विनय जैन| झालावाड़ सरकारी एजेंसियों को समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने में इस बार किसानों की रुचि नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेशभर में करीब 600 किसानों ने ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें केवल श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में ही 80-85 किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचा है, जबकि झालावाड़ सहित कुछ जिलो में तो किसी किसान ने रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया है। कारण यह है कि किसानों को बाजार में ही समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम मिल रहा है। झालावाड़ में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के लिए 23 केंद्र बनाए गए और चना और सरसों के लिए 17 केंद्र बनाए गए थे। इसमें एक भी केंद्र पर गेहूं की खरीद तो दूर रजिस्ट्रेशन तक नहीं हुआ। चना जरूर खरीद हुई है। अभी तक 1400 क्विंटल चना की खरीद हो पाई है।भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की मानें तो पिछले साल प्रदेशभर में 23.30 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी।
इस साल के लिए इसमें 10 प्रतिशत का इजाफा करते हुए करीब 25.50 लाख टन की खरीद का लक्ष्य है। अभी तक 756 मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हो पाई है। इसमें सर्वाधिक 750 टन गेहूं श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में खरीदा गया है, जबकि कोटा, अजमेर, भरतपुर, जयपुर, उदयपुर, बीकानेर संभाग में गेहूं की बहुत कम सरकारी खरीद हुई है। उल्लेखनीय है कि प्रदेशभर में 1 अप्रैल से आधिकारिक तौर पर गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई थी। यह खरीद 10 जून तक की जानी है, जबकि कोटा संभाग में तो मार्च से ही समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू हो गई थी। राजस्थान में एफसीआई के साथ तिलम संघ और राजफैड भी समर्थन मूल्य पर खरीद कर रहा है।
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