कोरोना की मार ऐसी पड़ी कि रोजी-रोटी छीन गई। काम की तलाश में घर से 200 किमी दूर जयपुर पहुंचे तो यहां भी रोजगार नहीं मिला। ऐसे में न दो वक्त की रोटी मिली और न सर्द रात में सोने का ठिकाना।
जयपुर के त्रिपोलिया, चांदपोल, गणगौरी बाजार, किशनपोल, चौड़ा रास्ता, जौहरी बाजार, पोलोविक्ट्री, रामगंज, सिंधी कैंप, रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में फुटपाथ पर मजदूर रात बिताते नजर आ रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद बमुश्किल काम मिला था, लेकिन तीसरी लहर के बाद फिर हालात बिगड़ गए हैं। ऐसे में अब सड़क पर रहकर रोजगार का इंतजार करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है।
दौसा के सोनू अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए लंबे वक्त से जयपुर में रहकर मजदूरी का काम कर रहा है। कोरोना के बढ़ते कहर के बाद लागू हुई सख्ती की वजह से अब मजदूरी का काम भी नहीं मिल रहा है। दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने की जुगत में जुटा सोनू शहर की सड़कों पर कड़कड़ाती ठंड में रात बिता रहा है। सोनू ने बताया कि पहले वह मजदूरी कर रोजाना 400 से 500 रुपए कमा लेता था। पिछले 15 दिनों से कहीं काम नहीं मिला है। इस कारण खाना खाने तक के पैसे नहीं है। मेरे साथ अब मेरे परिवार के लोग भी भूखा सोने को मजबूर है।
सवाई माधोपुर के रामकृष्ण ने बताया कि काम-धंधे चौपट हो गए हैं। दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भी मुश्किल हो रहा है। रैन बसेरों में भी जगह नहीं मिल रही। मजबूरी में सड़क पर ही रात बितानी पड़ रही है। रामकृष्ण ने बताया कि 3 दिन से खाना तक नहीं खाया है। न नेता और न ही कोई अधिकारी हम जैसे लोगों की सुध ले रहे हैं। ऐसे में भूखे पेट रोजगार का इंतजार करने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है।
दूदू के महेश ने बताया कि बच्चे बड़े हो गए हैं। उनकी शादी करने के लिए जयपुर में आकर मजदूरी शुरू की थी। कुछ दिनों से हालात इतने बुरे हो गए हैं कि मुझे सड़कों पर रात बितानी पड़ रही है। मजदूरी का काम नहीं मिला तो शादियों में वेटर का काम शुरू कर दिया था। मेहमानों की संख्या कम करने से शादियों में भी काम नहीं मिला। अब रेस्टोरेंट और ढ़ाबों पर बर्तन धोकर गुजर बसर करने की कोशिशों में जुटा हूं। महेश ने कहा कि सरकार को भी हम जैसे लोगों के बारे में सोचना चाहिए।
ब्यावर के गिरधारी ने बताया कि कोरोना और हर दिन बढ़ती सर्दी ने जिंदगी को जंग में बदल दिया है। हर दिन दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में भटकते रहते हैं। काम नहीं मिल रहा है। गिरधारी ने बताया कि कोरोना ने फिर से मजदूर वर्ग की जिंदगी को तहस-नहस कर दिया है। हालात पूरी तरह बिगड़ चुके हैं। सरकार ने हमारे बारे में नहीं सोचा तो हजारों मजदूर रोजगार और खाने के इंतजार में ही दम तोड़ देंगे।
रैन बसेरों में जगह नहीं
जयपुर में सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं ने दो दर्जन से ज्यादा रैन बसेरे बनाए हैं। जहां सोने के साथ ही खाने की भी व्यवस्था है। कोरोना प्रोटोकॉल और हर दिन बढ़ती बेघर लोगों की संख्या की वजह से अब भी सैकड़ों लोगों को रैन बसेरों में जगह नहीं मिल रही। ऐसे में लोग सड़कों पर रात बिता रहे हैं।
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