बॉण्ड नीति के विरोध में हड़ताल पर चल रहे रेजीडेंट्स डॉक्टर्स आज से जयपुर में इमरजेंसी में भी अपनी सेवाएं बंद कर दी। इसका सबसे ज्यादा असर जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में देखने को मिला। रेजीडेंट्स के इस कदम के बाद एसएमएस प्रशासन को गंभीर मरीजों के लिए डॉक्टर्स की वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी। हड़ताल से एसएमएस में बढ़ती परेशानी को देखते हुए मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट ने 27 और डॉक्टर्स की सेवाएं हॉस्पिटल प्रशासन को दी है। इधर रेजीडेंट्स डॉक्टर्स के संगठन जार्ड ने देर शाम प्रदर्शन करते हुए एसएमएस मेडिकल कॉलेज से त्रिमूर्ति सर्किल तक कैंडल मार्च निकाला और त्रिमूर्ति सर्किल पर एक घंटे तक धरना दिया।
एसएमएस हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने बताया कि हॉस्पिटल में 11 अक्टूबर से अब तक 77 डॉक्टर्स ने ज्वाइन कर लिया है, जिन्हें इमरजेंसी, ट्रोमा और उनकी योग्यता के अनुसार अलग-अलग डिपार्टमेंट में सर्विस के लिए लगाया है। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी से रेजीडेंट्स के कार्य बहिष्कार से व्यवस्थाएं तो प्रभावित हुई हैं, लेकिन इन्हें पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमने प्रशासन से कुछ और डॉक्टर्स की डिमांड की है।
दूसरे दिन भी निकाला कैंडल मार्च
भले ही सरकार दावा कर रही हो कि प्रदेशभर में 85 फीसदी रेजीडेंट्स डॉक्टर्स ने हड़ताल वापस ले ली हो, लेकिन जयपुर जार्ड में अधिकांश डॉक्टर्स अब भी हड़ताल पर है। आज भी 100 से ज्यादा डॉक्टर्स ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज से कैंडल मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए त्रिमूर्ति सर्किल पहुंचे। यहां इन्होंने त्रिमूर्ति सर्किल के सामने करीब एक घंटे तक धरना दिया। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट्स डॉक्टर्स (जार्ड) से जुड़े पदाधिकारी अब भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है। इसको लेकर जार्ड के पदाधिकारी ने बताया कि गुरुवार को भी सरकार स्तर पर कोई बात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करेगी हड़ताल जारी रहेगी।
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