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शहर में 27 वर्ष पूर्व गणेश प्रतिमा विसर्जन को लेकर उपजे विवाद में गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट पहुंचे राजसिको के पूर्व अध्यक्ष मेघराज लोहिया को आंशिक राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तिथि 28 फरवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
लोहिया ने एफआईआर को ही अपास्त कराने के लिए याचिका दायर की थी। राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को न्यायाधीश पीएस भाटी की कोर्ट लोहिया की याचिका पर सुनवाई हुई। अधिवक्ता केएल ठाकुर ने लोहिया का पक्ष रखा। जबकि राज्य सरकार का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने रखा। न्यायाधीश भाटी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद लोहिया की गिरफ्तारी पर अगली सुनवाई तिथि तक रोक लगा दी। इससे लोहिया को फौरी तौर पर अवश्य राहत मिल गई।
गणेश प्रतिमा विसर्जन मार्ग के विवाद को लेकर हुए उपद्रव के मामले में भाजपा नेता मेघराज लोहिया सहित तीन जनों के विरूद्ध पुलिस 27 साल बाद भी नोटिस तामील नहीं करवा पाई। अब जब इस मामले में अन्य 23 जनों के विरूद्ध कोर्ट में चार्जशीट पेश की गई और इन भाजपा नेताओं से अनुसंधान कर नतीजा रिपोर्ट पेश करने के संबंध में अधीनस्थ कोर्ट को पुलिस ने आश्वस्त किया तो भाजपा नेताओं की चिंता बढ़ गई। भाजपा नेता लोहिया सहित कुछ अन्य आरोपी अब एफआईआर को ही अपास्त कराने के लिए हाईकोर्ट पहुंच गए।
नोटिस तामील होने के बाद उपस्थित होना जरूरी
पुलिस ने कुल 26 आरोपियों में से 23 आरोपियों से जांच कर उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी। पुलिस ने जिन आईपीसी की धारा 147, 109, 336, 353, 332 व पीडीपी एक्ट की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया है, इसमें सात साल से कम की सजा का प्रावधान है। ऐसे में मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ नहीं की जा सकती है। पुलिस पहले आरोपी को सीआरपीसी धारा 41 (क) के तहत नोटिस जारी कर उसे आरोपी से तामील करवाती है। अगर नोटिस तामील हो जाता है और आरोपी जांच के लिए पुलिस के समक्ष उपस्थित नहीं होता है तो गिरफ्तार कर पुलिस पूछताछ कर सकती है।
पुलिस पर पूछताछ का रहेगा दबाव
27 साल बाद भी पूछताछ के लिए जारी नोटिस तामील नहीं होने तथा अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश होने पर अब पुलिस पर नोटिस तामील करवाने का दबाव रहेगा। पुलिस नोटिस जारी कर तामील करवाती है तो लोहिया को उपस्थित होना पड़ेगा तथा नहीं होने की स्थिति में गिरफ्तारी भी हो सकती है।
ना अरेस्ट हो ना केस चले, इसलिए पहुंचे कोर्ट
लोहिया न तो पुलिस के समक्ष उपस्थित होना चाहते हैं ना केस लंबा चलाने के पक्ष में है। इसलिए उनके विरूद्ध दर्ज इस एफआईआर को ही अपास्त कराने के लिए हाईकोर्ट पहुंचे। इस मामले की जांच सीआईडी सीबी व पुलिस के करीब 14 अफसरों ने जांच की । इनमें सीआईडी के निरीक्षक गोपाल रामावत, विष्णुदेव, गोमसिंह, भंवरसिंह, नरेंद्र शर्मा, पुलिस निरीक्षक बृजलाल, रामाकिशन, माधोसिंह, गौतम जैन, हरजीराम, राजूराम, मदन बेनिवाल, प्रदीप कुमार व राजेश यादव ने जांच की। यादव ने ही चार्जशीट पेश की है।
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