भीषण गर्मी में वन्यजीव पानी के लिए भटक रहे हैं। लेकिन उन जीवों के लिए संबधित विभाग की ओर से पानी का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया हैं। दरअसल, नाराणावास पंचायत में 1132.05 हेक्टेयर वनविभाग का क्षेत्र हैं। इसके बावजूद इस विभाग की ओर से पानी के जलस्रोत नहीं बनाए गए। ऐसे में वन्यजीवों का जीवन संकट में है। भीषण गर्मी में नारणावास क्षेत्र में प्राकृतिक जलस्रोत पूरी तरह से सूख चुके हैं। पानी के अभाव में वन्यजीवों का जीवन संकट में हैं। जानकारी के अनुसार नारणावास पंचायत क्षेत्र के नारणावास में 547.49 व धंवला में 584.56 हेक्टेयर भूमि वन विभाग की हैं। दोनों गांवो में कुल 1132.05 हेक्टेयर वन विभाग का क्षेत्र हैं। पर्यावरण प्रेमी रूप सिंह राठौड़ नारणावास व नारणावास सरपंच जशोदा कंवर ने बताया कि पानी के अभाव में वन्यजीवों का जीवन संकट में है। पानी की तलाश में वन्यजीवों को भटकना पड़ रहा है। गर्मी में पानी नहीं मिलने से कई जीवन अपनी जान तक गवां रहे हैं, फिर भी अनदेखी की जा रही हैं। नारणावास क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के बड़ी संख्या में वन्यजीव स्थाई रूप से रहते है। जंगलों में वन्यजीवों के लिए पानी उपलब्ध करवाने के लिए पानी की अवाड़े, कुंड आदि बनाने की जरूरत हैं। ताकि वन्यजीव भी हलक तर कर सके एवं उनका जीवन बच सके।
पक्के जल स्रोत बने, टैंकरों से आपूर्ति हो
नारणावास के वनक्षेत्र में पक्के वाटर प्वाइंट बनने से जीवों को राहत मिल सकती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि टेंकरो के माध्यम से पानी उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों को भी पीने को पानी मिल सके।
केवल वन्यजीव क्षेत्र में पानी की व्यवस्था का बजट
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