झुंझुनूं के दोरादास में फंदा लगाकर जान देने वाले महंत महेश नाथ की समाधि को लेकर विवाद जारी है। मेघवंशीय समाज के लोग समाधि दिए शव को बाहर निकालने की जिद पर अड़े है। महंत को गुरुवार को झुंझुनू में राणी सती के पास स्थित मेघवाल बगीची में समाधि दी गई थी। उसके बाद से ही मेघवंशीय समाज के लोग इसका विरोध कर रहे है।
लोगों का कहना है कि यहां सिर्फ बगीची में रहने वाले संत को ही समाधि दी जा सकती है अन्य किसी को नहीं। समाज के लोगों का आरोप है कि उन की इजाजत के बिना किसी बाहर के व्यक्ति को समाधि दी गई है।
समाधि को लेकर समाज के लोगों की ओर से कल से धरना दिया जा रहा है। शनिवार को तहसीलदार महेन्द्र मूण्ड व कोतवाल सुरेन्द्र देगडा भी मौके पर पहुंचे। समाज के लोगों से समझाईस की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। धरने पर बैठे लोग समाधि दिए शव को बाहर निकालकर दूसरी जगह समाधि देने की जिद पर अड़े है।
दरअसल झुंझुनूं के सदर थाना इलाके के दोरादास स्थित बूटीनाथ आश्रम के मंहत ने बुधवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। महंत महेशनाथ पिछले दस-बारह साल से बूटीनाथ आश्रम रह रहे थें, पोस्टमार्टम के बाद गुरूवार को महंत को झुंझुनूं में स्थिति मेघवाल बगीची में समाधि दी गई थी।
इस दौरान पप्पू सहरिया, ग्यारसीलाल, भरत आलड़िया, जग्गू सहरिया, मनोज सहरिया, सुभाष आलड़िया समेत समाज के कई लोग धरने पर बैठे रहे।
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