पठान फिल्म के विवाद पर बोले गीतकार इरशाद कामिल:कहा- बायकॉट हैशटैग, हमारे गांव के चिड़ी उड़; तोता उड़ खेल की तरह

जयपुर4 महीने पहले
  • कॉपी लिंक
गीतकार इरशाद को मिला द्वारका प्रसाद अग्रवाल अवॉर्ड। - Dainik Bhaskar
गीतकार इरशाद को मिला द्वारका प्रसाद अग्रवाल अवॉर्ड।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल( जेएलएफ) में रविवार को गीतकार इरशाद कामिल को द्वारका प्रसाद अग्रवाल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। दौरान दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर एलपी पंत ने पठान फिल्म के बायकाॅट को लेकर सवाल पूछा।

इस पर कामिल ने कहा- छोटे से कस्बे से हूं। वहां छोटा से मोहल्ले में रहता था। जिसमें मैं खेल खेला करता था। हम चिड़ी उड़, तोता उड़ कहते थे। इसमें बहुत से बच्चे सर्कल में बैठ जाते थे। उसमें एक बच्चा चिड़ी उड़ बोलता था, उसके बाद सभी बच्चे हाथ ऊपर लेकर जाकर चिड़ी उड़ बोलते थे। ऐसे में वह सारे पंक्षियों के नाम ले लेता था। इस गेम में एक बार वह कार उड़ भी बोलता था। बाकी बच्चे फिर उसी की तरह कार उड़ बोलते थे। बायकॉट का हैशटैग भी वैसा ही है।

उन्होंने कहा- कोई भी फिल्म किसी की कल्पना से निकलती है। एक फिल्म दो घंटे की कहानी होती है। ऐसे में दो मिनट में किसी संदर्भ में रखकर नहीं देख सकते कि इसका सब्जेक्ट गलत है। उस सब्जेक्ट को गलत दो घंटे की फिल्म देखकर ही कहा जा सकता है। निर्देशक और लेखक की कल्पना से फिल्म बनती है, ऐसे में किसी की कल्पना का बायकॉट आप कैसे कर सकते हैं।

इरशाद कामिल ने कहा- जहां तक बेशरम रंग की बात है, तो यह उनका रंग है। मेरा रंग वह है। जो मेरे किरदार का रंग है। बड़े-बड़े हीरो हैं, सलमान भाई, शाहरुख खान भाई, अजय देवगन भाई। ये बाद में हीरोइन के साथ गाना गाते हैं। मैं तो इनसे पहले ही अपनी टेबल पर वह गाना गा देता हूं।

गीतकार इरशाद कामिल का सम्मान दरबार हॉल में किया गया।
गीतकार इरशाद कामिल का सम्मान दरबार हॉल में किया गया।

सेशन के दौरान उन्होंने अपनी कुछ रचनाओं को भी सुनाया

अपने ही खिलाफ उतना ही किरदार मत बना
मैं पुल बना रहा हूं, तू दीवार मत बना
मरहम की चादरें न चढ़ा देंगी चोट पर
ये जख्म रहने दे तू मजार मत बना
रिश्ते सियासतों से नहीं चल सके कभी
घर में ही जोड़ तोड की सरकार मत बना

मैं उसका हो भी चुका और उसे खबर भी नहीं
इलाही इस खबर से ...बेखबर करे मुझको
मैं जी रहा हूं किसी आस के धुंधलके में
मैं लापता हूं किसी नाजनीं के हलके में
टूट जाए ये मेरी बेहोशी मोड़ ऐसा भी

पं. हरिप्रसाद चौरसिया ने अपने जिंदगी के पन्नों को साझा किया

वहीं, ब्रेथ ऑफ गॉड सेशन में शनिवार को पं. हरिप्रसाद चौरसिया ने अपने जिंदगी के पन्नों को साझा किया। वे पं. शिव कुमार शर्मा के साथ जुड़ाव पर बड़े इमोशनल हो गए और कहा कि मेरे शरीर का एक हिस्सा मुझसे छूट गया है और अब सिर्फ दूसरा हिस्सा ही बचा है। शिव का जाना मेरे जीवन का सबसे खराब पल है। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा स्टूडेंट्स बनकर रहना चाहता हूं। हमेशा नया सीखने को मिलता है, जब भी मेरे सामने कोई नया अच्छा बजाता है तो उससे भी सीखता हूं। म्यूजिक सीखना एक तपस्या की तरह है और मैं यह तपस्या हमेशा करता रहना चाहता हूं।

उन्होंने कहा कि अक्सर लोगों को यह चिंता होती है कि वाद्य यंत्र बहुत महंगे होते हैं, बच्चे महंगे वाद्य खरीद नहीं पाते। मैं कहता हूं कि बांसुरी जैसा वाद्य न तो कभी था, न है और न होगा। बांस का एक ऐसा टुकड़ा, जो मुफ्त में मिल जाता है, जिसमें न तो चमड़ा है, न तार और न ही उसे ट्यून करने की आवश्यकता है। यहां तक की एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चैक में कई वाद्यों को खोल दिया जाता है, लेकिन बांसुरी तो गोल और आर-पार दिखने वाली होती है, हम तो यहां भी बच जाते हैं। बस वहां के अधिकारी बांसुरी सुनाने की जिद जरूर कर लेते है और हम उन्हें भी सुनाकर आ जाते हैं।

जेएलएफ में ब्रेथ ऑफ गॉड सेशन में पं. हरिप्रसाद चौरसिया ने अपनी जिंदगी के पन्नों को साझा किया।
जेएलएफ में ब्रेथ ऑफ गॉड सेशन में पं. हरिप्रसाद चौरसिया ने अपनी जिंदगी के पन्नों को साझा किया।

चौरसिया ने बॉलीवुड में काम करने को लेकर कहा कि मैं खुशनसीब हूं कि अच्छे म्यूजिक डायरेक्टर, प्रोड्यूसर्स के साथ काम करने को मिला। मेरे साथ एक फिल्म में काम करने वाली, मेरा गाना गाने वाली सिंगर यहां हमारे बीच बैठी है, जो आपके जयपुर से ही है। उसका नाम ईला अरुण है। इस पर ईला खड़ी हुूई और कहा कि हरीभाई के साथ हमारे पारिवारिक रिश्ते हैं और मैं खुशनसीब हूं कि यशराज बैनर की हरीभाई के म्यूजिक वाली फिल्म लम्हे में गाने का मौका मिला, जिस गाने का नाम था मोरनी बागां मा बोले आधीरात है।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मुगल टेंट के साथ ही चार अलग वेन्यू ही बनाए गए हैं। जिनमें चारबाग, दरबार हॉल, बैठक और फ्रंट लॉन शामिल है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मुगल टेंट के साथ ही चार अलग वेन्यू ही बनाए गए हैं। जिनमें चारबाग, दरबार हॉल, बैठक और फ्रंट लॉन शामिल है।
लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजकों ने कहा कि 16 साल से इसी तरह मुगल टेंट का डिजाइन चलता आ रहा है। जिसे लेकर कभी विवाद नहीं हुआ। लेकिन इस बार कुछ लोग पब्लिसिटी पाने के लिए इसका विरोध कर रहे हैं।
लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजकों ने कहा कि 16 साल से इसी तरह मुगल टेंट का डिजाइन चलता आ रहा है। जिसे लेकर कभी विवाद नहीं हुआ। लेकिन इस बार कुछ लोग पब्लिसिटी पाने के लिए इसका विरोध कर रहे हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने 'बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' नाम से अवॉर्ड की शुरुआत की गई है।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने 'बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' नाम से अवॉर्ड की शुरुआत की गई है।

भारतीय भाषाओं में साहित्यिक कृतियों को विशेष सम्मान मिलेगा

बैंक ऑफ बड़ौदा ने 'बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' नाम से अवॉर्ड की शुरुआत की गई है। इस सम्मान की शुरुआत भारतीय भाषाओं में साहित्यिक लेखन कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव चड्ढा ने एक विशेष सत्र में इसकी घोषणा की। इस अवसर पर बैंक के कार्यपालक निदेशक अजय के. खुराना भी उपस्थित थे।

यह पुरस्कार मूल रूप से क्षेत्रीय भाषाओं में लिखे गए चयनित उपन्यास के मूल लेखक और इसके अनुवादक, दोनों को ही प्रदान किया जाएगा। इसके तहत हर साल सम्मानित उपन्यास के मूल लेखक को 21 लाख और उस कृति के अनुवादक को 15 लाख और अन्य पांच चयनित कृतियों के लिए प्रत्येक मूल लेखक को 3 लाख व अनुवादक को 2 लाख रुपए पुरस्कार में दिए जाएंगे। अजय के. खुराना ने कहा कि यह बैंक के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। हम इस सम्मान की शुरुआत कर भारतीय भाषा, साहित्य और अनुवाद तीनों क्षेत्रों के लिए अहम योगदान देने वाले हैं। इस अवसर पर बुकर पुरस्कार से सम्मानित बहुचर्चित लेखिका गीतांजलि श्री सहित देश-विदेश के साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में यूथ सबसे ज्यादा संख्या में पार्टिसिपेट कर रहा है। इस वजह से जेएलएफ साहित्य के साथ फैशन का भी महाकुंभ बन गया है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में यूथ सबसे ज्यादा संख्या में पार्टिसिपेट कर रहा है। इस वजह से जेएलएफ साहित्य के साथ फैशन का भी महाकुंभ बन गया है।
JLF के पांच दिन के आयोजन में पांच अलग-अलग वेन्यू पर 200 से ज्यादा सेशंस का आयोजन किया जा रहा है।
JLF के पांच दिन के आयोजन में पांच अलग-अलग वेन्यू पर 200 से ज्यादा सेशंस का आयोजन किया जा रहा है।

JLF की शब्दों और साहित्य की महफिल में फैशन के रंग भी गुलजार हो रहे हैं। होटल क्लार्क्स आमेर में आयोजित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हजारों की संख्या में यंगस्टर्स हिस्सा बन रहे है। यहां विंटर फैशन का डिफरेंट अंदाज भी लोगों के बीच सुर्खिंयां बटोर रहा है।

हुडी, जैकेट्स, बूट्स, कैप सहित कई तरह के डिजाइनर ड्रेसेज जेएलएफ में चर्चा का विषय बनी हुई है। गर्ल्स ब्लेजर को शर्ट, टी-शर्ट, टयूनिक, साड़ी, लहंगा, स्कर्ट के साथ पहने दिखाई दे रही है। ​​​​​​ जेएलएफ में देशी-विदेशी टूरिस्ट‌्स की संख्या भी इस बार काफी ज्यादा नजर आ रही है।

जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में हो रहे फेस्टिवल में फ्लाइंग बर्ड थीम पर सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है जहां बड़ी संख्या में लोग सेल्फी और फोटोग्राफ्स क्लिक करते नजर आते हैं।
जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में हो रहे फेस्टिवल में फ्लाइंग बर्ड थीम पर सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है जहां बड़ी संख्या में लोग सेल्फी और फोटोग्राफ्स क्लिक करते नजर आते हैं।

350 स्पीकर हिस्सा ले रहे हिस्सा

फेस्टिवल के 16वें संस्करण में 21 भारतीय और 14 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं से ताल्लुक रखने वाले करीब साढ़े तीन सौ स्पीकर शामिल हो रहे हैं। स्पीकर्स और पैनलिस्ट्स में ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए पिछले साल के अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि, बुकर विजेता बर्नार्डिन एवरिस्टो, गुलजार, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, शोभा डे, शबाना आजमी, जावेद अख्तर, शशि थरूर, आंचल मल्होत्रा, अमीष त्रिपाठी, सुधा मूर्ति, अश्विन सांघी, फिल्म निर्माता ओनिर, नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुल रज्जाक गुरनाह और भारतीय खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक अमरजीत सिंह दुलत जैसे जाने-माने चेहरे शामिल हैं।

लिटरेचर फेस्टिवल में अलग अलग तरह का फैशन भी नजर आ रहा है। ट्रेडिशनल कपड़ों के साथ युवा वेस्टर्न आउटफिट में भी पहुंच रहे हैं।
लिटरेचर फेस्टिवल में अलग अलग तरह का फैशन भी नजर आ रहा है। ट्रेडिशनल कपड़ों के साथ युवा वेस्टर्न आउटफिट में भी पहुंच रहे हैं।
क्लार्क्स आमेर होटल में हो रहे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कॉलेज और स्कूल स्टूडेंट्स की संख्या भी काफी है।
क्लार्क्स आमेर होटल में हो रहे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कॉलेज और स्कूल स्टूडेंट्स की संख्या भी काफी है।
लिटरेचर फेस्टिवल के साथ हर दिन शाम को म्यूजिक नाइट का आयोजन भी किया जा रहा है। जिसमें देश के फेमस म्यूजिकल बैंड द्वारा परफॉर्म किया जाता है।
लिटरेचर फेस्टिवल के साथ हर दिन शाम को म्यूजिक नाइट का आयोजन भी किया जा रहा है। जिसमें देश के फेमस म्यूजिकल बैंड द्वारा परफॉर्म किया जाता है।
होटल क्लार्क्स आमेर में बुजुर्ग और जरूरतमंद लोगों के लिए पोलो कार रखी गई है। जो मेन गेट से ही गेस्ट को लेकर फेस्टिवल के अलग-अलग वेन्यू पर ले कर जाती है।
होटल क्लार्क्स आमेर में बुजुर्ग और जरूरतमंद लोगों के लिए पोलो कार रखी गई है। जो मेन गेट से ही गेस्ट को लेकर फेस्टिवल के अलग-अलग वेन्यू पर ले कर जाती है।
होटल क्लार्क्स आमेर में साहित्य के महाकुंभ में सर्दी से बचने के लिए फैशन का भी अलग अंदाज देखने को मिल रहा है। अलग-अलग सेशंस के दौरान यंगस्टर्स सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े और लॉन्ग बूट पहन रहे हैं।
होटल क्लार्क्स आमेर में साहित्य के महाकुंभ में सर्दी से बचने के लिए फैशन का भी अलग अंदाज देखने को मिल रहा है। अलग-अलग सेशंस के दौरान यंगस्टर्स सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े और लॉन्ग बूट पहन रहे हैं।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में न सिर्फ जयपुर और राजस्थान बल्कि भारत और दुनिया भर से हर उम्र के लोग पहुंच रहे हैं।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में न सिर्फ जयपुर और राजस्थान बल्कि भारत और दुनिया भर से हर उम्र के लोग पहुंच रहे हैं।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सिर्फ जयपुर तक बल्कि देश और दुनिया भर में भी चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम पर #JLF ट्रेंड कर रहा है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सिर्फ जयपुर तक बल्कि देश और दुनिया भर में भी चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम पर #JLF ट्रेंड कर रहा है।
बेहतरीन संगीतकारों, यादगार धुनों और कभी न भूलने वाले नाइट बाजार के अनुभव के साथ जयपुर म्यूजिक स्टेज के तीसरे और अंतिम दिन कबीर कैफे ने खूब सुर्खिंया बटोरी।
बेहतरीन संगीतकारों, यादगार धुनों और कभी न भूलने वाले नाइट बाजार के अनुभव के साथ जयपुर म्यूजिक स्टेज के तीसरे और अंतिम दिन कबीर कैफे ने खूब सुर्खिंया बटोरी।
लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान सबसे ज्यादा यंगस्टर होटल क्लार्क्स आमेर पहुंच रहे हैं। जो साहित्य के साथ फैशन के अलग ट्रेंड को लेकर भी क्रेजी नजर आ रहे हैं।
लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान सबसे ज्यादा यंगस्टर होटल क्लार्क्स आमेर पहुंच रहे हैं। जो साहित्य के साथ फैशन के अलग ट्रेंड को लेकर भी क्रेजी नजर आ रहे हैं।
शाम को हो रहे म्यूजिक परफॉर्मेंस को देखने बड़ी संख्या में युवा पहुंच रहे हैं। हर दिन अलग-अलग बैंड परफॉर्म कर रहे हैं।
शाम को हो रहे म्यूजिक परफॉर्मेंस को देखने बड़ी संख्या में युवा पहुंच रहे हैं। हर दिन अलग-अलग बैंड परफॉर्म कर रहे हैं।
जेएलएफ के म्यूजिक कंसर्ट को भी काफी पसंद किया जाता है।
जेएलएफ के म्यूजिक कंसर्ट को भी काफी पसंद किया जाता है।
लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान वे न्यू को लेकर भी एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। आयोजकों द्वारा पांच अलग-अलग वैल्यू बनाए गए हैं। जिसमें मुगल टेंट के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है। वहीं आयोजकों ने इसे नहीं बदलने की बात कही है बात कही है।
लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान वे न्यू को लेकर भी एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। आयोजकों द्वारा पांच अलग-अलग वैल्यू बनाए गए हैं। जिसमें मुगल टेंट के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है। वहीं आयोजकों ने इसे नहीं बदलने की बात कही है बात कही है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में गीतकार जावेद अख्तर ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई अनसुने पहलुओं पर खुलकर बात की। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं सर्कस का जोकर नहीं जो घर पर जाकर भी उल्टा लटका रहूं।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में गीतकार जावेद अख्तर ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई अनसुने पहलुओं पर खुलकर बात की। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं सर्कस का जोकर नहीं जो घर पर जाकर भी उल्टा लटका रहूं।
सबसे ज्यादा ऑडियंस सुधा मूर्ति, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, शशि थरूर और रवीश कुमार के सेशन में देखने को मिली।
सबसे ज्यादा ऑडियंस सुधा मूर्ति, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, शशि थरूर और रवीश कुमार के सेशन में देखने को मिली।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शशी थरूर के बयान एक बार फिर चर्चा का कारण बन गए हैं। उन्होंने राजस्थान की राजनीति में चल रही बयानबाजी को गलत ठहराते हुए अशोक गहलोत को इस तरह बयान न देने की सलाह दी है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शशी थरूर के बयान एक बार फिर चर्चा का कारण बन गए हैं। उन्होंने राजस्थान की राजनीति में चल रही बयानबाजी को गलत ठहराते हुए अशोक गहलोत को इस तरह बयान न देने की सलाह दी है।
फेस्टिवल में साहित्य के महाकुंभ के साथ बुक स्टॉल और फूड स्टॉल भी लगाई गई है। जहां पर लजीज व्यंजनों के साथ साहित्य प्रेमियों की अलग दुनिया नजर आ रही है।
फेस्टिवल में साहित्य के महाकुंभ के साथ बुक स्टॉल और फूड स्टॉल भी लगाई गई है। जहां पर लजीज व्यंजनों के साथ साहित्य प्रेमियों की अलग दुनिया नजर आ रही है।

फोटो क्रेडिट- ऋषभ सैनी