उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड में भीम थाने के 9 पुलिसकर्मियों ने समझदारी और बहादुरी से हत्यारों को महज पांच घंटे में पकड़ लिया, पर बात जब प्रमोशन की आई तो 5 का ही नाम भेजा गया। 4 पुलिसकर्मियों के योगदान को भुला दिया गया।
एक बाइक पर 2 कॉन्स्टेबल ने 30 किलोमीटर तक हत्यारों का पीछा किया। प्रमोशन सिर्फ 1 को दिया गया, जो बाइक चला रहा था। पीछे बैठा जवान पुलिस की दूसरी टीम को समय-समय पर अलर्ट करता रहा, प्रमोशन की सूची में उसका नाम नहीं है।
ऐसे ही पूरी टीम को लीड करने वाले एसआई गौतम चौबिसा और 2 पुलिसकर्मियों के साथ हुआ। इन पुलिसकर्मियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन बहादुरी के इनाम में नजरअंदाज कर दिया गया। वहीं, एसएचओ पर अपने चहेते पुलिसकर्मियों को प्रमोशन दिलाने के भी आरोप लग रहे हैं।
स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए- कैसे पकड़े गए हत्यारे और किस पुलिसकर्मी की क्या भूमिका रही…
2.30 बजे: जिलेभर में कराई नाकाबंदी
पुलिस ने कन्हैयालाल के हत्या की सूचना मिलती ही जिले भर में नाकाबंदी करवा दी। इस पर दोनों आरोपी उदयपुर से गांवों के रास्ते होते हुए नाथद्वारा गए। यहां से हत्या के बाद वीडियो पाकिस्तान और दूसरे वॉट्सऐप ग्रुप में भेजा।
6.30 बजे: पेट्रोल पंप पर झगड़े से पुलिस को सूचना मिली
हत्यारे देवगढ़ के पास एक पेट्रोल पंप पर पहुंचे। पेट्रोल भरवाने के दौरान उनका पंप के कर्मचारियों से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। विवाद के बाद भगवान सिंह नाम के शख्स ने फोन कर पुलिस को बताया कि दो बदमाश यहां से भागे हैं।
6.50 बजे: कॉन्स्टेबल रामलाल ने थाने में सूचना दी
भीम थाने के कॉन्स्टेबल रामलाल को सूचना मिली कि आरोपी रियाज और गौस मोहम्मद अजमेर की तरफ जा रहे हैं। रामलाल ने थाने में सूचना दी और सबको अलर्ट कर दिया। थाने से अलग-अलग टीम आरोपियों को पकड़ने के लिए रवाना हो गई। कॉन्स्टेबल सत्यनारायण और गौतम पहाड़िया ने बाइक पर पीछा शुरू किया।
7 बजे: कॉन्स्टेबल पर गाड़ी चढ़ाने का प्रयास किया
कॉन्स्टेबल सत्यनारायण चौधरी और गौतम पहाड़िया ने आरोपियों को अपनी तरफ आते देखा तो रोकने का प्रयास किया। आरोपी रियाज ने दोनों कॉन्स्टेबल पर बाइक चढ़ाने का प्रयास किया। भीम कस्बे की तरफ बाइक भगा दी। इस पर गौतम और सत्यनारायण ने बाइक से आरोपियों का पीछा किया। बाइक कॉन्स्टेबल गौतम चला रहे थे और सत्यनारायण पीछे बैठे थे।
7.10 बजे: आरोपी पुलिस को चकमा देकर कस्बे में गायब हो गए
रियाज ने पुलिस से बचने के लिए भीम कस्बे में बाइक भगा दी। दोनों पुलिस की नजर से ओझल हो गए। एक टीम आरोपियों को कस्बे में ढूंढ रही थी और दूसरी तरफ एसआई गौतम चौबीसा अजमेर जाने वाला रास्ता ब्लॉक करने के लिए टीम के साथ हेडकॉन्स्टेबल निर्भय सिंह, कॉन्स्टेबल तेजपाल, शौकत, नरेंद्र, विकास और ड्राइवर शंकर के साथ जसा खेड़ा चले गए।
7.20 बजे: आरोपी बाइक पर कपड़े बदलने लगे
कॉन्स्टेबल गौतम पहाडिया और सत्यनारायण हाईवे पर आरोपियों की तलाश में थे। बाइक के पीछे बैठा गौस कपड़े बदल रहा था। चलती बाइक पर कपड़े बदलते देख कॉन्स्टेबल सत्यनारायण दोनों को पहचान गए। उन्होंने उनका पीछा किया तो गौस ने खंजर निकाल कर दोनों कॉन्स्टेबल को धमकाते हुए भाग जाने के लिए कहा।
7.25: आरोपियों को पकड़ने के लिए स्पोट्र्स बाइक ली
कॉन्स्टेबल गौतम और सत्यनारायण की बाइक धीमी रफ्तार से चल रही थी, वे आरोपियों को पकड़ नहीं पा रहे थे। इस पर आरोपियों को पकड़ने के लिए सत्यनारायण ने महादेव होटल मालिक से उनकी स्पोट्र्स बाइक ली। इस दौरान सत्यनारायण ने शौकत को फोन कर आरोपियों के उनकी तरफ आने की सूचना दी। सत्यनारायण और गौतम ने अपनी बाइक आरोपियों के पीछे रखी ताकि वो दुसरे रास्ते से भाग नहीं जाए।
7.30: टीम ने आरोपियों को पकड़ लिया
एसआई गौतम चौबीसा अपने साथ पुलिसकर्मियों के साथ आडा मोड पर नाकाबंदी कर आरोपियों का इंतजार कर रहे थे। रियाज और गौस को तेज रफ्तार में अपनी तरफ आता देख कॉन्स्टेबल तेजपाल हाथ में पत्थर लेकर आरोपियों के आगे खड़े हो गए। पुलिस के अचानक सामने आने पर रियाज की बाइक अनियंत्रित होकर नीचे गिर गई तभी पुलिस ने रियाज और गौस को पकड़ लिया।
SI गौतम: टीम के साथ नाकाबंदी में डटे रहे
भीम थाने के सीआई गजेंद्र सिंह उस दिन छुट्टी पर थे। आरोपियों के आने की सूचना मिलते ही एसआई गौतम चौबीसा ने अलग-अलग टीमों को आरोपियों की तलाश में लगा दिया। गौतम खुद 6 कॉन्स्टेबल को लेकर हाईवे पर गए और जसा खेड़ा के पास नाकाबंदी की। सत्यनारायण की सूचना के बाद एसआई गौतम ने ही 6 कॉन्स्टेबल के साथ मिलकर आरोपी रियाज और गौस मोहम्मद को पकड़ा था।
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