राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से चल रहे पांच दिवसीय ओम शिवपुरी स्मृति नाट्य समारोह का आज समापन हुआ।
आज अंतिम दिन डॉ एस पी रंगा निर्देशित तथा डॉ राम प्रसाद दाधीच लिखित नाटक मैं तुम्हें फिर मिलूंगी का मंचन किया गया।
नाटक की कहानी में अमृता प्रीतम की जीवन को नाटक के माध्यम से प्रदर्शित कर दर्शकों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है। ख्यातनाम साहित्यकार डॉ. राम प्रसाद दाधीच ने अपने कौशल से शब्दों का परिसीमन कर एक यादगार नाट्य कृति “मैं तुम्हें फिर मिलूंगी” की रचना की है। अमृता को यदि जानना है तो उनके रचना कर्म में झाँकना होगा, कविताओं में डूबना होगा और उनकी तन्हाई की दर्द भरी अनुगूंज सुननी होगी। एक बेबाक और अपनी शर्तों पर जीने वाली औरत के ईमानदार चित्रांकन का प्रयत्न इस नाटक में किया गया है।
कलाकारों ने रसिकों को एक रूहानी यात्रा का अनुभव कराया
अमृता का साहिर के साथ प्यार आसमान की तरह था लेकिन इमरोज़ के साथ प्यार छत की तरह, एक औरत को आसमान की उन्मुक्तता और छत की सुरक्षा, दोनों की आवश्यकता होती है, ऐसी ही अनुभूतियों का एहसास करवाते हुए इस प्रस्तुति ने रसिकों को एक रूहानी यात्रा का अनुभव कराया। सभी ने आत्मिक आनंद की अनुभूति कर इसे सराहा। पात्रों का अभिनय कौशल व मंचीय तकनीक एक आकर्षक प्रदर्शन के रूप में सभी को भाया।
कार्यक्रम में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा श्रीमती संगीता बेनीवाल एवं सलीम खान ने नाटक निर्देशक डॉ एस.पी. रंगा को पुष्पगुच्छ भेंट किया।नाटक में डॉ अनुराधा अडवानी, डॉ. सुरेश प्रसाद रंगा, एम.एस. जई, डॉ. नीतू परिहार, डॉ. हितेन्द्र गोयल ने अपनी-अपनी भूमिकाओं को बखूबी निभाते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध किए रखा।
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