दीपावली का त्यौहार नजदीक है, बाजार में मावा की डिमांड बढ़ गई है। जबकि लंपी के कारण दूध की आपूर्ति बराबर नहीं हो पा रही है। ऐसे में मावा व उससे बनने वाली मिठाइयों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे है। बाजार में मावा से बनने वाली मिठाई संदेह के घेरे में है। लम्पी संक्रमण के चलते दूध की आवक घटी है।
त्योहारी सीजन में मावा की खपत बढ़ गई है। उसके बावजूद जिले में मावा की सप्लाई बराबर हो रही है। त्योहारी सीजन में जिले में मावा की खपत दो से तीन गुना बढ़ गई है, जबकि दूध की बराबर सप्लाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में मावा व मिठाई कारोबारियों की मांग पूरी करने में मिलावटखोरों की भागीदारी से इनकार नहीं किया जा सकता।
इधर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग मिलावट पर कार्रवाई को लेकर चुप है। चिकित्सा विभाग की सुस्ती से कई सवाल खड़े हो रहे है।
हर साल चिकित्सा विभाग दीपावली पर एक महीने पहले मिलावट के विरुद्ध अभियान चलाता है। इसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारी एवं अन्य विभाग खाद्य पदार्थों के नमूने लेते हैं, लेकिन इस बार अब तक कार्रवाई शुरू नहीं की गई, अगर कार्रवाई की गई है तो वह भी ना मात्र की। जबकि दीपावली को मात्र 13 दिन रह गए हैं।
माना जा रहा है कि मवेशियों में लम्पी संक्रमण के चलते दूध की आवक घटी है। जिले में अब तक दो हजार से अधिक गायों की लम्पी से मौत हो चुकी है।
32000 से अधिक गायें इसकी चपेट में है। इधर, जिले में अन्य जिलों से मावे की आपूर्ति होती है, जिसकी गुणवत्ता संदेह से परे नहीं है। मावा व्यापारी ने बताया की अभी 1000 से 1200 किलो मावा अलवर, बीकानेर, हनुमानगढ़ सहित जिले से आता है। त्योहार पर खपत 2500 से 3000 किलो प्रतिदिन हो जाती है।
आज से विशेष अभियान
CMHO डॉ राजकुमार डांगी ने बताया कि रुटीन में कार्रवाई चल रही है। त्योहारी सीजन को लेकर नमूने लेने की कार्रवाई शुरू करने के लिए आज से विशेष अभियान शुरू किया जाएगा। अब तक कई सैम्पल लिए जा चुके हैं।
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