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सामान्यतः मार्च माह में सर्दी कम होने लगती है। इस बदलते मौसम में पशुओं मे संक्रमण का खतरा बहुत अधिक होता है। ऐसे में पशुपालक अपने पशुओं का रात के समय सर्दी से व दिन के समय गर्मी से आवश्यकता अनुसार बचाव का समुचित प्रबंधन करें। इस संबंध में पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. ओ.पी. गुप्ता ने बताया कि दुग्ध उत्पादन मे कमी अथवा किसी बीमारी के लक्षण दिखाई देने की स्थिति मे निकटतम पशु चिकित्सक से संपर्क करें। पशुपालक इस महीने में फडकिया, गलघोंटू, लंगडा बुखार, खुरपका-मुंहपका आदि के टीके आवश्यक रुप से लगवाएं, ताकि आने वाले महीनों मे होने वाले इन रोगों से बचाव हो सके। पशुओं को परजीवी प्रकोप से बचाने के लिए पशु चिकित्सक की सलाहनुसार परजीवी नाशक घोल या दवा देवें, जिससे पशुओं का स्वास्थ्य सुधार हो एवं चारे-दाने का सद्पयोग हो सके। उन्होंने बताया कि पशुओं को घुटन भरे स्थान में ना रखे और विशेषतः धुंए से बचाएं, अन्यथा पशुओं को सांस की तकलीफ हो सकती है।
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