राजस्थान में 2 अक्टूबर से मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में ‘प्रशासन शहरों के संग’ अभियान चल रहा है। धीमी रफ्तार को लेकर अफसरों को कई बार सीएम फटकार भी चुके हैं, लेकिन नेता अलग ही खेल करने में लगे हैं। पिछले दो माह में ही नगरीय विकास व नगर नियोजन विभाग ने 10 शहरों के मास्टर प्लान ही बदल दिए। 2018 में ही राजस्थान के 183 शहरों के मास्टर प्लान बन चुके थे, लेकिन अब पट्टा वितरण अभियान के बाद बड़े बदलाव रसूख वाले मंत्री, विधायक और नेता करवाने में लगे हैं।
6 अक्टूबर से लेकर 9 दिसंबर तक 10 शहरों के मास्टर प्लान में छेड़छाड़ हुई है। इन शहरों के मास्टर प्लान फिर से फाइनल करवाए या संशोधित जारी करवाए गए। इसी तरह इतने ही और मास्टर प्लान बदलने की तैयारी है। नगरीय विकास विभाग के प्लानिंग अफसरों का कहना है कि पूर्व में रही कमियों को दूर करने के लिए सिफारिशों के आधार पर ऐसा किया गया। शहरी मास्टर प्लान विस्तार की आवश्यकता के अनुसार और मांग के अनुसार संशोधित करने पड़ते हैं।
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..और अब प्रदेश के 213 निकायों में से 200 निकायों के मास्टर प्लान तैयार होने के दावे हैं। अब 10 से ज्यादा और बदलने की प्रक्रिया चलने वाली है।
असर पट्टों पर.... हाईकोर्ट ने जोनल प्लान तैयार न होने पर कई शहरों में अभियान रोका, अब फिर रुकेगा
प्रदेश में 2 अक्टूबर तक 198 शहरों में से 165 छोटे शहरों के जोनल प्लान ही नहीं बने थे। यही नहीं 27 बड़े शहरों का भी जोनल प्लान और सेक्टर प्लान का काम अधूरा पड़ा था। इसके कारण अक्टूबर में हाईकोर्ट ने बिना जोनल प्लान वाली काॅलोनियों के पट्टे जारी करने पर रोक लगा दी थी। यूडीएच विभाग को इस पर 12 अक्टूबर कोर्ट में जवाब भी देना पड़ा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। अभी यहां से भी राहत नहीं मिली है। अब मास्टर प्लान बदलने से इन शहरों का नक्शा, जाेनल प्लान और सेक्टर प्लान में भी बदलाव होगा। उदाहरण- किसी को पट्टा अभी नगर निगम क्षेत्र का पट्टा मिला है, लेकिन मास्टर प्लान में उसकी कॉलोनी गांव में जाती है तो उसका पट्टा भी बदल जाएगा।
...जबकि ये मास्टर प्लान 2017 में फाइनल करने थे
पिछली वसुंधरा सरकार ने 12 जनवरी, 2017 को मास्टर प्लान को लेकर निर्देश जारी किए थे। 2018 तक 183 शहरों के मास्टर प्लान तैयार हो गए थे। कुछ बिंदुओं पर संशोधन करने के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र भी पेश किया था। हाईकोर्ट से राहत न मिलने पर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी।
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