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शिक्षक भर्ती के लिए प्रस्तावित रीट परीक्षा-2021 में राजस्थानी भाषा को शामिल करने को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और रीट परीक्षा आयोजक सेकेंडरी शिक्षा बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 12 मई को होगी।
मातृभाषा ही शामिल नहीं
वरिष्ठ पत्रकार पदम मेहता व जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में राजस्थानी भाषा के प्रोफेसर कल्याण सिंह शेखावत ने याचिका दायर की है। इस पर मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती व विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि प्रदेश में शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षा अगले कुछ माह में प्रस्तावित है। इस परीक्षा के भाषा खंड में 60 प्रश्न पूछे जाएंगे। इस खंड के लिए परीक्षार्थी हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, पंजाबी, सिंधी व गुजराती भाषा का चयन कर सकते है, लेकिन राजस्थान की मातृभाषा को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
राजस्थान में ही राजस्थानी भाषा की उपेक्षा
यह भी हवाला दिया गया कि केंद्र व राज्य सरकार बार-बार स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दे रही है। इसके बावजूद राजस्थान में ही राजस्थानी भाषा की उपेक्षा की जा रही है। जबकि वर्ष 2011 की जनगणना के दौरान प्रदेश के 4.63 करोड़ लोगों ने राजस्थानी भाषा बोलने के बारे में बताया था। ऐसे में शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षा में प्रदेश की स्थानीय भाषा को भी समान महत्व दिया जाना चाहिए। खंडपीठ ने सम्बन्धित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
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