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पक्का ‘इलाज’ शुरू:ट्रैंचलेस पद्धति से हाथोहाथ बन रहे पाइप, डेढ़ माह में होगा काम, ये लाइन 50 साल चलेगी

जोधपुर4 महीने पहलेलेखक: राजेश त्रिवेदी
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पाली राजमार्ग पर रोज-रोज धंस रही सीवर ट्रंकलाइन को अब ऑन साइट बदलने का काम शुरू हो गया है। पाली रोड की खोखली 3 किमी लंबी सीवर ट्रंकलाइन का ट्रेंचलेस पद्धति से मौके पर ही क्योर्ड इन प्लेस पाइप (सीआईपीपी) पद्धति (ट्रैंचलेस) से नए पाइप का निर्माण किया जा रहा है।

आरयूआईडीपी (रूडिप) आईआईटी दिल्ली की डिजाइन पर हौदी से हौदी नए पाइप फॉर्मेशन कर रही है। इस पद्धति से ट्रंकलाइन की उम्र 45-50 साल तक के लिए बढ़ जाएगी। फिलहाल जेएनवीयू न्यू कैंपस के सामने पाेली 41 मी. सीवर ट्रंकलाइन को ट्रैंचलेस पद्धति से बदला जा चुका है।

आरयूआईडीपी 15 जनवरी तक 3 किमी लंबी सीवर ट्रंकलाइन को बिना सड़क की खुदाई के ऑन साइट ही बदलने का काम पूरा कर लेगी। इसके लिए आरयूआईडीपी (जोधपुर) के एसई सुनील व्यास, एक्सईएन नेमीचंद गहलोत, एईएन सुरेश गुर्जर, ट्रंकलाइन को ट्रैंचलेस पद्धति से नए पाइप लगाने वाली निजी कंपनी ऑन साइट के सुपरवाइजर हिमांशु व संजीत के अलावा टेक्नीशियन दीपक के साथ रात भर इस काम को तय समय में पूरा करने में जुटे हैं।

600 MM की ट्रंकलाइन की मोटाई 1000 MM की लाइन जितनी होगी

आरयूआईडीपी ने सीसीटीवी कैमरे की मदद से पाली रोड की 600एमएम की सीवर ट्रंकलाइन के अंदर की फोटो आईआईटी दिल्ली को भिजवाते हुए नए पाइप के फॉर्मेशन की थिकनेस मांगी थी। आईआईटी दिल्ली के सिविल इंजीनियर प्रो. एके गोसाई ने ट्रंकलाइन की स्थिति देखते हुए नए फॉर्मेशन के दौरान 14एमएम की थिकनेस रखने को कहा।

14एमएम की थिकनेस वाली डिजाइन का मतलब यही है कि यह सीवर ट्रंकलाइन पूरी तरह से सड़-गल चुकी है। आम तौर पर यह थिकनेस 900-1000 एमएम की सीवर ट्रंकलाइन के लिए दी जाती है, क्योंकि 1200 एमएम की ट्रंकलाइन के फॉर्मेशन की थिकनेस 18 एमएम रखी जाती हैं।

  • ट्रेंचलेस पद्धति में बिना खुदाई नए पाइप का होता है फॉर्मेशन
  • ट्रेंचलेस पद्धति, यानि क्योर्ड इन प्लेस पाइप (सीआईपीपी) की मरम्मत से पाइपलाइन की उम्र 45-50 साल बढ़ जाती है।
  • दिल्ली की निर्माण एजेंसी ऑन साइट के सुपरवाइजर हिमांशु ने बताया कि इस पद्धति में सड़क के 20-22 फीट नीचे बिछाई 600, 900 व 1200 एमएम सीवर ट्रंकलाइन के नए फॉर्मेशन के लिए 3 केमिकल को मिक्स कर लाइनर (तीन लेयर कपड़े) के माध्यम से पाइप के चारों ओर चिपका दिया जाता है।
  • इसके बाद ट्रंकलाइन में पानी भरकर उसे निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है। गर्म होने पर केमिकलयुक्त लाइनर पाइप के साथ चिपककर ठोस रूप ले लेता है।
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