ग्राउंड रिपोर्टघर-लग्जरी गाड़ियां बेचकर भी नहीं चुका कर्ज:रिटायर्ड DSP ने 2 दिन बाद बंद करा दिया केस, आखिरकार बिजनेसमैन ने खुद को गोली मार ली

जयपुर6 महीने पहलेलेखक: रणवीर चौधरी
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अंग्रेजी में एक लाइन है-

every suicide has a murderer

यानी हर आत्महत्या करने वाला का कोई न कोई कातिल होता है...।

ये केस भी ऐसा ही है, जिसमें 1 आत्महत्या के लिए 5 लोग जिम्मेदार हैं।

ये दर्दनाक कहानी है जयपुर के पॉश इलाके स्वर्णकार कॉलोनी में रहने वाले सोनी परिवार की, जिसकी जिंदगी भर की खुशियां एक बंदूक की गोली के साथ खत्म हो गईं।

घर का मालिक मनमोहन सोनी 5 लोगों के धोखे के कारण 6.5 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा हुआ था...

  • बैंक हर महीने 2 लाख रुपए की किस्त मांग रहा था।
  • कर्ज चुकाने के लिए वो घर बेच दिया, जिसे अरमानों से बनाया था।
  • अपनी फेवरेट मर्सिडीज, फोर्ड एंडेवर जैसी 5 लग्जरी कारें तक बेच दीं।
  • बच्चों की शादी-पढ़ाई के लिए कराई एफडी भी तुड़वा दी।
  • मां, पत्नी और बहन के गहने तक बेच दिए।
  • जिंदगी से हारकर नींद की गोलियां खाकर सुसाइड की कोशिश की।
  • ...और फिर 16 नवंबर को खुद को गोली मार ली।

जिस किसी को इस दर्दनाक वाकये का पता चला, उसकी जुबान पर एक ही सवाल था- आखिर क्या हुआ कि एक हंसता-खेलता परिवार देखते ही देखते उजड़ गया?

इसी सवाल का जवाब जानने के लिए भास्कर टीम स्वर्णकार कॉलोनी पहुंची। रात 10 बजे का वक्त था। नीचे परिवार और पड़ोस के लोग बैठे थे। सन्नाटा टूटा तो ऊपर बैठी घर की महिलाओं की रोने की आवाज से।

भास्कर ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तो रसूख, कर्ज और मौत की दर्दनाक कहानी सामने आई। पढ़िए, पूरी रिपोर्ट…।

मनमोहन के पास पांच लग्जरी कारें थीं। इनमें से उनकी सबसे फेवरेट ये मर्सिडीज। दोस्त और रिश्तेदार पैसे मांगने लगे तो मनमोहन को अपनी फेवरेट कार समेत सभी कारें बेचनी पड़ीं।
मनमोहन के पास पांच लग्जरी कारें थीं। इनमें से उनकी सबसे फेवरेट ये मर्सिडीज। दोस्त और रिश्तेदार पैसे मांगने लगे तो मनमोहन को अपनी फेवरेट कार समेत सभी कारें बेचनी पड़ीं।

टर्नओवर देखकर जाल में फंसाया

शास्त्री नगर के स्वर्णकार कॉलोनी में रहने वाले मनमोहन सोनी (41) की चौड़े रास्ते पर बुलियन की शॉप थी। भाई रोहित सोनी ने बताया कि मनमोहन के बुलियन के बिजनेस का काफी अच्छा टर्नओवर था। हालांकि रिस्क भी उतना ही था।

सत्यार्थ तिवाड़ी को वो करीब 20 सालों से जानते थे। सत्यार्थ का पिता रमेशचंद तिवाड़ी रिटायर्ड डिप्टी एसपी है। बाप-बेटे फाइनेंस का बिजनेस करते थे। सत्यार्थ ने करोड़ों का बिजनेस देखकर 2015-16 मनमोहन को दोस्ती के जाल में फंसाया। मनमोहन को झांसा दिया कि बुलियन(सोने-चांदी) का काम बहुत रिस्की है। हमारे साथ फाइनेंस का बिजनेस करों। तुम्हें सिर्फ हमें रुपए देने हैं और हम वो रुपए लोगों को उधार देकर हर महीने ब्याज के लाखों रुपए कमाकर देंगे।

एक लाख पर हर महीने 1 हजार की कमाई का झांसा

सत्यार्थ ने मनमोहन को बताया- ‘हम उन लोगों को पैसे उधार देते हैं, जिनको बैंक या कोई और पैसे उधार नहीं देता है। पैसा उधार देने के बाद उनसे तीन से चार गुना ब्याज वसूल कर पैसे कमाते हैं। हम तुम्हें एक लाख रुपए पर महीने के 1 हजार रुपए कमाकर देंगे। मेरे पिता रिटायर्ड DSP हैं और बाकी रिश्तेदार भी बड़ी पोस्ट पर हैं। हमारी हर थाने में जान पहचान है और पुलिस के बड़े अधिकारियों से पहचान है। कोई पैसे वापस नहीं लौटाएगा तो हम पुलिस के जरिए उनसे पैसे निकलवा लेंगे।

आरोपियों ने मनमोहन से 6 करोड़ रुपए इन्वेस्ट कराने के बाद ब्याज देना बंद कर दिया। कहा- कोरोना में घाटा होने से सारे पैसे डूब गए। आखिरकार उन्हें सुसाइड करना पड़ा।
आरोपियों ने मनमोहन से 6 करोड़ रुपए इन्वेस्ट कराने के बाद ब्याज देना बंद कर दिया। कहा- कोरोना में घाटा होने से सारे पैसे डूब गए। आखिरकार उन्हें सुसाइड करना पड़ा।

परिवार, दोस्तों से दूर कर जाल में फंसाया

मनमोहन को अपने जाल में फंसाने के लिए सत्यार्थ तिवाड़ी, रमेश चंद तिवाड़ी, एनी भारद्वाज और लोकराज पारीक हर दिन उसे अपनी कार से घर लेने के लिए जाते थे।

सत्यार्थ कभी रेंज रोवर तो कभी मर्सिडीज में मनमोहन को घर लेने जाता और पूरे दिन अपने साथ रखने के बाद देर रात घर छोड़ने जाता था। आरोपियों ने मनमोहन का ब्रेनवॉश कर अपने झांसे में लेने के लिए पहले परिवार और फिर दोस्तों से दूर कर दिया।

करीब 6 महीने तक मनमोहन के खाने के लिए टिफिन तक आरोपी लेकर आते थे। आरोपी मनमोहन को रेंज रोवर और मर्सिडीज में घूमाते और कई पार्टियों में लेकर जाते थे। वहां बड़े-बड़े लोगों से मिलवाकर अपनी रसूख और रुतबे के बारे में बताते थे।

मनमोहन के पूरी तरह झांसे में आने बाद सत्यार्थ तिवाड़ी ने 2016 में पहली बार 6 लाख रुपए लिए। फिर वर्ष 2017-18 में उसकी दुकान करीब 20 लाख रुपए में बिकवा दी। दुकान के 20 लाख रुपए लेकर फाइनेंस के बिजनेस में लगा दिए।

आरोपियों के अच्छा मुनाफा दिलाने के झांसे में आकर मनमोहन ने अपनी बहन, भाई, चचेरे भाई और दोस्तों से रुपए लेकर दे दिए। 40 लाख का लोन को 6 करोड़ तक पहुंच गया।
आरोपियों के अच्छा मुनाफा दिलाने के झांसे में आकर मनमोहन ने अपनी बहन, भाई, चचेरे भाई और दोस्तों से रुपए लेकर दे दिए। 40 लाख का लोन को 6 करोड़ तक पहुंच गया।

मकान पर लोन चढ़वाया, रिश्तेदारों के पैसे भी लगाए

दुकान बेचने के बाद सत्यार्थ तिवाड़ी ने मनमोहन को करोड़ों रुपए फाइनेंस में लगाने के लिए मनाया। सबसे पहले मनमोहन को उनके मकान पर 40 लाख रुपए का लोन दिलाया। इसके बाद उस लोन को बढ़ाकर 1 करोड़ 86 लाख रुपए तक कर दिया। इसके बाद रिश्तेदारों के भी रुपए फाइनेंस में लगाने के लिए कहा। मनमोहन ने सत्यार्थ और उसके पिता के झांसे में आकर अपनी बहन, भाई, चचेरे भाई और दोस्तों से रुपए लेकर आरोपियों को दे दिए। आरोपियों ने मनमोहन से करीब 6 करोड़ रुपए लेकर फाइनेंस पर लगा दिए।

आरोपियों को पता था कि मनमोहन के पास काफी पैसा है। इसलिए ब्रेनवॉश किया और लालच देकर इस कदर फंसाया कि वह परिवार और अपने दोस्तों से दूर होते गए।
आरोपियों को पता था कि मनमोहन के पास काफी पैसा है। इसलिए ब्रेनवॉश किया और लालच देकर इस कदर फंसाया कि वह परिवार और अपने दोस्तों से दूर होते गए।

भरोसा दिलाने के लिए 5 महीने तक ब्याज के पैसे देते रहे आरोपी

आरोपियों ने मनमोहन को शुरुआत में हर महीने 1 लाख रुपए पर 1 हजार रुपए का मुनाफा दिया। इससे मनमोहन उनके झांसे में आते गए। झांसे में आकर मनमोहन ने अपनी दुकान बेची और फिर मकान पर लोन लेकर वो पैसे भी फाइनेंस में लगा दिए। इसके बाद अपने भाई, उसकी पत्नी, बहन समेत परिवार के 15 लोगों के लाखों रुपए और दोस्तों के रुपए भी फाइनेंस में लगा दिए। हर महीने ब्याज मिलने पर उसके जान पहचान के लोग भी फाइनेंस में पैसे लगाने लगे। आरोपियों ने मनमोहन के 6 करोड़ रुपए आने के बाद ब्याज का रुपए देना बंद कर दिया। मनमोहन ने रुपए का तकाजा किया तो आरोपियों ने बहाना बनाया- कोरोना में घाटा होने से सारे पैसे डूब गए।

दृष्टिहीन जीजा के गहने भी बिकवा दिए, 25 लाख हड़पे

मनमोहन के जीजा लोकेश को डायबिटीज है। इससे पहले उनका लीवर और पैर का ऑपरेशन भी हो चुका है। आंखें भी खराब हो गई। 7 बार ऑपरेशन के बाद भी महज 20 प्रतिशत आई विजन है।

बेरोजगार लोकेश को भी आरोपी लोकराज ने झांसा दिया कि वह उन्हें पैसे देंगे तो वो उन्हें हर महीने पैसे कमा देंगे। लोकराज ने लोकेश की जमा पूंजी और गहने बिकवा कर करीब 25 लाख रुपए ले लिए। इसके बाद घाटा लगने का बहाना बनाकर पैसे लौटाने से मना कर दिया और लोकेश के खिलाफ पुलिस में जानलेवा हमले का मामला दर्ज करवा दिया।

ये हैं सुसाइड को मजबूर करने के आरोपी। सत्यार्थ तिवाड़ी, लोकपाल पारीक और रिटायर्ड DSP रमेशचंद। लेनदेन के विवाद को लेकर बिजनेसमैन की पत्नी ने 2020 में शास्त्री नगर थाने में मामला दर्ज कराया था, तब रमेशचंद से अपने रसूख के दम FR(फाइनल रिपोर्ट) लगवा दी। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं। उसके बाद से आरोपी मनमोहन को धमकाने लगे।
ये हैं सुसाइड को मजबूर करने के आरोपी। सत्यार्थ तिवाड़ी, लोकपाल पारीक और रिटायर्ड DSP रमेशचंद। लेनदेन के विवाद को लेकर बिजनेसमैन की पत्नी ने 2020 में शास्त्री नगर थाने में मामला दर्ज कराया था, तब रमेशचंद से अपने रसूख के दम FR(फाइनल रिपोर्ट) लगवा दी। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं। उसके बाद से आरोपी मनमोहन को धमकाने लगे।

घर के गुजारे के लिए मकान बेचा

पैसे फंस गए तो बैंक का लोन चुकाने के लिए मनमोहन को अपना मकान बेचना पड़ा। एक झटके में परिवार सड़क पर आ गया। घर चलाने के लिए इनकम का कोई दूसरा सोर्स नहीं था। परिवार अपने ही मकान में रेंट पर रहने को मजबूर हो गया।

मर्सिडीज सहित पांच कारें और मां के गहने बेचे

मनमोहन ने सत्यार्थ के झांसे में आकर अपने कई रिश्तेदारों और दोस्तों के पैसे भी फाइनेंस के बिजनेस में लगा दिए थे। आरोपियों ने पैसे लौटाने से मना कर दिया था। इधर मनमोहन के पास अब कमाई का कोई जरिया नहीं था। रिश्तेदार और दोस्त भी पैसा मांग रहे थे। मनमोहन ने समाज में इज्जत बनाए रखने के लिए पहले अपना मकान बेचा। फिर अपनी फेवरेट कार मर्सिडीज सहित पांच लग्जरी कारें बेची। मां, पत्नी और बेटी के 1 करोड़ के गहने बेच दिए। इसके बाद भी करोड़ों का कर्जा था।

2020 के मामले में जब पुलिस ने एफआर लगा दी तो मनमोहन ने कोर्ट के जरिए दोबारा मामला दर्ज करवाया। इस पर आरोपियों का टॉर्चर और बढ़ गया। मनमोहन ने तब भी सुसाइड का प्रयास किया और नींद की गोलियां खा ली थीं।
2020 के मामले में जब पुलिस ने एफआर लगा दी तो मनमोहन ने कोर्ट के जरिए दोबारा मामला दर्ज करवाया। इस पर आरोपियों का टॉर्चर और बढ़ गया। मनमोहन ने तब भी सुसाइड का प्रयास किया और नींद की गोलियां खा ली थीं।

पत्नी बोली- रात-रातभर सोते नहीं थे, डिप्रेशन में हमसे भी बात नहीं करते थे

मनमोहन की पत्नी नीतू ने बताया कि आरोपियों की धमकियों से परेशान होकर वे कई महीनों से रातभर सोते नहीं थे। टेंशन इतनी होती थी कि वे दिनभर सोचते रहते थे। डिप्रेशन में हमसे भी कम बात करते थे। मुझे कहते थे- मैंने सत्यार्थ तिवाड़ी के चक्कर में आकर पूरे परिवार का पैसा डूबा दिया। अब मुझे वो धमकाते हैं, मैं परेशान हो गया हूं।

वे मरना नहीं चाहते थे, मरने से पहले उन्होंने वीडियो में भी कहा कि वे कई दिनों से सोच रहे है लेकिन हिम्मत नहीं हो रही। लेकिन पुलिस और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली और आरोपी उन्हें बार-बार धमका रहे हैं। 2020 में भी सुसाइड का प्रयास किया था। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर उनकी हिम्मत टूट गई। उन्होंने घर, कारें, गहने सब बेच दिया फिर भी कर्जा नहीं उतरा तो सुसाइड कर लिया। मेरे पति की हत्या के जिम्मेदारों को जब तक सजा नहीं मिले मुझे इंसाफ नहीं मिलेगा।

बेटी की शादी के गहने भी बेच दिए

नीतू ने बताया- हमारे दो बच्चे हैं। यश (19) बीकॉम सेकेंड ईयर में पढ़ रहा है और बेटी इशिता (15) 12वीं में पढ़ रही है। मेरे पति बेटी इशिता को IAS बनाना चाहते थे। उसकी पढ़ाई और कोचिंग के लिए उन्होंने 20 लाख रुपए बैंक में जमा कर रखे थे और बेटी की शादी के लिए पूरे गहने बना रखे थे। उन्होंने बेटी पढ़ाई के 20 लाख रुपए और गहने बेचकर कर्जा चुकाया।

सत्यार्थ तिवाड़ी: लोगों को झांसे में लेने के लिए लग्जरी गाड़ियों में घूमता है

सत्यार्थ तिवाड़ी फाइनेंस का बिजनेस करता है। सी स्कीम में प्राइवेट फाइनेंस का ऑफिस और शास्त्रीनगर में घर है। लोगों को घर बैठे लाखों रुपए कमाने के लिए फाइनेंस में पैसे लगाने के लिए कहता था। झांसे में लेने के लिए सत्यार्थ रेंज रोवर और मर्सिडीज में घूमता है। पैसे डूबने पर कोई रुपए वापस मांगता तो पिता रिटायर्ड डिप्टी का रसूख दिखाता। परिवार वालों का आरोप है कि मनमोहन जब पैसे मांगने गए तो सत्यार्थ ने अपने साथियों के साथ उन्हें धमकाया। एक अधिकारी से बात करके धमकाया। पुलिस उसको भी बचाने में जुटी है।

रिटायर्ड DSP रमेशचंद तिवाड़ी: दो बार बंद करा दी फाइल

मनमोहन ने सबसे पहले 2020 में शास्त्रीनगर थाने में आरोपियों के खिलाफ थाने में शिकायत की थी। रिटायर्ड डिप्टी रमेशचंद ने पुलिस अधिकारियों से पहचान और रसूख से मामला दर्ज नहीं होने दिया। इसके बाद मनमोहन ने कोर्ट में इस्तगासे से मामला दर्ज करवाया। इसके बाद भी रमेशचंद ने मामले में एफआर लगवाकर फाइल क्लोज करा दी। 18 दिसंबर को मनमोहन ने आरोपियों की धमकियों से परेशान होकर नींद की गोलियां खाकर सुसाइड करने का प्रयास किया। इसके बाद उसकी पत्नी ने आरोपियों के खिलाफ फिर से मामला दर्ज करवाया लेकिन इस बार भी रमेशचंद ने मामले में एफआर लगा कर फाइल बंद करवा दी।

लोकराज पारीक: मनमोहन के रिश्तेदारों से 40 लाख उधार ले लिए

लोकराज पारीक आरोपियों का पार्टनर है और निर्माण नगर में रहता है। लोकराज ने मनमोहन के नाम से उसके रिश्तेदारों से 40 लाख रुपए लेकर फाइनेंस में लगा दिए। इसका पता मनमोहन को तब लगा, जब लोग उनसे पैसे लेने आए।

एनी भारद्वाज: कुछ महीने कमीशन दिया, फिर पैसे हड़प लिए

एनी भरद्वाज भी आरोपियों के फाइनेंस के बिजनेस में पार्टनर थे। आरोपियों ने लोगों को चार से पांच महीने तक कमीशन के नाम पर हर महीने पैसे दिए थे। उसके बाद कोरोना में घाटा लगने का बहाना बनाकर करोड़ों रुपए हड़प लिए।

मनमोहन सोनी के सुसाइड से पहले हुए मामलों में पुलिस ने हर बार आरोपियों का साथ दिया। परिवार और समाज के लोगों ने 16 नवंबर की रात शास्त्री नगर थाने का घेराव किया तब जाकर पुलिस ने गुरुवार को आरोपियों को गिरफ्तार किया।
मनमोहन सोनी के सुसाइड से पहले हुए मामलों में पुलिस ने हर बार आरोपियों का साथ दिया। परिवार और समाज के लोगों ने 16 नवंबर की रात शास्त्री नगर थाने का घेराव किया तब जाकर पुलिस ने गुरुवार को आरोपियों को गिरफ्तार किया।

पहले मुकदमे में कर दी फाइल क्लोज

मनमोहन की पत्नी नीतू सोनी ने बताया कि मनमोहन ने पहली बार वर्ष 2020 में शास्त्रीनगर थाने में सत्यार्थ तिवाड़ी, रिटायर्ड डिप्टी रमेशचंद तिवाड़ी, लोकराज पारीक, एनी भरद्वाज और यर्थात तिवाड़ी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दी थी। लेकिन पुलिस ने कई दिनों तक मामला दर्ज ही नहीं किया। इस पर उनके पति ने कोर्ट में इस्तगासे से मामला दर्ज करवाया। लेकिन पुलिस ने मामले में जांच कर एफआर लगाकर फाइल क्लोज कर दी। इसके बाद आरोपियों ने एक दिन मनमोहन को अपने ऑफिस में बुलाया और धमकाया- अगर उसने अब कहीं भी शिकायत की तो वो उसे झूठे मामले में फंसा देंगे। पैसे मांगने पर वे मनमोहन और उसके रिश्तेदारों को धमकाने लगे।

दूसरे मुकदमे में भी लगा दी एफआर

मनमोहन ने धमकियों से परेशान होकर 18 दिसंबर 2020 को दी की गोलियां खाकर सुसाइड का प्रयास किया। मनमोहन की पत्नी ने इस बार आरोपियों के खिलाफ दूसरी बार शास्त्रीनगर थाने में मामला दर्ज करवाया। इस बार भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इधर आरोपियों ने मनमोहन, उसकी पत्नी, जीजा और ससुर पर ही जानलेवा हमले का मामला दर्ज करवाया दिया।

सुसाइड के बाद मामला शांत नहीं हुआ तो आरोपियों को पकड़ा

मनमोहन ने 16 नवंबर को अपने पिस्टल से खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया। सुसाइड के बाद परिवार और रिश्तेदारों ने थाने के बाहर प्रदर्शन कर बॉडी लेने से इंकार कर दिया। परिजन आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे। थाने के बाहर मनमोहन के परिवार और समाज के लोगों के प्रदर्शन से मामला शांत नहीं होते देख पुलिस ने गुरुवार को सत्यार्थ, लोकराज और रमेशचंद को गिरफ्तार किया।

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