आयकर आयुक्त, बेनामी प्रॉपर्टी ने रोहट की एक बीपीएल महिला के नाम की करोड़ों की जमीन को बेनामी और उसकी खरीद-फरोख्त के ट्रांजेक्शन को बेनामी मानकर अटैच कर दी थी। उस जमीन पर इन दिनों काॅलोनी आबाद हो रही है।
डीपीएस-सांगरिया मुख्य रोड पर स्थित इस बेशकीमती जमीन के अटैचमेंट की जानकारी आयकर विभाग ने जोधपुर विकास प्राधिकरण को दे रखी है, ताकि वहां कोई निर्माण इजाजत जारी ना करे। जानकारी उप पंजीयक कार्यालय को भी दे रखी है, ताकि वहां कोई रजिस्ट्री ना हो।
जोधपुर के आयकर विभाग को भी जमीन पर बेनामी संपत्ति का बोर्ड लगाने के निर्देश दे रखे हैं, बोर्ड लगाया भी था, लेकिन उसे उखाड़कर फेंक दिया गया। इस विभागीय कार्रवाई से अनजान लोग बेनामी नींव पर सपनों का घर बना रहे हैं। बेनामी प्रॉपर्टी के तीन नामदारों शांति भील, बद्रीनारायण व रामनारायण ने आयकर आयुक्त के कंफर्म अटैचमेंट के खिलाफ ट्रिब्यूनल में अपील कर रखी है, परंतु जब तक फैसला नहीं हो जाता, जमीन की यथास्थिति में बदलाव गैर कानूनी है।
प्रोविजनल से कंफर्म अटैचमेंट कर दिया, जेडीए को भी सूचित किया
आयकर विभाग ने पूरी छानबीन के बाद 16 बीघा से ज्यादा जमीन को प्रोविजनल अटैच किया। फिर एडज्यूकेटिंग अथॉरिटी दिल्ली ने इसे कंफर्म अटैचमेंट कर दिया। जुलाई-19 को उप पंजीयक जोधपुर को पत्र लिखकर अवगत करवा दिया कि यह जमीन किसी को हस्तांतरित नहीं की जाए।
सहायक आयकर आयुक्त (बेनामी निषेध) जयपुर ने मार्च 20 को जोधपुर एडीएम को पत्र लिखकर बताया कि शांतिदेवी भील के नाम से इस जमीन की बेनामी खरीद-फरोख्त हुई है। दिल्ली ने अटैचमेंट कंफर्म कर दिया है। सितंबर 21 को आयकर विभाग ने जोधपुर विकास प्राधिकरण को भी पत्र लिखकर कहा कि वहां कोई निर्माण नहीं होने दिया जाए।
नोटबंदी के बाद किया
नोटबंदी के बाद सूत्र सूचना पर अति. आयकर आयुक्त ने प्रॉपर्टी ब्रोकर बद्रीनारायण के सर्च की। वहां रॉयल एन्क्लेव नाम से जमीन खरीद व 72 भूखंड बेचने के पेपर मिले। भूमि खरीदने में 8.40 लाख बताए और भूरूपांतरण में 19.26 लाख। जमीन खरीद राेहट की शांतिदेवी भील के नाम से हुई थी। वह बीपीएल निकली जिसकी मासिक आय महज 1000 रुपए थी। शांतिदेवी के नाम से असल खरीददार बद्रीनारायण व रामनारायण थे। डीएलसी वैल्यू ही 67 लाख रुपए बीघा थी।
बेनामी के सबूत कागजों में
कॉलोनी के ब्रोशर पर बद्रीराम, नारायणराम व भल्लाराम के नाम थे। बद्रीराम की बेटी की शादी भी इसी जमीन पर थी। तीनों से आयकर विभाग ने पूछताछ की। अजा की जमीन थी, इसलिए शांतिदेवी भील के नाम से खरीदी। भूखंड मालिक पूनम के बयान हुए।
उसने बताया भूखंड का पैसा नारायणराम के घर दिया था। रजिस्ट्री के कागजात पर शांतिदेवी ने नारायणराम की किराएदार बताया था। सेल डीड पर नारायण के भी गवाह के तौर पर हस्ताक्षर हैं। नारायणराम की आय कृषि से बताई हुई थी।
आयकर विभाग ने जेडीए को पत्र दे रखा है तो चैक करेंगे जरूरी एक्शन भी लेंगे। जमीन बेनामी मानी है और अटैचमेंट हो रखा है तो वहां निर्माण गलत है।
- जयनारायण मीणा, सचिव, जोधपुर विकास प्राधिकरण
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