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मरते दम तक जेल में रहने की सजा भुगत रहा आसाराम इलाज कराने के लिए 3 साल के बाद जेल से बाहर आया। उसे सीने में दर्द की शिकायत होने पर अस्पताल लाया गया। अस्पताल में आसाराम काफी थका हुआ और उदास नजर आया। उसके चेहरे पर उम्र के साथ-साथ जेल का असर साफ नजर आ रहा था। तबीयत खराब होने के बावजूद पुलिस वैन से वह बिना किसी सहारे के नीचे उतरकर अंदर तक गया।
मंगलवार देर रात अस्पताल परिसर में बातचीत के दौरान आसाराम ने कहा कि उसे सात बीमारियां है। सांस लेने में दिक्कत हो रही है, पेशाब करने में भी दिक्कत के साथ ही घुटने का दर्द रहता है। आज सीने में भी दर्द शुरू हो गया। पहले जेल से कोर्ट लाए जाने के दौरान आसाराम खनकती हुई आवाज में बात करता रहता था। साथ ही अपने समर्थकों की तरफ भी हाथ हिलाते हुए हमेशा इशारे करता रहता था। लेकिन, मंगलवार रात ऐसा नहीं हुआ। चेहरे पर थकान हावी नजर थी। काफी बार पूछे जाने पर उसने अपनी सेहत के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी दी। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बारे में पूछे जाने पर उसने कोई जवाब नहीं दिया।
अस्पताल में बना भोजन ग्रहण किया
आसाराम को आज अस्पताल की रसोई से उनके लिए भोजन भेजा गया। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने भोजन ग्रहण किया और फिलहाल उनकी स्थिति ठीक है। आज सुबह अस्पताल की रसोई से उनके लिए दाल, पत्ता गोभी की सब्जी, दही के साथ चावल के अलावा घी लगी और बगैर घी की चपाती भेजी गई। कल उन्हें उनके आश्रम से बना भोजन दिया जाएगा। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास बाहर का खाना मंगाने की अनुमति है। ऐसे में हमें कोई दिक्कत नहीं है।
वार्ड में की चहलकदमी
उन्होंने ऑब्जर्वेशन में रखा हुआ है। आज सुबह आसाराम ने अपने वार्ड में चहल कदमी की। साथ ही वहां भर्ती अन्य मरीजों से उनके हालचाल पूछे। सुबह उन्होंने अपने नियमित टहलने का क्रम वार्ड में भी जारी रखा। इस दौरान कुछेक मरीजों से भी वे मिले। उन्होंने अन्य मरीजों से कहा कि सब कुछ ठीक होगा, ऊपर वाले पर भरोसा रखे। कुछ देर टहलने के बाद वे अपने बेड नंबर दस पर जाकर बैठ गए।
सितंबर 2013 से जेल में बंद है
आसाराम सितम्बर 2013 से जोधपुर जेल में बंद है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद लोअर कोर्ट में आसाराम से जुड़े मामले की सुनवाई रोजाना की गई। इस कारण उसे रोजाना जेल से कोर्ट लाया जाता था। जनवरी 2018 में उसके मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद उसे जेल से बाहर निकलने का अवसर नहीं मिला। 25 अप्रैल 2018 को सुरक्षा कारणों से उसे जेल के भीतर ही सजा सुनाई गई। तब से आसाराम जेल में ही बंद है।
सात साल में एक दर्जन याचिकाएं खारिज हुईं
जेल से बाहर आने के लिए आसाराम भरसक जतन कर चुका है, लेकिन लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हर बार उसकी जमानत याचिकाएं खारिज होती गई। सात साल में आसाराम की एक दर्जन से अधिक जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी है। जबकि उसकी तरफ से देश के नामी वकील पैरवी कर चुके है।
इस कारण आसाराम है जेल में
2013 में आसाराम के गुरुकुल में पढ़ाई करने वाली एक नाबालिग छात्रा ने जोधपुर के पास मणाई गांव के एक आश्रम में आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इसके बाद 31 अगस्त 2013 को आसाराम को मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया गया। आसाराम पर पॉक्सो एक्ट, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, दुष्कर्म, आपराधिक षडयंत्र और दूसरे कई मामलों के तहत केस दर्ज हुए। उसके बाद से आसाराम लगातार जेल में बंद है। अप्रैल 2018 में जोधपुर स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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