हर माता-पिता की इच्छा और आर्शीवाद रहता है कि उसका बेटा-बेटी पढ लिखकर बडे अफसर बने। इसमें भी आईएएस बन जाए तो समझते है कि उनकी जिंदगी भर की मेहनत सफल हो गई, लेेकिन आपने कभी किसी पिता के मुंह से सुना है कि उसका बेटा आईएएस नहीं बने। चौंकिए मत, ये सौ फीसदी सच है।
देर रात आरएएस के जारी हुए फाइनल परीक्षा परिणाम में स्टेट में दूसरी रैंक पाने वाले टोंक जिले के मालपुरा तहसील स्थित किरावल निवासी मनमोहन शर्मा की कहानी ऐसी ही है। ये दो बार आईएएस का इंटरव्यू दे चुके हैं, लेकिन सफल नहीं हुए।
अब इसे संयोग कहे या फिर पिता की इच्छा कि उन्होंने अपने लाडले मनमोहन शर्मा को कभी आईएएस बनने का आशीर्वाद नहीं दिया। जब भी मनमोहन पिता से आईएएस बनने का आशीर्वाद मांगते तो वे साफ मना कर देते। वे मनमोहन को मात्र आरएएस बनने का ही आशीर्वाद देते थे।
मनमोहन ने बताया कि इसके पीछे उनके पिता बजरंग लाल शर्मा की कोई दुर्भावना नहीं थी। उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा उनसे ज्यादा दूर नहीं रहे। आईएएस बन गया तो ज्यादातर संभावना अन्य स्टेट में पोस्टिंग होने की रहती है और पिता अपने लाडले को इतना ज्यादा दूर नहीं देखना चाहते थे।
नहीं की कोचिंग, आरएएस बनने तक शादी के लिए भी ना
30 वर्षीय आरएएस परीक्षा में राजस्थान में दूसरी रैंक लाने वाले मनमोहन शर्मा ने बताया कि करीब सात साल पहले ग्रेज्यूशन के बाद से आईएएस और आरएएस बनने का लक्ष्य बना लिया था। इसकी तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं की। पीजी राजस्थान यूनिवर्सिटी से की। वहीं गुरुजनों से अच्छा मार्गदर्शन मिला और रोजाना दस से 12 घंटे पढाई की। सिविल सर्विसेज के लिए शादी तक नहीं की।
लगातार मेहनत करे,सफलता मिलेगी, उदाहरण आपके सामने है
आईएएस, आरएएस की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए उन्होंने संदेश दिया कि उद्देश्य बनाकर लगातार मेहनत करें सफलता जरुर मिलेगी। उदाहारण आपके सामने है। छह-सात साल से सोशल मीडिया से भी दूर जैसा ही रहा। बच्चों से बात करना और परिजनों के काम में हाथ बंटाना ही मेरी हाॅबी है। अब सरकार जो भी जिम्मेदारी देगी उसे पूरी शर्मा ईमानदारी और निष्पक्षता से करूंगा।
ये तीसरे नौकरी होगी,अभी दौसा में प्रर्वतन अधिकारी है मनमोहन
भास्कर के रिपोर्टर महावीर बैरवा से बातचीत में उन्होंने यह जानकारी दी। मनमोहन शर्मा शुरू में 2016 में नगर निकाय में आरओ के पद पर चयनित हो गए थे, लेकिन उनका उद्देश्य आईएएस या फिर आरएएस बनना था। इसके चलते शुरू की नौकरी को ज्वॉइन करके ही छोड दी थी। उसके बाद दो साल पहले वे आरएएस (एलायड) में चयनित हो गए। इस पर उन्हें रसद विभाग में प्रर्वतन अधिकारी का पद मिला। अभी वे दौसा में कार्यरत हैं। अब आरएएस उनकी तीसरी नौकरी होगी।
पैसा जोडा नहीं, बच्चों की पढाई से पीछे हटा नहीं
मनमोहन के पिता बजरंग लाल शर्मा ने बताया कि वे मध्यम परिवार से हैं। उनके तीन बेटे औ एक बेटी हैं। बडा बेटा छत्रधर टीचर है। उससे छोटा बेटा कांस्टेबल है। और फिर मनमोहन है जो अब आरएएस में चयन हो गया है।
घर, गांव में जश्न का माहौल, पूर्व डिप्टी सीएम पायलेट ने भी दी बधाई
जिले में वैसे तो आरएएस में आठ-दस लोग चयनित हुए हैं, लेेकिन राजस्थान की टॉप टेन की रैंक में किरावल के मनमोहन शर्मा पुत्र बजरंग लाल शर्मा ने दूसरी व हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी विकास प्रजापत ने नवीं रैंक लाकर जिले का मान बढाया है। दोनों ही घरों में रात भर से खुशी का माहौल है। लोगों का बधाइयां देने का सिलसिला रिजल्ट आने के साथ से ही अभी तक बना हुआ है। सचिन पायलेट ने भी ट्वीट पर इन होनहार युवाओं को बधाई दी है।
विकास के पिता को रात भर खुशी से नहीं आई नींद
नवीं रैंक लाने वाले विकास के पिता किशन लाल कुम्हार ने बताया कि देर रात को रिश्तेदारों ने यह खुशखबरी दी तो वे खुशी के मारे घर में उछल पडे और सब घर वालों को जगाया। थोडी देर में मोहल्ले वाले और परिचितों के आने का सिलसिला शुरू हो गया।
इकलौता बेटा है विकास
आरएएस परीक्षा परिणाम में 9वीं रैंक हासिल करने वाले विकास प्रजापत अभी उद्योग विभाग जयपुर में निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। वे तीन भाई-बहनो में सबसे बड़े है। दो बहनों में से एक बहन टीचर हैं तो छोटी बहन कॉलेज में प्रथम वर्ष की स्टूडेंट है। विकास के पिता तीन भाई है।
विकास के पिता किशन लाल कुमार घाड़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल में केमिस्ट्री के लेक्चरार है। बड़े पापा भंवरलाल कुम्हार दूनी के सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल हैं। वहीं चाचा अहमदपुरा चौकी के स्कूल में वरिष्ठ अध्यापक है। 26 वर्षीय विकास को आरएएस बनने की प्रेरणा उनके बड़े पापा दूनी स्कूल के प्रिंसिपल भंवर लाल से मिली थी। विकास का इस सेवा में रहकर निष्पक्ष रुप से लोगों की सेवा करना और पीड़ितों को न्याय दिलाना है।
लक्ष्य बनाकर नियमित पढाई करे
विकास प्रजापत ने बताया कि वे नियमित आठ-दस घंटे पढाता था। आरएएस जैसी परीक्षाओं में सफल हाेने के लिए लक्ष्य बनाकर कम से कम आठ-दस घंटे नियमित पढाई करे। इसका कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है। शॉर्टकट सफलता पाने के लिए अलग-अलग अधिक किताबें नहीं पढे।
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