हुंमा-नूरान सिस्टर्स के सूफीयाना अंदाज ने जीता जयपुराईट्स का दिल:कथक के जरिए दिखी 40 मिनिट में हुंमा की रूह की तड़प

जयपुर6 महीने पहले
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जयपुराइट्स पर चढ़ा सूफी नाइट का जादू, हुमा और नूरान सिस्टर्स की परफॉर्मेंस से जगमगाया अलबर्ट हॉल - Dainik Bhaskar
जयपुराइट्स पर चढ़ा सूफी नाइट का जादू, हुमा और नूरान सिस्टर्स की परफॉर्मेंस से जगमगाया अलबर्ट हॉल

गुलाबी नगरी इन दिनों सूफियाना रंगों और रोशनी से जगमगाती दिखी। जहां गुलाबी ठंड के साथ सूफी डांस और गानों का अलग मौहोल बना जिसने हर किसी को अपना मूरीद कर लिया। मौका था अलबर्ट हॉल में हो रहे रूमी फाउंडेशन और पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय म्यूजिकल प्रोग्राम जहान ए खुसरो का। प्रोग्राम के दूसरे दिन कुछ यूं ‘हुमा’ ने मद मस्त हो कर ऐसा डांस किया की सूफी नाइट में हर कोइ उनकी परफॉर्मेंस में खो सा गया। काले रंग में इसका अक्स भी संग्रहालय की आबोहवा में मंडराया, झूमझूम कर इतराया। शाम ढले बादलों की सांवली फिज़ा में खूबसूरत हुमा, जिसकी परछाई किसी पर पड़े तो राजा बन जाए। बेफिक्र पंछी अपने ही साये से घमंड, ईर्ष्या और द्वेष में डूबने लगा। और खो बैठा अपने ही अक्स का कभी न छूटने वाला साथ। जिसे आखिर में नूरां सिस्टर्स ने ‘अल्ला हू अल्ला हू अल्ला हू..., दमा दम मस्त कलंदर अली दा पहला नंबर...’ जैसे गानों की प्रस्तुति के साथ अगले साल फिर आने के वादे के साथ अलविदा कहा ।

‘हुमा’ ने मद मस्त हो कर ऐसा डांस किया की सूफी नाइट में हर कोइ उनकी परफॉर्मेंस में खो सा गया
‘हुमा’ ने मद मस्त हो कर ऐसा डांस किया की सूफी नाइट में हर कोइ उनकी परफॉर्मेंस में खो सा गया
40 मिनिट की परफॉर्मेंस में दिखि हुमा की रूह
40 मिनिट की परफॉर्मेंस में दिखि हुमा की रूह

हुमा का किरदार पंडित बिरजू महाराज की नातिन शिंजिनी कुलकर्णी ने निभाया। लखनऊ घराने की नृत्यांगना नेहा उनकी परछाई बनी। 3 मेल डांसर्स में मोहित श्रीधर, मयूक भट्टाचार्य और हितेश गंगवानी शामिल रहे। 40 मिनट की परफॉर्मेंस में हुमा के बिछोह, तकलीफ और रूह की तड़प और प्रेम को कलाकारों ने लखनऊ घराने के कथक और सूफी कलामों के जरिए मंच पर प्रजेंट किया। असल में हुमा पर्शियन माइथोलॉजी से ली गई कहानी है। इसका कॉन्सेप्ट फिल्म निर्देशक मुज़फ्फर अली का रहा है। रामपुर के कव्वाल समी नियाजी ने गाने गाए है। मुज़फ्फर अली के बेटे मुराद अली ने वॉइस ओवर दिया है। सूफी कलामों के जरिए पूरी कहानी बताई गई है। बीच-बीच में छोटी कविताएं भी सुनाई देती हैं। ‘चाहे बनाओ चाहे मिटाओ, सब भूले मोहे तुम न भूलियो, चाहे बनाओ चाहे मिटाओ...’ लाइन पर कलाकारों ने दर्शकों की तालियां भी बटोरीं। इरानियन डफ व रावणहत्था का सामंजस्य भी खूब रहा।

नूरान सिस्टर्स के गीत तुंग-तुंग ने सूफी महफिल में लगाए चार चांद
नूरान सिस्टर्स के गीत तुंग-तुंग ने सूफी महफिल में लगाए चार चांद

इस बहतरीन परफॉर्मेंस के बाद नूरान सिस्टर्स ने सदा.ए.सूफी का प्रदर्शन किया। जिसमें उन्होंने अपने गीत तुंग-तुंग जिसके लिए वो काफी फेमस हैं वो गाया। नूरान सिस्टर्स के इस लोकप्रिय गीत को बाद में 2015 की बॉलीवुड फिल्म सिंह इज ब्लिंग में साउंडट्रैक के रूप म में रूपांत्रित किया गया था। एंड में नूरान सिस्टर्स के दमा दम मस्त कलंदर गीत ने तो पूरी ऑडियंस को झूमने पर मजबूर कर दिया।

फोटो वीडियो क्रेडिट- मनोज श्रेष्ठ

फोटो क्रेडिट- प्रियांशु परीक

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