहा) भाई साहब, आप तो दोनों जगह हाफ-हाफ हो।
फिर वसुंधरा राजे की एंट्री, पूनिया को छोड़ सबसे मिलीं
जेपी नड्डा के इंतजार में सतीश पूनिया, गुलाबचंद कटारिया, ओम प्रकाश माथुर, गजेंद्र सिंह शेखावत और राजेंद्र राठौड़ लाइन लगाकर मेन गेट पर खड़े थे। मेन गेट की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एंट्री की। राजे सतीश पूनिया से बिना मिले आगे बढ़ गईं। गुलाबचंद कटारिया और ओमप्रकाश माथुर के बीच में जाकर खड़ी हो गईं।
शेखावत से वसुंधरा बोलीं- देखी मेरी और राजेंद्र राठौड़ की केमिस्ट्री
जिस समय वसुंधरा राजे आईं उनके हाथ में अध्यक्ष को स्वागत में देने के लिए गुलदस्ता नहीं था, उनके लिए गुलदस्ता मंगवाया गया। इसके बाद राजेंद्र राठौड़ ने अपना गुलदस्ता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दे दिया।
इसे देख गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा- यह है हिस्टोरिक।
वसुंधरा-कटारिया से बोले माथुर- आपका क्या चल रहा है, सबको पता है
माथुर : गुलाब जी आपके हाथ में फूल नहीं है।
माथुर नड्डा के स्वागत के लिए लाया गया गुलदस्ता कटारिया को देते हैं, लेकिन कटारिया इनकार कर देते हैं।
वसुंधरा राजे ने भी कटारिया को अपना गुलदस्ता देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा- अब इनको प्रॉब्लम हो गई है। किससे गुलदस्ता लें आपसे या मुझसे?
भजनलाल से बोले ओम माथुर- आज तेरा ही स्वागत करना है
माथुर : (प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा से) ले भाई आजा थारो ही स्वागत करणो है। (भजनलाल इस पर पीछे हट गए।)
राठौड़ : अखबार लिख देगा ओमप्रकाश माथुर ने भजनलाल का स्वागत किया।
माथुर : तो क्या हुआ? हैं तो सभी कार्यकर्ता ही? इन्हें देंगे, कुछ आपकी देख रहे हैं।
राठौड़ ने इशारों में पोस्टर वार का जिक्र किया, पुराने विवाद को फिर हवा दी
राजेंद्र राठौड़ ने बैनर-पोस्टरों में उनके और बाकी नेताओं के फोटो का साइज छोटा होने की बात उठाकर पोस्टर वार की तरफ इशारा किया। अप्रैल 2021 में उपचुनावों से पहले ही बीजेपी दफ्तर के बाहर लगे हॉर्डिंग से वसुंधरा राजे का फोटो हटा दिया था, राजेंद्र राठौड़ का फोटो भी हटाया था। इस पर खूब सियासी विवाद हुआ था। जिसके बाद पार्टी की तरफ से कहा गया कि केंद्रीय नेतृत्व की गाइडलाइन के बाद ही नए पोस्टर बनवाए हैं। जिनमें नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष के फोटो ही लगेंगे। अब राजेंद्र राठौड़ ने बैनर-पोस्टरों में नेताओं के फोटो का साइज कम करने के बहाने पुराने पोस्टर वॉर विवाद को फिर जिंदा कर दिया है।
राजेंद्र राठौड़ पहले राजे के खास थे, बाद में दूरियां बढ़ीं
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में उनकी कोर टीम में शामिल थे। राजे जब पहली बार 2001 में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बनकर आईं थीं, तब राठौड़ उनके भरोसेमंद नेताओं में माने जाते थे। बाद में दूसरे कार्यकाल में राठौड़ उनकी कोर टीम में नहीं रहे। अब राठौड़ और राजे के पहले जैसे सियासी रिश्ते नहीं रहे। नड्डा के स्वागत के दौरान की बातचीत अब फिर से सियासी बर्फ पिघलने के संकेत के तौर पर देखी जा रही है।
वसुंधरा राजे के सक्रिय होने के संकेत
वसुंधरा राजे ने सतीश पूनिया को छोड़कर बाकी नेताओं के साथ जिस तरह की गर्मजोशी दिखाई, उसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। इसे वसुंधरा राजे के राजस्थान में नए सिरे से सक्रिय होने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
बजट सत्र के बाद वसुंधरा फील्ड के दौरे कर सकती हैं। हालांकि राजे केंद्रीय लीडरशिप से हरी झंडी मिलने के बाद ही फील्ड में सक्रिय होंगी।
पिछली बार जब बीजेपी विपक्ष में थी, तब राजे ने आखिरी साल में ही फील्ड में सक्रियता दिखाई थीं। अब उनके फील्ड में उतरने का उनके समर्थकों को इंतजार है, लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं। राजे की भूमिका पर जल्द फैसला होने की संभावना है।
पोस्टर में फिर हुई वसुंधरा की एंट्री
पार्टी मुख्यालय के होर्डिंग्स में फिर वसुंधरा का चेहरा नजर आ रहा है। पार्टी मुख्यालय पर होर्डिंग्स बदलकर पूर्व मुख्यमंत्री राजे का चेहरा शामिल करने की कवायद को मोदी की नसीहत का ही असर माना जा रहा है। इससे मैसेज यह गया है कि राजे को पार्टी किसी भी स्थिति में इग्नोर नहीं कर सकती। पोस्टर पॉलिटिक्स के जरिए वसुंधरा समर्थकों में यह बात पहुंचाने की कोशिश की गई है कि पूरी पार्टी एक साथ है।
कटारिया कभी राजे के विरोधी थे, बाद में साथ आ गए थे
कटारिया किसी जमाने में वसुंधरा के विरोधी थे, लेकिन बाद में संबंध सुधर गए। वसुंधरा के सीएम रहते दो बार वे मंत्री रहे। दोनों बार गृह मंत्री रहे। आज से 10 साल पहले कटारिया ने यात्रा निकलने की घोषणा की थी। उस मुद्दे पर वसुंधरा नाराज हो गई थीं। कटारिया को यात्रा रद्द करनी पड़ी थी। राजे विरोधी गुट में कटारिया और घनश्याम तिवाड़ी सहित कई नेता थे। 2013 के चुनाव से पहले कटारिया और राजे में सुलह हो गई थी। अब राजे और कटारिया के बीच सियासी रिश्ते ठीक हैं।
गजेंद्र सिंह के राजे से सियासी रिश्ते सहज नहीं रहे
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के बीच सियासी रिश्तों की तल्खी की चर्चा रही है। गजेंद्र सिंह राजे खेमे के नेता नहीं रहे, उन्हें विरोधी खेमे का माना जाता है। गजेंद्र शेखावत भी सीएम रेस में हैं, इसलिए सियासी गलियारों में उनके बीच शह-मात की चालों की चर्चाएं चलती रहती हैं। सियासी प्रतिस्पर्धा के बावजूद सार्वजनिक रूप से कभी तल्खी नहीं दिखाई दी।
ओम प्रकाश माथुर का भी अपना खेमा, राजे के समर्थक नहीं रहे
ओम प्रकाश माथुर भी राजस्थान बीजेपी की सियासत में खुद का खेमा रहा है। वसुंधरा राजे और उनके सियासी रिश्ते आम तौर पर न्यूट्रल ही माने जाते हैं। कुछ मुद्दों पर मतभेद और सहमति के बीच ही सियासी रिश्ते रहे हैं। कई बार ओम माथुर राजे के खिलाफ भी स्टेंड लेते रहे हैं।
इस बातचीत से सियासी नतीजा निकालना जल्दबाजी
वसुंधरा राजे की नेताओं के बीच हो रही बातचीत से किसी तरह का सियासी निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगा। जब राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्वागत की बारी आई तो सब एक सााथ जुटे और एक खुशनुमा माहौल में बात की, यह सब सार्वजनिक था ओर नेताओं को भी पता था कि कैमरे चालू हैं। ऐसे में पार्टी का जनता के बीच कोई गलत मैसेज नहीं जाए, तो सब कुछ गरिमारपूर्ण दिखाने की कोशिश रहती है। आगे बीजेपी में चुनावी साल में किसे क्या जिम्मेदारी दी जाती है और उस पर सब समीकरण निर्भर करेंगे।
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