झुंझुनूं रोडवेज आगार में कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। सरकार को जगाने के लिए कर्मचारियों ने ढोल बजाए। दोपहर में कर्मचारी डिपो के सामने जुटे और ढोल बजाने लगे। आधे घंटे तक विरोध प्रदर्शन चला। इस दौरान कर्मचारियों की ओर से नारेबाजी की गईं। विरोध प्रदर्शन के माध्यम से वेतन पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभ का भुगतान महीने की पहली तारीख को देने, नई बसें खरीदने, रोडवेज कर्मचारी को मेडिकल की सुविधा देने, रोडवेज के निजीकरण को बंद करने सहित विभिन्न मांग की गई।
रोडवेज कर्मचारी नेता महिपाल भांबू ने कहा कि सरकार रोडवेज कर्मचारी के साथ दोगली नीति अपना रही है, उन्होंने कहा कि लंबे समय से उनके आंदोलन के बावजूद मांगों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। इससे रोडवेजकर्मियों में आक्रोश बरकरार है। मांग के समर्थन में लंबे समय से झुंझुनूं डिपो में प्रदर्शन और सभाएं की जा रही है।
जगाने का प्रयास
भांबू ने कहा कि डिपो के रिटायर्ड और वर्किंग कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चे के बैनर तले चल रहे आंदोलन के तहत शनिवार को ढोल बजाकर सरकार को जगाने का प्रयास किया गया। उन्होंने ने कहा कि अगर सरकार नहीं झुकी तो 22 और 23 नवंबर को प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन होगा, उसके बाद रोडवेजों बसों का चक्काजाम किया जाएगा। प्रदर्शन में झुंझुनूं डिपो के रिटायर्ड व वर्किंग कर्मचारी शाामिल रहें।
ये रही मांगें
दो हजार नई बसें खरीदने, वेतन पेंशन और सेवानिवृत्त परिलाभों का भुगतान हर महीने की पहली तारीख को देने, खाली पड़े 10 हजार पदों पर भर्ती करने, रोडवेज बस स्टैंड के बाहर से निजी बसों के संचालन रोककर शहर के बाहर से करने, सातवें वेतनमान को जनवरी 2016 से लागू करने पर पुनर्विचार करने, जनवरी 2022 से मार्च 2022 तक 3 महीनों का छठे वेतनमान में 7 प्रतिशत की दर से बकाया महंगाई भत्ता स्वीकृत करने, रोडवेज का निजीकरण बंद करने, राज्य सरकार के पेंशन नियमों के अनुरूप रोडवेज के पेंशन नियमों को संशोधित करने, परिचालकों से नियमित आठ घंटे काम लेने, कर्मचारियों को समय पर अवकाश देने सहित विभिन्न मांग की गई।
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