शहर के प्राचीन व ऐतिहासिक हाडीरानी कुंड पर पुरातत्व विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से जंजीर लगाने व उद्यान परिसर में कॉम्पेक्ष का कार्य तेजी से शुरू कर दिया है। इससे कुंड को देखने आने वाले लोगों की सुविधा मिलेगी। शहर में स्थित 15वीं सदी के प्राचीन हाडीरानी कुंड के विकास हेतु पुरातत्व विभाग ने हाल ही में 8 लाख रुपए स्वीकृत किए है। जिसके चलते कुंड को देखने आने वाले लोगों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से कुंड के टॉप पर जंजीर लगाई जाएगी।
जिसके लिए पोल खड़े कर दिए गए है। इनके ऊपर जंजीर लगने के बाद लोग कुंड के अंदर नही जासकेंगे। कुंड के अंदर सामने की तरफ के तिबारों में अंदर का प्रवेश बंद करने के लिए लोहे के गेट लगा दिए गए है। कुंड के बाहर मैन रोड की तरफ सुरक्षा दीवार बनाई गई है। मुख्य प्रवेश द्वार पर गोल गेट लगा दिया गया है। कुंड के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत व सीढियों की दुरूस्तीकरण करवाया जा रहा है। वहीं कुंड के बाहर प्राचीन छतरी की भी मरम्मत व छतरी के नीचे चहुंओर पत्थर का प्लेट फार्म व ऊपर क्षतिग्रस्त पट्टियों को दुरूस्त किया जा रहा है। कुंड पर विकास कार्य 31 दिसंबर तक पूर्ण कर लिया जाएगा। कुंड के सुरक्षा संबंधी कार्य होने के बाद इसमें जहां सुरक्षा बढेग़ी वही इसमें ओर अधिक निखार आएगा।
कुंड के विकास होने से सैलानी इस विशाल कुंड को देख ओर अधिक सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। कुंड के कार्य हेतु पुरातत्व विभाग ने 8 लाख रुपए मंजूर किए है। ऐतिहासिक हाडीरानी कुण्ड एक विशाल व प्राचीन बावडी है। जिसकी भूल भूल्लया सीढ़ियां आश्चर्य में डालती है। हाड़ी रानी कुंड करीब 600 वर्ष पुराना बताया गया है। कुण्ड की लंबाई 100 फुट व चौडाई 80 फुट है। कुण्ड में चहुंओर की करीब 1100 सीढ़ियां है। यह कुंड 110 फुट गहरा है। वर्तमान में 40 फुट गहराई में पानी भरा है। भव्य बावडी होने से यहां रोजाना देखने वालों की आवाजाही रहती है।
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