तीन दोस्त, जिन्होंने पढ़ने के लिए राजस्थान छोड़ा। पिता के पास रुपए नहीं थे तो दुकानों के बाहर झाड़ू लगाई। एक के पिता कुल्फी बेचते थे तो दूसरे गली-गली में कपड़ों की गाड़ी चलाकर सामान बेचते थे। वहीं, तीसरे के पिता सरकारी टीचर थे। तीनों का सपना एक था, अपना बिजनेस शुरू करना। तीनों की मुलाकात सिंगापुर में हुई।
बूंदी के रहने वाले प्रतीक राजानी के पिता कपड़े की गाड़ी चलाया करते थे। घर-घर जाकर कपड़े बेचते थे। घर में पैसों की कमी थी, इसलिए प्रतीक कम उम्र में ही काम कर रुपए इकट्ठा करने लगे। 15 साल की उम्र में उन्होंने कपड़ों की दुकान पर काम किया। पैसों के लिए दुकानों के बाहर झाड़ू भी लगाया करते थे। इसके बाद उन्होंने नौकरी कर इकट्ठा किए रुपयों से उदयपुर की पेसिफिक यूनिवर्सिटी में एडमीशन लिया। यहां से उनकी जिंदगी बदलने लगी।
उदयपुर की इस यूनिवर्सिटी में प्रतीक की मुलाकात हर्ष शर्मा से हुई। हर्ष भी चित्तौड़गढ़ की एक मिडिल क्लास फैमिली से हैं। उनके पिता सरकारी स्कूल में मैथ के टीचर थे। दोनों ने साथ में होटल इंडस्ट्री की पढ़ाई की। इसके बाद साथ में ही उदयपुर के ओबेरॉय होटल में काम करना शुरू किया। लेकिन कुछ बड़ा करने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा था। आखिर दोनों को कॉलेज से ही सिंगापुर में एमबीए करने का मौका मिला। दोनों पढ़ने के लिए सिंगापुर चले गए।
तीसरे दोस्त के पिता चलाते थे कुल्फी की दुकान
सिंगापुर में दोनों की मुलाकात हुई अपने तीसरे दोस्त कार्तिक पुरोहित से। जो चित्तौड़गढ़ के ही रहने वाले हैं। उनके पिता कुल्फी की एक छोटी सी दुकान चलाया करते थे। वो भी किसी तरह पैसे जोड़कर सिंगापुर एमबीए करने पहुंचे थे। आखिर एमबीए करने के बाद तीनों की नौकरी लग गई। तीनों ही सिंगापुर में अलग-अलग कंपनियों में काम करने लगे। प्रतीक सिंगापुर की द पैसिफिक, हर्ष पेट्रोज और कार्तिक अलीबाबा में काम करने लगे।
4 साल सिंगापुर में काम करने के बाद एक दिन हर्ष और प्रतीक दोनों झूले पर बैठे हुए थ, तभी उन्हें एक आइडिया आया। हर्ष ने प्रतीक को कहा- इंडिया चलते हैं। वहीं कुछ करते हैं। दोनों ने कार्तिक से बात की तो वो भी मान गए। तीनों इंडिया पहुंच गए। उन्होंने अपना बिजनेस जयपुर से शुरू करने का फैसला किया।
जयपुर आने के बाद तीनों होटल प्रॉपर्टी और रेस्त्रां के लिए प्रॉपर्टी ढूंढने लगे। 2018 में तीनों ने जयपुर में रिट्रीट नाम का एक रेस्टोरेंट टेकओवर किया। लेकिन उन्हें खाना बनाना तो आता था। जयपुर का टेस्ट उन्हें सीखना बाकी था। साथ ही मार्केटिंग की परेशानी खड़ी हो गई थी।
कार्तिक मार्केटिंग से होने के बावजूद जयपुर के मार्केट को नहीं समझ पा रहे थे। उस वक्त उनकी कई लोगों से मुलाकात हुई। इस दौरान प्रतीक की मुलाकात कॉलेज में जूनियर सपना तोमर से हुई। सपना ने अपनी जॉब छोड़कर रिट्रीट से जुड़ गईं। इसके बाद एक साल के अंदर उन्होंने टाइम्स फूड अवॉर्ड जीत लिया।
बिजनेस अच्छा चल ही रहा था कि कोरोना में सब बंद हो गया। लेकिन इस दौरान रेस्त्रां की जमीन के मालिक ने उनकी मदद की। किराया नहीं लिया। किसी तरह कोविड पीरियड गुजारा। आखिर रेस्टोरेंट फिर से चलने लगा। इसके बाद उन्होंने जयपुर में ही दो और रेस्टोरेंट खोले।
अब तीनों दोस्त मिलकर जयपुर में सबसे अनोखा ओपन एयर क्लब खोलने जा रहे हैं। इसका नाम है। द बुर्ज। इस क्लब में 6 हजार स्क्वायर फीट के अंदर 20 लाख की ट्रस, 90 तरह की अलग-अलग लाइट, 5 लाख की जर्मनी से मंगवाई गई लेजर लाइट लगाई गई है। इसके साथ ही बार पर कटनी स्टोन लगाया गया है। सिर्फ इस स्टोन की कीमत 10 लाख रुपए है।
इस क्लब में करीब 700 तरीके के डिशेस सर्व की जाती हैं। इसमें एक से बढ़कर एक एग्जॉटिक फूड रेंज भी आपको मिलती है। अंधेरा होते ही इस पूरे क्लब का कलर बिल्कुल बदल जाता है। यहां एक टाइम में 1 से 2 हजार लोगों की सिटिंग है।
हर दिन नए आर्टिस्ट परफॉर्म करते हैं। इसके लिए आर्टिस्ट 10 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक चार्ज करते हैं। इतना ही नहीं इस पूरे क्लब को मैनेज करने के लिए लाइट इंजीनियर की टीम, एलईडी वॉल इंजीनियर की टीम साउंड इंजीनियर की टीम लाइफ मैनेजर्स अलग से काम करते हैं।
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दो साल पहले केन्या में इंटरनेशनल थिएटर फेस्टिवल हुआ। जयपुर से जुड़े 5 थिएटर आर्टिस्ट को भी मौका मिला। लेकिन, वे इसमें हिस्सा नहीं ले सके। कारण था...इनके पास रुपए नहीं थे। पहला मौका था हाथ से जाने भी नहीं देना चाह रहे थे। लेकिन, जा नहीं पाए। साल 2021 में दोबारा इंविटेशन आया...हालात वैसे ही थे। (पूरी खबर पढ़ें)
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