वैध सप्लाई शुरू होने बावजूद बजरी सस्ती होने की बजाय महंगी मिल रही है। लीज हाेल्डर दोगुनी भराई ले रहे हैं। साेमवार काे अफसराें ने टाेंक एएमई काे तलब किया और मामले की जानकारी ली। सामने आया कि 16 नवम्बर 2017 से पहले बजरी भराई की 300 रुपए थी लेकिन 650 रुपए प्रति टन ले रहे हैं। इस कारण लाेगाें काे बजरी महंगी मिल रही है।
वहीं, अंडरलोड का रवन्ना देकर ओवरलोड बजरी भरने से सरकार काे रोजाना 9 लाख के राजस्व का नुकसान हाे रहा है। इसके बावजूद लगाम नहीं कसी जा रही है। इधर, बजरी ऑपरेटर्स ने मामले में अफसराें पर मिलीभगत का आराेप लगाया है। ऑपरेटर्स का कहना है कि अफसराें की मिलीभगत के बिना लीज धारक अधिक भराई नहीं ले सकता। अफसराें काे टेंडर के समय ही बजरी की भराई दर निर्धारित करनी चाहिए थी।
लीज होल्डर ट्रक ड्राइवरों को रवन्ना तो अंडरलोड का दे रहे हैं जबकि ट्रकों में बजरी ओवरलोड भर रहे हैं। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, ओवरलोड वाहनों की सरपट से सड़कें टूट रही हैं। इस बारे में एमएमई प्रताप मीना का कहना है कि वस्तुस्थिति जानने के लिए साेमवार काे अफसराें काे बुलाया था। निर्णय उच्च अधिकारी ही ले सकते हैं।
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