जोधपुर जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र के रजलानी गांव में मारवाड़ी ड्रेस पहने लंबा घूंघट निकाल नर्स बुजुर्ग को वैक्सीन लगा रही है। इसका वीडियो सामने आया तो बहस छिड़ गई। कई घूंघट वाली नर्स के समर्थन में बाेल रहे तो कुछ विरोध में आवाज उठा रहे हैं। बहरहाल गांव की पंचायत ने इस नर्स को सम्मानित करने का फैसला किया है।
जोधपुर के ग्राम पंचायत रजलानी में कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान के तहत 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सोमवार को वैक्सीन की दूसरी डोज लगाई गई। इस दौरान वैक्सीन लगा रही नर्स अपनी ड्यूटी के दौरान क्षेत्र में जारी परंपराओं का भी पालन करती नजर आई। गांव के लोगों को वैक्सीन लगाते समय गांव की इस बहू ने अपनी परंपरा को निभाते हुए घूंघट निकाल कर लोगों को वैक्सीन लगाई। गांव के सरपंच पारस गुर्जर ने बताया कि उनके गांव में रहने वाले अशोक चौधरी की पत्नी शारदा चौधरी इसी गांव में नर्स के पद पर कार्यरत है। वह अपनी ड्यूटी के दौरान परंपराओं का भी पूरी मुस्तैदी से निर्वहन करती है। उन्होंने बताया कि इस टीकाकरण के दौरान 167 लोगों को टीका लगाया गया।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
वहीं इसे लेकर सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छिड़ गई है। मीनाक्षी जोशी ने लिखा कि घूंघट लेना या न लेना व्यक्तिगत राय होनी चाहिए, यदि यह महिला इसमें खुश है और काम में भी कोई बाधा नहीं तो बढ़िया है। वहीं, हर्ष मतवाल का कहना है कि वैसे राजस्थान सरकार ने घूंघट छोड़ो अभियान चला रखा है। वैसे वृद्ध इनके आसपास के रहे होंगे, तो सम्मान पूर्वक ऐसा करना समझ आता है, लेकिन घूंघट बाधा न बने ऐसा सामाजिक परिवेश बनना चाहिए।
भारती खंडेलवाल ने लिखा कि मैं इस तरह टीका लगाने के बिल्कुल पक्ष में नहीं हूं। सम्मान अपनी जगह है, लेकिन घूंघट में टीकाकरण का क्या औचित्य? ये स्वास्थ्य का मामला है। जबकि मनीष भट्टाचार्य ने लिखा कि राजस्थानी परंपरा की ऐसी तस्वीर कहीं और देखने को नहीं मिलेगी। वहीं पीआर भगु का मानना है कि यह पहचान है राजस्थान की। जितेन्द्र पूनिया ने लिखा कि अच्छा हुआ डॉक्टर नहीं बनीं, वरना शर्मा शर्मी में बेचारा मरीज मारा जाता और हमारे राजस्थान पर एक और दाग लगा दिया जाता। राजकुमार सोनी ने टिप्पणी की कि नर्स ने नहीं, घूंघटों तो बासा(बुजुर्ग) ने कढाणो हो, टीकों गलत लाग जातो तो।
घूंघट के विरोध में गहलोत
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं घूंघट प्रथा के विरोध में है। वे इसे लेकर कई बार बयान दे चुके हैं। गहलोत का मानना है कि जब तक घूंघट नहीं हटेगा महिला कभी आगे नहीं बढ़ पाएगी। समाज को किसी महिला को घूंघट में कैद करने का क्या अधिकार है? गहलोत महिलाओं से कई बार कह चुके हैं कि हिम्मत और हौसले के साथ आपको आगे बढ़ना पड़ेगा। सरकार आपके साथ खड़ी मिलेगी। अब जमाना बदल गया है और नारी शक्ति को घूंघट में कैद नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब महिलाओं को घूंघट में रखा जाता था। आज वक्त बदल चुका है। महिलाएं पढ़-लिखकर हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रही हैं।
परंपरा बना घूंघट
राजस्थान में घूंघट एक सामाजिक परंपरा है। इसमें महिलाएं घर से बाहर निकलते समय अपने चेहरे को घूंघट से ढंके रहती है। बल्कि घर में भी बड़े बुजुर्गों के सामने बगैर घूंघट के नहीं आती है। पढ़-लिखकर बड़े पदों पर काबिज हो चुकी महिलाएं तक अपने गांव की यात्रा के दौरान बाकायदा घूंघट में नजर आती हैं। शहरी क्षेत्र में यह परंपरा धीरे-धीरे दम तोड़ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में आज भी इस परंपरा को निभाया जा रहा है।
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