50 साल पहले बसी मोहनगढ़ ढाणी के 25 घरों में बिजली नहीं है। यहां करीब 150 लोग रहते हैं। यह गांव जोधपुर जिले के शेरगढ़ तहसील में पड़ता है। यहां के लोगों ने बताया कि विभाग में कई बार फाइल जमा करवाई। वहां अफसर बोलते हैं- फाइल छोड़ जाओ। कुछ दिन बाद वापस जाते हैं तो बोलते हैं-फाइलें गुम हो गई। कई सालों से चक्कर लगा रहे हैं। कनेक्शन नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि शेरगढ विधायक मीना कंवर के पास भी पहुंचे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। यहां सभी परिवार किसानी करते हैं और मजदूरी करते हैं। लाेगों का कहना है कि घर के पास से बिजली के तार जा रहे हैं, फिर भी कनेक्शन नहीं हो रहा।
यहां 50 बच्चे ऐसे हैं जो स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल चार्ज करना संभव नहीं है। घर से दो किलोमीटर दूर जाकर मोबाइल चार्ज करके लाते हैं। रात में दीपक या लालटेन जला कर पढ़ते हैं। ढाणी के लोगों का कहना है कि उनके बड़े-बुजुर्गों ने बिजली कनेक्शन के इंतजार में ही दुनिया छोड़ गए। हमारे बच्चों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। मोहनलाल ने बताया कि बच्चों के भविष्य के लिए शहर में कमरा किराये लेकर रहने को मजबूर हैं।
सोलर प्लेटें भी खराब
ढाणी के कुछ घरों में सरकारी सोलर प्लेट लगी थीं। उससे घरों में रोशनी हुई, लेकिन पिछले दो सालों से यह प्लेटें भी खराब हो गई हैं। भीषण गर्मी में एक पंखा तक नसीब नहीं हो रहा। ढाणी वासियों का यह भी कहना है कि हर कोई बिजली कनेक्शन को तरस रहा है, लेकिन सुनवाई नहीं होती।
दीपक जलाकर करते हैं काम
यहां रहने वाले अपनी दिनचर्या का सभी काम सूरज की रोशनी रहने तक पूरा करने की कोशिश करते हैं। रात में उन्हें दीपक जलाकर काम करना पड़ता है। बच्चे भी दीपक की रोशनी में पढ़ते है। करनाराम का कहना है कि पहले कैरोसिन मिलता था, तब लालटेन जलाते थे। अब दीपक जला कर रखना पड़ता है।
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