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कोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने का बेहतर विकल्प होने की वजह से इस बार शहर में किन्नू की न केवल खूब आवक हुई बल्कि भाव भी सामान्य होने की वजह से बेहताशा खरीद भी हुई। भास्कर टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि कुछ दिनों पहले तक होलसेल में किन्नू 5 रुपए प्रति किलो के भाव तक पहुंच गया था लेकिन अब होलसेल में भाव कुछ बढ़े और अच्छी किस्म के किन्नू होलसेल में 20-22 रुपए प्रति किलो तक मिल रहे हैं। वैसे तीन-चार साल बाद किन्नू के भाव 5 से 15 रुपए प्रति किलो तक पहुंचे हैं।
भदवासिया फ्रूट मंडी के अध्यक्ष दयालदास हरवानी बताते हैं कि खुले में आने वाले किन्नू के भाव 12-13 रुपए प्रति किलो तक चल रहे हैं, जबकि कैरेट में 15-16 रुपए प्रति किलो के भाव हैं। भाव कम होने का मुख्य कारण डिमांड कम और उत्पादन ज्यादा है।
फ्रूट मंडी में होलसेल का काम करने वाले प्रकाश लालवानी के अनुसार इन दिनों मौसम बदला है और इसी के चलते खपत में वृद्धि हुई है। इससे होलसेल खरीद के भाव में भी बढ़ोतरी हुई है। शहर में हर रोज औसतन 100 से 150 टन किन्नू की आवक हो रही है और इनमें से ज्यादातर श्रीगंगानगर से और कुछ हिस्सा पंजाब के अबोहर से आ रहा है।
आंदोलन देख ठेकेदारों की झिझक भी पड़ी भारी
श्रीगंगानगर के किसान पुरणराम गोदारा का मानना है कि यहां के किन्नू की राजस्थान सहित चेन्नई, केरला, कोलकाता, महाराष्ट्र, कर्नाटका, यूपी, दिल्ली आदि राज्यों में डिमांड रहती है। दिल्ली मंडी में इस बार आंदोलन की वजह से उठाव नहीं है और बड़े ठेकेदारों में उधर माल भेजने में संकोच ज्यादा है। ट्रांसपोर्ट में ज्यादा समय लगने की स्थिति में किन्नू खराब हो सकते हैं और ठेकेदारों को लगता है कि रास्ते में 5-7 घंटे भी ट्रक अटक गया, तो उन्हें लाखों का नुकसान हो जाएगा।
इसके चलते उन्होंने माल ही नहीं उठाया और किसानों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ा। गोदारा के अनुसार वे खुद के बाग में दिसंबर से ही तुड़ाई शुरू कर देते हैं लेकिन 10 फरवरी तक तो लागत निकालनी भारी पड़ रही थी। बाजार में अब कुछ सुधार हुआ है और अच्छे किन्नू के भाव 12-13 रुपए किलो तक मिलने लगे हैं।
श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ इलाके में सर्वाधिक पैदावार
संगरिया स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुप कुमार के अनुसार इन इलाकों में तकरीबन 12 से 15 हजार हैक्टेयर में किन्नू के बाग हैं। औसतन प्रति हैक्टेयर 250-300 क्विंटल के हिसाब से 3 लाख 80 हजार टन से ज्यादा किन्नू की पैदावार हुई है।
उत्पादन की तुलना में इस वर्ष एक्सपोर्ट नहीं होने और देश की विभिन्न मंडियों में पर्याप्त उठाव नहीं होने की वजह से इस बार किन्नू के भाव शुरुआती दौर में काफी कम थे। जबकि गुणवत्ता के लिहाज से यहां के किन्नू की क्वालिटी बहुत अच्छी है। ऐसे में इन इलाकों में प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने के लिए पर्याप्त संभावनाएं हैं और ऐसी यूनिट्स के आने से रोजगार में भी वृद्धि होगी।
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