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जयपुर के आमेर में हाथी की सवारी पर लगा बैन मंगलवार से हटा लिया गया। यहां कोरोना महामारी के कारण 17 मार्च को सैलानियों के लिए हाथी की सवारी को बंद कर दिया गया था। आमेर में देश के इकलौते हाथी गांव से हाथी सजाकर लाए जाते हैं। जिन पर पर्यटक सवारी करते हैं। पुरातत्व विभाग के आदेश से 1000 से ज्यादा परिवारों पर छाया रोजगार का संकट भी दूर हो गया।
अभी 50% हाथी रोटेशन पर सवारी कराएंगे
यहां कुल 96 हाथी हैं। 50% हाथी रोटेशन में एक दिन छोड़कर सवारी कराने के लिए लाए जाएंगे, ताकि कोरोना गाइडलाइन का पालन हो सके। पहले दिन 50 हाथी सजाकर यहां लाए गए। राजस्थानी पगड़ी पहने महावत आमेर के हाथी स्टैंड पहुंचे। यहां मारुति नाम के हाथी के माथे पर I AM BACK लिखा गया था।
पहली सवारी महिला पर्यटकों ने की
बैन हटने के बाद हाथियों की पहली सवारी अहमदाबाद की दो महिलाओं ने की। हाथी के मालिकों ने गुलाब की माला से इनका स्वागत किया। उनके हाथ सैनेटाइज करवाए गए। इसके बाद थर्मल स्क्रीनिंग कर हाथी पर बैठाया गया। इसके बाद वे आमेर महल घूमने पहुंची।
महावत और पर्यटकों को मास्क लगाना होगा
आदेश में कहा गया है कि हाथी की सवारी के दौरान महावत और पर्यटकों को मास्क लगाकर रखना होगा। हर राउंड के बाद हौदे (हाथी पर बैठने की जगह) को सैनेटाइज किया जाएगा। पर्यटकों को हाथी पर बैठाने से पहले उनके हाथ सैनेटाइज करवाए जाएंगे। साथ ही उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी।
दैनिक भास्कर ने ग्राउंड रिपोर्ट में उठाया था मुद्दा
लॉकडाउन से लेकर कोरोना की पाबंदियों तक 1000 से ज्यादा परिवार आर्थिक संकट झेल रहे थे। तनाव की वजह से एक महावत ने खुदकुशी कर ली थी। कुछ हाथी भी चल बसे थे। दैनिक भास्कर ने हाथी गांव की इस परेशानी को सबसे पहले उजागर किया था। इसमें खुलासा किया गया था कि हाथियों को पालने के लिए उनके मालिक किस तरह कर्जदार हो गए।
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