शीतलाष्टमी पर जिले में स्थित विभिन्न शीतला माता मंदिरों में विधि विधान से पूजा अर्चना की गई और माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाया। झालावाड़ शहर में राडी के बालाजी रोड पर पंच कुईया के पास और बसेड़ा मोहल्ला में बने माता के मंदिर में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ उमड़ने लगी। महिलाओं ने माता का विधि-विधान से पूजन किया और उन्हें ठंडे पकवानों का भोग लगाया। इस दौरान महिलाएं गीत गाते नजर आई।
महिलाओं ने शीतला माता का जल से अभिषेक किया और रोली-मोली अन्य पूजा सामग्री से विधि विधान से पूजा की। इसके बाद ठंडे पकवानों का भोग लगाया। लोगों ने बाजरे की राबड़ी, कांझा, पुवे, पकौड़ा, पूरी सहित अनेक पकवान का भोग लगाया। एक दिन पहले ही महिलाओं ने घरों में पकवान बनाए और सुबह पूजा करने शीतला माता मंदिर पहुंची। महिलाओं ने माता का पूजन कर परिवार की खुशहाली की कामना की।
यह है पौराणिक मान्यता
होली के बाद सातवें और आठवें दिन शीतला माता की पूजा की परंपरा है। इन्हें शीतला सप्तमी या शीतलाष्टमी कहा जाता है। शीतला माता का जिक्र स्कंद पुराण में मिलता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार शीतला माता बीमारियों और उपचार शक्ति, दोनों का प्रतिनिधित्व करती हैं।गर्मियों की शुरुआत में संक्रामक बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा होता है, इसलिए बच्चों को ऐसी बीमारियों से सुरक्षा देने के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है। 'शीतल' शब्द का अर्थ है 'ठंडा' और ऐसा माना जाता है कि देवी शीतला की पूजा और व्रत करने से चेचक के साथ ही अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है।
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