कृषि विज्ञान केंद्र पोकरण में कृषि वैज्ञानिकों ने शहर के निकटवर्ती बिलिया ग्राम में क्षेत्र भ्रमण करके रबी फसलों का निरीक्षण किया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक बलवीरसिंह ने बताया कि किसान जीरा, चना, सरसों, अरंडी, रायडा इत्यादि की बुवाई कर रखी है। जिनमें उचित मात्रा में खाद, फॉस्फोरस के लिए सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग व उचित दूरी पर रखने की आवश्यकता बताई। अरंडी एवं सब्जियों में इस समय एनपीके, सूक्ष्म पोषक तत्व एवं कीटनाशकों का छिड़काव करने से रोगों का प्रकोप कम होने के साथ-साथ इसके उत्पादन में वृद्धि होगी। केन्द्र के सस्य वैज्ञानिक कृष्ण गोपाल व्यास ने बताया कि सरसों में पीलेपन की रोकथाम के लिए जिंक सल्फेट 3 से 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल के साथ 2 प्रतिशत यूरिया का खड़ी फसल में छिड़काव करने से उपज में आशातीत बढ़ोत्तरी होगी। सब्जियों में मिर्ची, बैंगन, टमाटर की खेती का जायजा लिया। फसल भ्रमण दौरान कृषि विशेषज्ञ सुनील शर्मा ने बताया कि सब्जियों के कीटों एवं रोगों का प्रकोप अधिक होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए किसानों को अधिक सतर्कता की आवश्यकता होती है ताकि रस चूसकर कीटों से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम किया जा सके। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. रामनिवास ढाका ने बताया कि खेत में अच्छी तरह से गोबर का खाद, मुर्गियों की बीट, बकरी का खाद आदि का समुचित उपयोग करके किसान रसायनिक खादों का इस्तेमाल कम करके खेती पर आने वाली लागत को कम कर सकते हैं। उन्होंने किसानों को खेती के साथ साथ पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन एवं मछली पालन करके किसान खेती में होने वाली जोखिम को कम करने की आवश्यकता की बात कही। क्षेत्र भ्रमण के दौरान बिलिया गांव के जसराज माली, लक्ष्मण माली, विजय, सुआ देवी इत्यादि किसानों के फसलों एवं सब्जियों में आने वाले रोगों व कीटों की समस्याओं का निदान किया।
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