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नगर निगम (उत्तर) के सफाई प्रभारी द्वारा मातहत महिला कर्मचारी से छुट्टी के बदले अस्मत मांगने के मामले में राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद पुलिस व निगम ने अपने-अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है। मामले में गुरुवार को पीड़िता निगम की आंतरिक परिवेदना कमेटी (कमरा नंबर 109) के समक्ष पेश हुई।
उसने कमेटी सदस्यों के सामने सेक्टर 32 के सफाई प्रभारी धर्मेंद्रसिंह गहलोत द्वारा छुट्टी (सीएल) के बदले रिलेशन बनाने का दबाव बनाने के उन सभी आरोपों को दोहराया जो ऑडियो में थे। पीड़िता ने कमेटी के सदस्यों से कहा- मुझे न्याय चाहिए, अब आप मुझे न्याय दिलाएं।
प्रभारी लंबे समय से मुझ पर बुरी नजर रखता था, मैं उसकी सभी बातों को अनदेखी करती रही, लेकिन 14 जनवरी को छुट्टी ली टी उसे बहाना मिल गया और सीएल लगाने के बदले अस्मत मांग ली। उसने कमेटी के समक्ष हाथ जोड़कर कहा कि सफाई प्रभारी ने ऐसा काम किया है, उसे नौकरी में रहने का कोई हक नहीं है। कमेटी सदस्यों ने पीड़िता को पूरा न्याय दिलाने का आश्वासन भी दिया।
इधर, पीड़िता दलित नेताओं के साथ कमिश्नरेट कार्यालय पहुंची। यहां उसने लिखित में प्रार्थना पत्र पेश कर उचित तरीके से एफआईआर दर्ज करने की मांग की। पीड़िता के साथ दलित नेता नरेश कंडारा, विजय कंडोर, सुरेश जोड द्रविड़, लादूराम घारू, पार्षद राकेश घारू, तीर्थराज कल्ला, राजेश तेजी बागर, अविनाश हंस, विनोद बारासा, सुखराज जावा, अजित जावा, आनंदपाल आजाद सहित अनेक दलित नेता उपस्थित थे।
आयुक्त पर सफाई प्रभारी की शिकायत को ही पुलिस को फॉरवर्ड करने का आरोप
सफाई मजदूर नेता नरेश कंडारा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि बुधवार को कुछ अवांछित लोगों ने टाइप किए हुए एक प्रार्थना पत्र पर यह कहकर पीड़िता से हस्ताक्षर करवाए कि तेरा स्थानांतरण घर के पास करा रहे हैं। जबकि उस कागज में निगम आयुक्त को सफाई प्रभारी की शिकायत थी।
उसी शिकायत को आयुक्त ने पुलिस को फॉरवर्ड कर दिया। ऐसे में मुकदमे में आरोपी को बचने का मौका मिल सकता है। दलित नेताओं ने कहा कि इसके कारण ही पीड़िता को पुलिस के सामने आना पड़ा ताकि सही तरीके से मुकदमा दर्ज हो सके और आरोपी को सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके।
सीएसआई की भूमिका पर भी संदेह
दलित नेताओं ने गुरुवार को निगम (उत्तर) के आयुक्त व उपायुक्त से मिलकर तीन सूत्री मांग पत्र सौंपा। इसमें निलंबित सफाई प्रभारी के निलंबन काल में मुख्यालय भरतपुर या जयपुर करने, पूरे मामले में सीएसआई मदनसिंह की भूमिका पर संदेह जताते हुए दलित नेताओं ने उनको निलंबित करने की भी मांग की। साथ ही पुलिस में सही तरीके से एफआईआर दर्ज करवाने की मांग रखते हुए कहा कि तीन सूत्री मांग पत्र पर जल्द फैसला नहीं लिया तो आंदोलन किया जाएगा। इधर, पीड़िता ने सूरसागर जोन के सेक्टर 12 में कामकाज संभाल लिया है। आयुक्त ने बुधवार को ही सेक्टर 32 से पीड़िता का तबादला सेक्टर 12 में कर दिया था।
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