तस्वीर रणथंभौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर की है। स्वप्रकट और बिना तराशे हुए तीन नेत्रों वाले गणेशजी की देशभर में यहीं इकलौती प्रतिमा बताई जाती है। आपको मन्दिर की परिक्रमा करनी हो तो 9 किमी लम्बी परिक्रमा लगानी पड़ती है। यह मंदिर ऐतिहासिक रणथंभौर दुर्ग की 250 फीट ऊंची पहाड़ी पर दुर्ग की प्राचीर से सटकर बना हुआ है।
दुर्ग की प्राचीर और मंदिर के पीछे की दीवार एक ही है। जो करीब 200 फीट गहरी खाई पर बनी है। श्रद्धालु यहां 9 किमी लंबी परिक्रमा लगाते हैं, हालांकि इनमें ज्यादातर मन्नत वाले श्रद्धालु ही होते हैं। राजस्थान के गणेश मंदिरों में सबसे लंबी परिक्रमा यहीं की मानी जाती है।
त्रिनेत्र गणेशजी की स्वप्रकट बिना तराशी हुई एकमात्र प्रतिमा
यह मंदिर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में रणथंभौर की पहाड़ी पर बना है। इस कारण यहां का ऐतिहासिक महत्व भी है। मंदिर का मुख्य मार्ग रणथंभौर टाइगर रिजर्व क्षेत्र से होकर जाता है। तीन नेत्रों वाले गणेशजी की स्व प्रकट पाषाण की बिना तराशी गई प्रतिमा और सिर्फ मुखारविंद, सूंड का स्वरूप सिर्फ यहीं है।
जैतारण में 1 लाख वर्गफीट में गणेश आकृति में बन रहे मंदिर में मूषक की भी होती है पूजा
मनोहर सोलंकी | जैतारण . क्षेत्र के बगतपुरा स्थित टाउनशिप में भगवान गणेश की आकृति के मंदिर का निर्माण हुआ है। बांगड़ परिवार के बी.जी. बांगड़ ने बताया कि मंदिर की आकृति देखने में भगवान गणेश की आकृति नजर आती है। मंदिर निर्माण कार्य करीब दो साल से चल रहा। मंदिर में 6 फुट काले ग्रेनाइट से भगवान गणेश की प्रतिमा सहित रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा गणेश चतुर्थी पर पूजा-अर्चना कर स्थापित की गई थी। मंदिर दक्षिण भारत की शैली में बना है।
भगवान गणेश के साथ रििद्ध-सिद्धि की प्रतिमाएं भी स्थापित
दक्षिण भारत के मंदिराें की तर्ज पर बना हुआ
11 अगस्त, 19 को शुरू हुआ निर्माण, जो अब तक चल रहा है
काले रंग की 6 फीट ऊंची प्रतिमा
गणेश मंदिर का निर्माण कार्य 11 अगस्त 2019 को शुरू हुआ था, जो आज भी चल रहा है। भगवान गणेश की प्रतिमा 6 फीट ऊंची और काले रंग की है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.