जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में टेंट के नाम पर विवाद:भाजपा बोली- मुगलों के नाम पर रखना गलत, आयोजकों ने कहा- नहीं होगा बदलाव

जयपुर4 महीने पहले
  • कॉपी लिंक
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मुगल टेंट के नाम से एक मंच बनाया गया है, जहां कई मुद्दों को लेकर चर्चा की जा रही है। - Dainik Bhaskar
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मुगल टेंट के नाम से एक मंच बनाया गया है, जहां कई मुद्दों को लेकर चर्चा की जा रही है।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) इस बार मुगल टेंट की वजह से विवादों में आ गया है। भाजपा का आरोप है कि जिन मुगलों ने देश की संस्कृति पर हमला किया, उनके नाम से टेंट का नाम रखा जाना गलत है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा- अच्छा होता मुगल टेंट का नाम डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर होता। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा- मुगल की जगह महाराणा प्रताप का नाम भी लिखा जा सकता था।

मुगल टेंट विवाद पर बोले संजॉय रॉय- कोई बदलाव नहीं करेंगे
JLF के ऑर्गनाइजर संजॉय रॉय ने विवाद पर कहा- यह नाम डिग्गी पैलेस से चला आ रहा है। इसके बाद कुछ लोग कहेंगे कि दरबार हॉल का नाम भी बदल दिया जाए। यह फेस्टिवल 16 साल से आयोजित हो रहा है। मुगल टेंट का नाम उसके आर्किटेक्चर डिजाइन की वजह से रखा गया था। उस टेंट की डिजाइन वैसी ही रहती है। यह फेस्टिवल जैसा है, वैसा ही चलेगा, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बनाया गया मुगल टेंट। इसके नाम पर भाजपा ने आपत्ति जताई है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बनाया गया मुगल टेंट। इसके नाम पर भाजपा ने आपत्ति जताई है।

​​​​​​जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आज तीसरा दिन था। गुलजार साहब अपने अंदाज में दिखे। उन्होंने यतींद्र मिश्र की किताब 'लता सुरगाथा' पर स्वर कोकिला लता मंगेशकर के बारे में बात की।

आप भी पढ़िए, लताजी के बारे में गुलजार साहब ने क्या बताया....

मैंने लताजी के लिए 'मेरी आवाज ही पहचान है' गाना लिखा था। यह मैंने उनके ऑटोग्राफ देने के ​स्टाइल के लिए लिखा था। ताकि वे जब भी कहीं ऑटोग्राफ दें, तो वे लिखें कि मेरी आवाज ही पहचान है। आज ये गाना उनका ऑटोग्राफ ही बन गया है। हमारी इंडस्ट्री में गाने वाले तो बहुत आए, लता जी जैसा न कोई था, न कोई होगा। उनकी आवाज के अलावा भी पहचान थी।

लताजी हर आदमी के जीवन का हिस्सा बन गई थी। यह लोगों को भी नहीं पता था। सुबह पूजा के समय लता जी का गाना बजता है। शादी की रस्मों में भी उनका गाना सुनाई देता है। सही मायने में शादियां लता जी के गानों के बिना अूधरी लगती हैं। होली आई तो उनका गीत, रक्षाबंधन पर बहन उनके गीत के साथ भाईयों के कलाई पर राखी बांधती है। लता जी हर त्योहार का हिस्सा हैं। ऐसा उनके अलावा कोई और नहीं कर पाया।

गुलजार साहब से जब किसी ने बतौर प्रोड्यूसर लताजी के बारे में पूछा तो तपाक से बोल पड़े- बेहद खराब थीं। पैसे की हिफाजत नहीं करती थी। एक अच्छा प्रोड्यूसर कंजूस होता है, जो एक-एक पैसे को सोच समझकर खर्च करता है। वे जब भी सेट पर आती थीं, खूब पैसे लुटाती थीं। वह पूरे यूनिट के लिए तोहफे लेकर आती थीं, यूनिट को खराब करती थीं।

हमारे जो केमरामैन थे मनमोहनजी, उनके लिए तो सबसे खूबसूरत गिफ्ट आता था, क्योंकि वे उनके साथ काम कर चुके थे, दो गाने भी साथ में गा चुके थे। डायरेक्टर के रूप में मुझे भी गिफ्ट मिले हुए हैं। मुझे गौतम बुद्ध के कलेक्शन का बहुत शौक रहा है, उन्हें कहीं से मालूम चला था, तो वे मेरे लिए बुद्धा के दो-तीन ब्रशेज स्टोन लेकर आईं।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दरबार हॉल में लता मंगेशकर के बारे में गुलजार साहब ने कई बातें साझा कीं, जिनके बारे में लोग नहीं जानते थे।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दरबार हॉल में लता मंगेशकर के बारे में गुलजार साहब ने कई बातें साझा कीं, जिनके बारे में लोग नहीं जानते थे।

फिर बात आई शब्दों की शरारत पर। वे बोले- एक बार मैंने एक गाना लिखा 'आपसे खूबसूरत आपकी बदमाशियों के अंदाज हैं'। इसके बदमाशियों शब्द पर म्यूजिक डायरेक्टर पंचम दा ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह शब्द दीदी काे पसंद नहीं आएगा। आप इसे बदल दीजिए।

मैंने उन्हें समझाया कि यह वल्गर शब्द नहीं है। हमारी बोलचाल का ही शब्द है। वे नहीं माने, मैंने उन्हें कहा कि मैं इसका ऑप्शन दे दूंगा। आप बस लता जी को यह सुना ​दीजिए या बता ​दीजिए।

जब लताजी रिकॉर्डिंग्स के लिए आई तो पंचम दा मेरी तरफ बार-बार देख रहे थे। तब दीदी ने पूछा कि क्या हुआ कोई दिक्कत है क्या? पंचम दा कुछ बोले ही नहीं। तब मैंने कहा- वे इसलिए परेशान हैं कि गाने में एक शब्द बदमाशियां है। वह आपको पसंद नहीं आएगा, उसे हटाना पड़ेगा। तब लता जी ने कहा- इस गाने की लाइनों में यह शब्द ही तो नया है। ऐसे नए शब्द ही तो मुझे गाने को नहीं मिलते।

ओटीटी के जमाने में लगातार फेल हो रहे बॉलीवुड के नाम को लेकर ही गुलजार साहब ने आपत्ति दर्ज कराई। वे बोले- मुझे बॉलीवुड के नाम पर ऐतराज है, यह नाम अच्छा नहीं है। उधार लिया हुआ लगता है, ओढ़ा हुआ लगता है।
ओटीटी के जमाने में लगातार फेल हो रहे बॉलीवुड के नाम को लेकर ही गुलजार साहब ने आपत्ति दर्ज कराई। वे बोले- मुझे बॉलीवुड के नाम पर ऐतराज है, यह नाम अच्छा नहीं है। उधार लिया हुआ लगता है, ओढ़ा हुआ लगता है।

अब बातें कुछ अन्य स्पीकर्स की, जिन्होंने सबका ध्यान खींचा

चीन से आया कोरोना : सज्जन सिंह यादव
JLF के प्रोटेक्ट टू नेशन सेशन में IAS अधिकारी सज्जन सिंह यादव और लेखिका प्रियम गांधी मोदी ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान से ही निकला है। सज्जन सिंह ने कहा- वुहान में ही सबसे बड़ी रिसर्च लैब है। वहीं से यह वायरस निकला है। हालांकि WHO ने इसकी अब तक कोई पुष्टि नहीं की है, जबकि यूएस और ब्रिटेन की रिपोर्ट्स में भी वुहान का जिक्र किया है। यहां तक कि कोरोना के शुरुआती दिनों में वुहान की लैब में काम करने वाले साइंटिस्ट हॉस्पिटल में एडमिट थे।

प्रियम गांधी मोदी ने बताया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत के सामने एक बड़ी चुनौती थी। जब कोविड महामारी ने दस्तक दी। देश के भीतर विशाल आकार और जटिलताओं ने इस बीमारी से लड़ना काफी कठिन बना दिया है। शुरुआती महीनों में कोई दवा, कोई टीका उपलब्ध नहीं था। उस समय हमारा हेल्थ केयर सिस्टम मजबूत नहीं था।

डॉक्टर नरेश त्रेहन ने कहा कि हम वैक्सीनेशन की शुरुआत में जरूर कुछ देशों से मदद ले रहे थे, लेकिन कुछ दिनों बाद हम वर्ल्ड लेवल पर वैक्सीनेशन में मदद कर रहे थे। यहीं से पूरी दुनिया में भारत के लिए एक अलग तरह का मैसेज दिया।

अब देखें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की कुछ तस्वीरें...

शनिवार को नीति आयोग के उपाध्यक्ष अमिताभ कांत, कांग्रेस नेता शशि थरूर, लेखिका शोभा डे सहित कई नामचीन लोगों के सेशन हुए। गुलजार साहब कई सेशन में बतौर श्रोता मंच के नीचे बैठे।
शनिवार को नीति आयोग के उपाध्यक्ष अमिताभ कांत, कांग्रेस नेता शशि थरूर, लेखिका शोभा डे सहित कई नामचीन लोगों के सेशन हुए। गुलजार साहब कई सेशन में बतौर श्रोता मंच के नीचे बैठे।
जेएनयू के प्रोफेसर पुष्पेश पंत ने कहा कि हिंदी की दुर्गति हो रही है, इसे रोकना होगा।
जेएनयू के प्रोफेसर पुष्पेश पंत ने कहा कि हिंदी की दुर्गति हो रही है, इसे रोकना होगा।
इस साहित्यिक उत्सव में दुनिया के श्रेष्ठ वक्ता, लेखक अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।
इस साहित्यिक उत्सव में दुनिया के श्रेष्ठ वक्ता, लेखक अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।
अलग-अलग सेशन में वक्ताओं को सुनने के साथ-साथ यूथ फेस्टिवल की यादें संजोना भी नहीं भूले।
अलग-अलग सेशन में वक्ताओं को सुनने के साथ-साथ यूथ फेस्टिवल की यादें संजोना भी नहीं भूले।
फेस्टिवल के दौरान सुस्ताते यंगस्टर्स। इस बार बड़ी संख्या में यंगस्टर्स ने फेस्टिवल में हिस्सा लिया।
फेस्टिवल के दौरान सुस्ताते यंगस्टर्स। इस बार बड़ी संख्या में यंगस्टर्स ने फेस्टिवल में हिस्सा लिया।

ये भी पढ़ें...

जावेद अख्तर बोले- कम्बख्त अच्छे दिन आते ही नहीं:उन्हें सुनने पहुंचे गुलजार; बोले- चोट लगती है तो नज्म लिखकर ओढ़ लेता हूं

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन आज मशहूर गीतकार गुलजार और जावेद अख्तर को सुनने का दिन था। जयपुर के साहित्यप्रेमियों ने पूरी तन्मयता के साथ गुलजार और अख्तर की बातें सुनी। जावेदन अख्तर ने अच्छे दिनों को लेकर इशारों-इशारों में तंज भी कसा। उन्हें सुनने खुद गुलजार भी पहुंचे। गुलजार के सेशन में भीड़ इतनी थी कि वहां खड़े रहने की जगह नहीं थी। वहीं जावेद अख्तर और शबाना आजमी की जुगलबंदी ने भी खूब तालियां बटोरीं।(पढ़ें पूरी खबर)

खबरें और भी हैं...