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शहर में बढ़ते भू-जल स्तर का असर अब शहर के डेवलपमेंट पर भी पड़ रहा है। भू-जल के कारण ही केंद्रीय रोडवेज बस स्टैंड की नई इमारत की ड्राइंग में बदलाव किए जा रहे हैं। पहले नई बिल्डिंग में भूमिगत पार्किंग की डिजाइन शामिल थी, लेकिन जैसे ही यह प्लान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष पहुंचा तो उन्होंने डिजाइन में तत्काल बदलाव करने के निर्देश दिए। अब नई डिजाइन बनाई जाएगी।
दरअसल शहर में बढ़ते भू-जल की समस्या का वास्तविक कारण ना तो पता चला है और ना ही इसका निदान हुआ है। कायलाना के रिसने से लेकर कई सीवरेज लाइन को भी कारण बताया गया, पर हकीकत यही है कि भू-जल का स्तर लगातार बढ़ रहा है। शहर के कई इलाकों में यह स्तर दो से ढाई मीटर ही है तो कहीं पर यह बढ़कर 10 मीटर के पास है। विडंबना यह है कि शहर में अधिकतम 15 मीटर की खुदाई पर भू-जल मिल जाएगा, पर यह गहराई एक-दो एरिया को छोड़कर कहीं नहीं है।
रोडवेज बस स्टैंड की बनेगी नई डिजाइन
जोधपुर में केंद्रीय रोडवेज बस स्टैंड की नई बिल्डिंग बननी है। इसके लिए योजना 2013 से बन रही है, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद मामला अटक गया। अब पुन: गहलोत सरकार के आते ही काम शुरू हो गया है। करीब 50 करोड़ की लागत से रोडवेज की नई बिल्डिंग बनाई जाएगी।
आरएसआरडीसी को निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पहली डिजाइन जब सीएम गहलोत के समक्ष दिखाई दी तो उन्होंने भूमिगत पार्किंग को लेकर ही सवाल खड़े किए। चूंकि पावटा क्षेत्र में भू-जल बढ़ा हुआ है, इसलिए भूमिगत पार्किंग में आने वाली दिक्कतें साझा की। इस पर सहमति बनी कि नई डिजाइन बनाई जाएगी, जिसमें भूमिगत पार्किंग नहीं होगी।
मंडोर और महामंदिर में दो मीटर तो सूरसागर में 13 मीटर पर है भू-जल
जोधपुर शहर में भू-जल का स्तर कहीं पर मात्र 0.15 मीटर पर है तो कहीं पर 15 मीटर पर है। इसमें फतेहसागर पीएचईडी ऑफिस के पास 0.15 मीटर पर भू-जल है। वहीं मंडोर मंडी में 1.96 मीटर, पुलिस लाइन हॉस्पिटल के पास 1.98 मीटर और महामंदिर में 2.04 मीटर की खुदाई पर भू-जल है। वहीं एयरफोर्स में 15.90, आकाशवाणी पावटा में 14.65 मीटर, आदर्श स्कूल सूरसागर में 12.80 मीटर पर भू-जल है।
पावटा में भू-जल स्तर कहीं कम तो कहीं ज्यादा
पावटा में भू-जल का स्तर अलग-अलग क्षेत्रों में अलग है। आकाशवाणी के पास 14.65 मीटर पर है तो पावटा ए रोड पर 5.9 मीटर पर ही है। इसी तरह मानजी का हत्था क्षेत्र के पास 4.39 मीटर पर ही भू-जल है।
डिजाइन बदल रहे हैं
आरएसआरडीसी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर केके सिंघल का कहना है कि पावटा में भू-जल स्तर बढ़ा होने के कारण भूमिगत पार्किंग की डिजाइन में बदलाव किया है। जल्द ही नई डिजाइन पेश की जाएगी। इसमें भूमिगत पार्किंग को हटाकर अन्यत्र स्थान पर दिखाया जाएगा।
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