देवउठनी के अबूझ मुहूर्त में खूब शहनाइयां बजीं, लेकिन शुक्र अस्त होने से 25 नवंबर तक शादी के मुहूर्त नहीं थे। विवाह व मांगलिक कार्यों के लिए शुक्र का उदय अनिवार्य माना जाता है। पंडित रोहित (साेनू) पुजारी ने बताया कि शादियां देवउठनी एकादशी से शुरू हो जाती हैं। इस साल शुक्र अस्त होने से मांगलिक व शुभ कार्यों की शुरुआत नहीं हो सकी।
अब पंचांग के अनुसार 26 नवंबर शनिवार दोपहर 12 बजकर 08 मिनट पर पश्चिमी दिशा में शुक्र उदय होगा। इसके साथ ही शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत तो हो जाएगी। इससे देवउठनी एकादशी के बाद 26 नवंबर को ही विवाह का पहला मुहूर्त रहेगा। दीपावली के बाद से बाजारों में सावे के लिए चहल-पहल है।
नए साल में 19 जनवरी से सावे : मळमास के बाद 19 जनवरी से सावे शुरू होंगे। विवाह का सीजन 28 जून 2023 तक चलेगा। 26 नवंबर से जून 2023 तक विवाह के करीब 58 श्रेष्ठ मुहूर्त रहेंगे। जो पिछले दो साले के मुकाबले कम है। वर्ष 2020-21 में विवाह मुहूर्त की संख्या 59 तो वर्ष 2021-22 में 65 थी।
इस साल आठ दिन बारात
नवंबर : 26, 28 और 30 को दिसंबर : 2, 4, 7, 8, 9 व 14 िदसंबर साल का आखिरी सावा होगा।
धनु मळमास में एक महीने आयोजनों पर रहेगा विराम
पंचांग के अनुसार 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक विवाह सहित सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर एक महीने के लिए वापस विराम लगेगा। 16 दिसंबर को सुबह 9:26 बजे मळमास शुरू होगा। धनु मळमास यानी धनु की संक्रांति के कारण मांगलिक कार्य नहीं होंगे। पंडित रोहित (सोनू) पुजारी ने बताया कि 13 जनवरी 2023 की रात 3:10 बजे सूर्य उत्तरायण होंगे। इसी दिन लोहड़ी पर्व मनाया जाएगा, 14 जनवरी रात 8:06 बजे मकर संक्रांति आएगी। इसके बाद वापस विवाह के मुहूर्त शुरू होंगे।
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