राजस्थान प्रशासनिक सेवा के परिणाम में जिले की कई प्रतिभाओं ने सफलता हासिल की। इस सफलता के पीछे इन प्रतिभाओं की अथक मेहनत के साथ ही जिंदगी और परिस्थितियों से जबरदस्त संघर्ष भी था। ऐसी ही चुनिंदा प्रतिभाएं जिन्होंने हर चुनौती का सामना कर इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
प्रियंका कंवर
मेंस एग्जाम के बीच बच्ची को फीड करवातीं, इंटरव्यू से 15 दिन पूर्व पिता की मौत
बिलाड़ा के उदलियावास की बहू प्रियंका कंवर के सामने परीक्षा से इंटरव्यू तक कई चुनौतियां आईं। 2016 आरएएस में चयनित पति अभिषेकसिंह से प्रेरणा ले तैयारी शुरू की। बिटिया नवजात होने के कारण प्रियंका अजमेर में मम्मी के पास रहने गईं। मैंस एग्जाम थे तब बेटी 6 माह की थी। परीक्षाओं के बीच जाकर बच्ची को फीड भी करवाया। 2 जुलाई को आरएएस का इंटरव्यू था। 18 जून को प्रियंका के पिता कैलाशसिंह व काका गोविंदसिंह का कोरोना से निधन हो गया। ऐसे में भी हौसला बनाए रखा।
सिद्धार्थ सांदू
पिता का अधूरा सपना पूरा किया, देखने को पिताजी ही नहीं रहे
10वीं रैंक हासिल करने वाले सिद्धार्थ सांदू का यह पहला प्रयास था। सिद्धार्थ के मन में खुशी के साथ टीस भी है। उनकी यह सफलता देखने के लिए उनके पिता नहीं रहे। सेल्स टैक्स ऑफिसर पिता को देखकर सिद्धार्थ के मन भी शुरू से प्रशासनिक सेवा में जाने का था। पिता भी यही चाहते थे। इसके लिए बेटे को कहीं भी अड़चन आती तो पिता दूर करते। इंटरव्यू के दौरान भी साथ चले। हालांकि परिणाम आने से दो महीने पहले कोविड-19 के कारण उनका देहांत हो गया।
मूलेंद्रसिंह चांपावत
20 साल एयरफोर्स में रहे, वीआरएस लेकर तैयारी की, 44 की उम्र में बने आरएएस
लूणी के मूलेंद्रसिंह एयरफोर्स में 20 साल तक सेवाएं दी। इसके बाद प्रशासनिक सेवाओं में जाने की ठानी। इसके लिए वीआरएस लिया व परीक्षा की तैयारी मे जुट गए। घर पर ही नियमित अध्ययन किया। प्रशासनिक सेवा में कार्यरत बहन सूरज राठौड़ ने हर तरह से गाइड किया। 20 साल जॉब, इतने समय पढ़ाई से दूरी और उम्र। चुनौतियां तो कई थीं, लेकिन मूलेंद्रसिंह ने एयरफोर्स वाला हौसला यहां भी रखा। आखिर मेहनत और हौसला ही था कि आरएएस का परीक्षा परिणाम आया तो उन्होंने एक्स सर्विसमैन श्रेणी में 13वीं रैक हासिल की।
राधेश्याम परिहार
नर्सिंगकर्मी की जॉब करते समय मिले इसलिए अस्पताल के पास ही रहने लगे
उम्मेद हॉस्पिटल में 2011 से नर्स ग्रेड सैकंड के पद पर कार्यरत राधेश्याम परिहार मूल रूप से मथानिया के रहने वाले हैं। पिता खेती करते हैं। राधेश्याम का यह तीसरा प्रयास था। पिछली बार आरएएस परीक्षा में रैंक पीछे आई थी। इसलिए फिर से परीक्षा दी। कड़ी मेहनत और लगन से तैयारी की। नर्सिंग की नौकरी के दौरान भी तैयारी के लिए ज्यादा से ज्यादा समय मिले, इसके लिए अस्पताल के नजदीक ही मकान ले लिया। कोविड-19 के दौर में भी फ्रंटलाइन वॉरियर के तौर पर ड्यूटी दी। आखिर मेहनत रंग लाई और आरएएस में चयनित हुए।
ललित चौधरी
2 साल पहले पिता-पुत्र रिटायर हुए, अब पुत्र आरएएस में चयनित
डांगियावास कोकुंड़ा के ललित चौधरी की कहानी बिलकुल अलग है। मात्र 16 साल की आयु में उनका चयन नेवी में हो गया। 15 साल नौकरी कर 2018 में रिटायर हो गए। उसी साल ललित के पिताजी अपनी पूरी नौकरी कर सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद ललित ने खुद को आरएएस की तैयारी में झोंक दिया। ट्यूशन ली, ताकि स्टडी में निरंतरता बनी रहे। दो साल की मेहनत के बाद पहले ही प्रयास में परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए। एक्स सर्विस मैन की श्रेणी में 30वीं रैंक आई।
रविप्रकाश लखारा
बीएसएफ असिस्टेंट कमांडेंट ने प्रथम प्रयास में पाई 16वी रैंक
गंगाणी के रविप्रकाश लखारा ने 16 वीं रैंक हासिल की। किराणा व्यवसायी मनोहरलाल लखारा एवं गृहिणी गीतादेवी के बेटे रवि ने 12वीं के बाद 17 की उम्र में नौसेना में नाविक पद से कॅरियर शुरू किया। साथ ही ग्रेजुएशन की। 2014 में केंद्रीय पुलिस बल में सीमा सुरक्षा बल के सहायक कमांडेंट पद पर चयन हुआ। टफ जॉब के बावजूद प्रशासनिक सेवा में जाने को तैयारी जारी रखी। बिना कोचिंग अपनी प्रतिभा से प्रथम प्रयास में ही सफलता हासिल की। अभी वे कश्मीर में अग्रिम मोर्चे पर दुश्मनों से लोहा ले रहे हैं।
पूनम चोयल
पहले की आरएएस की रैंक से संतुष्ट नहीं थीं, तैयारी जारी रखी
सहकारी विभाग में सहायक रजिस्ट्रार पूनम चोयल को पूरे राज्य में 13वीं रैंक मिली है। पीपाड़ सिटी के मलार गांव की मूल निवासी पूनम को इससे पूर्व भी चार सफलताएं मिल चुकी थी। उनका चयन पटवारी, ग्राम सेवक, तृतीय श्रेणी शिक्षिका और फिर सहायक रजिस्ट्रार के पद पर हो चुका था। हालांकि ये उनकी मंजिल नहीं थी।
परिवार संभालने साथ नौकरी भी करनी थी और आरएएस की तैयारी भी। इतनी चुनौतियों के बीच आर्मीमैन पति रामकिशोर डूडी का पूरा प्रोत्साहन पूनम को मिलता। व्यस्त दिनचर्या के बावजूद आरएएस की पढ़ाई और तैयारी में जान झोंक दी।
नीतू राठौड़
3 माह में 3 एग्जाम पास किए पांचवीं जॉब होगी आरएएस
सेल्स टेक्स विभाग में जेसीटीओ नीतू राठौड़ को आरएएस में 53वीं रैंक मिली है। यहां तक का सफर कांटों पर चलने जैसा रहा। सबसे पहले बीएड करके प्राइवेट स्कूल में नौकरी की। इस दौरान समय निकालकर लाइब्रेरी में पढ़ाई करतीं। सबसे पहले फरवरी में थर्ड ग्रेड शिक्षक में चयन हुआ। मार्च में लेक्चरर के पद पर चयन हुआ।
वहीं अप्रैल में सैकंड ग्रेड में चयन हो गया। इसके बाद आरएएस 2013 एग्जाम दिया और 2017 में जेसीटीओ का पद संभाला। पिछली बार की रैंक से संतुष्ट नहीं थी। अच्छी रैक पाने की ठान ली। इसके लिए तैयारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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