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जोधपुर में 27 साल पहले हुए हंगामे और तोड़फोड़ के एक मामले में पुलिस बुधवार को चार्ज शीट पेश की। 27 साल में चार्ज शीट पेश करने का संभवत: यह राजस्थान का पहला मामला है। इस मामले में पुलिस ने करीब 50 लोगों को आरोपी बनाया। जिनमें, कुछ लोगों को की मौत हो चुकी है। जबकि, कुछ की उम्र 70 साल से ज्यादा हो गई। कोर्ट में सुनवाई के दौरान आज 9 आरोपियों को पेश किया गया। कोर्ट ने ज्यादा उम्र होने की वजह से सभी को हाथों-हाथ जमानत दे दी।
यह था मामला
29 सितंबर 1993 को हजारों लोगों की भीड़ ने जोधपुर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया था। इस दौरान लोगों ने जमकर उत्पात मचाया था। कलेक्टर कार्यालय में तोड़फोड़ की गई थी। वहीं एडीएम की गाड़ी को तोड़ दिया था। यहां तक कि एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी को चूड़ियां पहनाई थी। इस मामले में 30 सितंबर 1993 को उदय मंदिर थाने में एक एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। जिसकी जांच 27 सालों तक चली जो, अभी भी खत्म नहीं हुई है।
इस कारण हुआ था प्रदर्शन
जोधपुर में 1993 में पहली बार जालोरी गेट चौराहे पर गणेश महोत्सव समिति के द्वारा भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की गई थी। जिसके विसर्जन के मार्ग को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद पुलिस ने खुद ही मूर्ति को कब्जे में लेकर विसर्जन कर दिया। जोधपुर में चल रही रामकथा के दौरान स्वामी रामसुखदास महाराज ने लोगों को आवाहन करते हुए कहा कि इस मामले को लेकर वे स्वयं ज्ञापन देने जिला कलेक्टर पहुंचेंगे। फिर क्या था हजारों लोगों की भीड़ उनके पीछे-पीछे जिला कलेक्टर पहुंच गई। लेकिन, प्रशासन उनकी मांग मानने को तैयार नहीं था और देखते ही देखते शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही महिलाएं अधिकारियों के साथ मारपीट और कार्यालय में तोड़फोड़ करने लगी।
कैसे बदली जोधपुर की राजनीतिक तस्वीर
प्रदर्शन के बाद गुस्साए संत समाज ने हजारों लोगों की भीड़ में इस बात की कसम दिला दी कि ऐसी सरकार को वोट नहीं देना है। जिसके बाद दिसंबर 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में इस कसम का असर स्पष्ट दिखाई दिया। जोधपुर के तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया। यह पहला अवसर था जब भाजपा ने जोधपुर शहर की तीनों सीटों पर कब्जा जमा लिया।
चार्जशीट में इनको बनाया गया है आरोपी
पुलिस द्वारा पेश 4 सीट में कुल 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है जिनमें भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रसन्न चंद्र मेहता तथा राजसीको के पूर्व चेयरमैन मेघराज लोहिया, वीरेंद्र अवस्थी पुत्र सदानंद, राज बहादुर मिश्रा पुत्र गंगाराम मिश्रा, प्रेमराज सोनी पुत्र रामदयाल सोनी, गोविंद मेहता पुत्र मोहनलाल मेहता, ओम भूतड़ा पुत्र पन्नालाल भूतड़ा, घनश्याम मुथा पुत्र भागीरथ मुथा, जितेंद्र लोढ़ा पुत्र शुबराज लोढा, सुनील मूंदड़ा पुत्र पूनमचंद मूंदड़ा, सुरेंद्र सिंह पुत्र मोहन सिंह कच्छवाहा, नरपत सिंह पुत्र राय सिंह रावणा राजपूत, देवी सिंह पुत्र राम सिंह, पूनम चंद पुत्र श्यामदास, कैप्टन रतन देवड़ा पुत्र भूराराम माली, श्रीमती सदानी पत्नी कन्हैयालाल साद, श्रीमती नैनी पत्नी राधेश्याम लखारा, रमेश सिंह पुत्र हरी सिंह राजपूत, राकेश कश्यप पुत्र शिवराज सिंह कश्यप, बाल किशन पुत्र रामलाल प्रजापत, सुरेश जैन पुत्र नेमीचंद, मुरलीधर बोहरा पुत्र हरिकिशन बोहरा, महेश चंद्र पुत्र मोतीलाल माली, को इस मामले में आरोपी बनाया गया है।
इन आरोपियों की हो चुकी है मौत
इस मामले में पुलिस की जांच इतनी लंबी चली की जहां युवा अवस्था में हंगामा करने वाले वृद्धावस्था को प्राप्त हो गए वहीं छह आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है जिनमें मुरलीधर बोहरा, रमेश कुमार, पूनमचंद मूंदड़ा, प्रेम राज, कैप्टन रतनलाल देवड़ा व देवी सिंह शामिल है।
यह धाराएं की गई है आरोपित
इस मामले मैं आरोपी के खिलाफ सीआईडी सीबी के अनुसंधान के पश्चात अतिरिक्त महानिदेशक अपराध एवं सतर्कता के आदेश पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 109, 114, 336, 353, 332/149 व तीन पीडीपीपी एक्ट का मामला दर्ज किया था।
इन लोगों को 27 सालों में नहीं तामिल करा पाई पुलिस नोटिस
पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया कि पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष वह मामले में आरोपी प्रसन्न चंद मेहता, राजसीको के पूर्व चेयरमैन व मामले में आरोपी मेघराज लोहिया व महेश चंद से अनुसंधान करने के प्रयास किए गए इन तीनों आरोपी गणों से अनुसंधान नहीं होने के कारण धारा 41 का नोटिस तामिल नहीं करवाया जा सका है साथ ही कोर्ट को यह आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही तीनों आरोपी गणों को धारा 41 के नोटिस तामिल करवा कर आवश्यक अनुसंधान के पश्चात इन तीनों के विरुद्ध नतीजा धारा 173(8) के अंतर्गत न्यायालय में प्रथक से प्रस्तुत किया जाएगा। पुलिस की कार्यप्रणाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 27 सालों में पुलिस आरोपियों को नोटिस तक नहीं तामील करा पाई
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