फुलेराव नगर (सेवादास की ढाणी) निवासी डॉ. रमेश पुत्र राधेश्याम सैनी की भरुच में रेलवे ट्रैक पार करते समय रेल की चपेट में आने से मौत हो गई। यह हादसा शुक्रवार सुबह हुआ। डॉ. रमेश वड़ोदरा का एक होनहार सर्जन था। डॉ. रमेश के जूनियर डॉ. महेंद्र महला ने बताया कि डा. रमेश एसएसजी अस्पताल जामनगर में सर्जरी विभाग में सीनियर रेजीटेंट के पद पर कार्यरत थे।
वे आरपीएसी का एग्जाम देकर गरीब रथ से रवाना होकर वापस वड़ोदरा आ रहे थे। शुक्रवार सुबह डॉ. रमेश की अचानक आंख लग गई और वड़ोदरा आने का पता नहीं चला और वे भरुच पहुंच गए। डॉ. रमेश की आंख खुली तब पता चला की वे भरुच आ गए है। वे ट्रेन से उतरे और पटरियों को पार कर रहे थे, इसी दौरान मुंबई जा रही दुरंतो एक्सप्रेस की चपेट में आने से मौत हो गई। आधार कार्ड से रमेश की पहचान हुई। शनिवार की शाम चार बजे जैसे ही रमेश का शव घर पहुंचा, कोहराम मच गया। पूरी ढाणी भी गम में डूबी हुई थी। युवा नेता राजकुमार सैनी ने बताया कि होनहार डॉक्टर खो दिया।
पिता ने संघर्ष कर बनाया था डॉक्टर
मृतक डॉ. रमेश के पिता राधेश्याम सैनी नवलगढ़ में टेलरिंग का काम करते है। पिता ने पाई-पाई जोड़कर अपने बेटे को डॉक्टर बनाया। रमेश ने वर्ष 2010 में जामनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया और एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। बड़ौदा के एसएसजी हॉस्पिटल से एमएस की डिग्री पूरी की, वे वहां पर सीनियर रेजिडेंट के पद पर कार्यरत थे। पिता ने हमेशा ही रमेश को अच्छा सर्जन बनने के लिए प्रेरित किया व हौसला बढ़ाया। पिता कहते थे वह अपनी मानसिक रूप से बीमार चल रही मां का इलाज करेगा, लेकिन बेटे की मौत के साथ ही पिता का सपना अधूरा रह गया।
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