सलूंबर से भाजपा विधायक अमृत मीणा को पत्नी की फर्जी अंकतालिका जारी कराकर 2015 के पंचायत चुनाव लड़ाने के मामले में जेल भेजा गया है। ऐसे में सवाल है कि प्रदेश में 2015 के पंचायत चुनावाें में 1068 मामले ऐसे थे, जिन्हाेंने फर्जी मार्कशीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। इनसे से 98% को न तो निलंबित किया गया, न ही गिरफ्तारी हुई। ये सब अपना कार्यकाल भी पूरा कर चुके हैं। बता दें कि सीएम गहलोत ने शैक्षणिक योग्यता का राइडर हटा दिया है।
क्यों? हल्की धाराएं लगा केस कमजोर किया गया
मार्कशीट फर्जीवाड़े की अधिकांश कड़ियां पुलिस की लापरवाही से अनसुलझी रहीं। पुलिस ने इन मामलों में हल्की धाराएं लगाकर केस काे कमजोर किया। जिन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है, उनमें भी पुलिस ने सात साल से ज्यादा की सजा वाली धाराएं ही नहीं लगाईं।
दरअसल, सीआरपीसी 41 में संशोधन के बाद पुलिस आरोपी को सात साल से कम सजा वाले प्रकरण में सीधे गिरफ्तार नहीं कर सकती है। कोर्ट में सीधे आरोपी के खिलाफ नोटिस देकर चालान पेश कर दिया। ताकि आरोपी की गिरफ्तारी ही नहीं हो पाए। राज्य सरकार ने ऐसे आरोपियों के खिलाफ निलंबन की कोई कार्रवाई भी नहीं की।
कौन? विधायक रहते हुए सलाखों के पीछे पहुंचे
विधायक रहते हुए सलाखों के पीछे पहुंचने वाले चर्चित चेहरों में कांग्रेस के पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और पूर्व विधायक मलखान का नाम सबसे ज्यादा चर्चित रहा। इन्हें भंवरी देवी हत्याकांड में दाेषी माना गया था। इसके बाद पिछली वसुंधरा सरकार में बसपा के पूर्व विधायक बीएल कुशवाह काे ऑनर किलिंग के मामले में सजा सुनाई गई थी। उनकी विधायकी खत्म हुई ताे उनकी पत्नी शोभारानी ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीता। इसके बाद अब बीजेपी के अमृत लाल मीणा काे जेल जाना पड़ा है। उन पर आरोप है कि पत्नी की 5वीं की फर्जी मार्कशीट बनवाई और उस पर बतौर अभिभावक हस्ताक्षर किए।
ये भी फंसे थे? गिर्राज मलिंगा का केस पेंडिंग है
धौलपुर के बाड़ी से कांग्रेस विधायक गिर्राजसिंह मलिंगा पर 9वीं की फर्जी मार्कशीट से 10वीं में प्रवेश लेकर परीक्षा पास करने का आरोप लगा था। मामला यूपी के आगरा में दर्ज हुआ था। मलिंगा से हारे भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक जसवंत सिंह गुर्जर ने इस संबंध में शिकायत की थी। जांच के बाद आगरा के जिला विद्यालय निरीक्षक रवींद्रसिंह ने केस दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। उस समय मलिंगा ने इसे भाजपा की साजिश बताया था। इस मामले में अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गिर्राज ने कहा था कि यह मामला आगरा में नहीं बल्कि राजस्थान में दर्ज होना चाहिए था।
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