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बासनी औद्योगिक क्षेत्र के एक कारोबारी समूह संचालकों के इशारे पर चलने वाले जीएसटी फ्रॉड गिरोह की पड़ताल में अब भी नए खुलासे हो रहे हैं। हाल ही के दिनों में स्टेट जीएसटी टीमों की छानबीन में बोगस बिलिंग के लिए पंजीकृत कराई गई दो और फर्मों के बारे में पता चला है। इनमें एक फर्म चेन्नई से खोलने और इसका पता जोधपुर के निकट क्षेत्र का दर्शाया गया था।
बोगस बिलिंग से आईटीसी बेनिफिट लेने वाले मुख्य कारोबारी समूह पर शिकंजा कसने के लिए विभाग की टीमें लगातार पड़ताल करते हुए कई अन्य लाभार्थी फर्मों को नोटिस जारी कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों स्टेट टैक्स डिपार्टमेंट की जोधपुर एंटी इवेजिन टीम के साथ अन्य अधिकारियों की संयुक्त टीमों ने एक साथ आधा दर्जन ठिकानों पर सर्वे की कार्रवाई करते हुए एक बड़े गिरोह का खुलासा किया था जो फर्जी या जाली दस्तावेजों के आधार पर बनाई नई फर्मों से बोगस बिलिंग की जा रही थी।
इन्हीं फर्जी बिलों से करीब तीन दर्जन फर्मों ने आईटीसी का बेनिफिट लेकर लाखों की जीएसटी चोरी की थी। ऐसी डेढ़ सौ से ज्यादा फर्मों को नोटिस जारी करने के बाद कई लाभार्थी फर्मों ने तो विभाग में उन बिलों पर बनने वाले टैक्स की राशि जमा भी करवा दी। यही राशि तकरीबन 50 लाख के आसपास बताई जा रही है।
इसी तरह, स्टेट टैक्स डिपार्टमेंट अधिकारियों के सामने आई ऐसी फर्मों की करीब एक करोड़ रुपए की आईटीसी ब्लॉक करने या रिवर्स करने की प्रक्रिया भी की गई। यानि, विभाग इस गिरोह की कारस्तानियों को एक्सपोज करने के साथ ही करीब करीब डेढ़ करोड़ रुपए की रेवेन्यू भी वापस हासिल कर चुका है।
गुढ़ा रोड झालामंड का पता, हकीकत में कुछ भी नहीं: सूत्रों के अनुसार जीएसटी फ्रॉड गिरोह के मास्टरमाइंड से जुड़ी छानबीन में सामने आया कि एक फर्म में तकरीबन ढाई करोड़ के फर्जी बिल जारी किए थे। उस फर्म की हकीकत देखने पहुंचे अधिकारियों को गुढ़ा रोड झालामंड इलाके के उस पते पर ऐसे किसी कारोबार का अस्तित्व ही नहीं मिला।
पता चला कि किसी रोहित नाम के शख्स द्वारा चेन्नई से फर्म बनाई थी। हैरानी की बात यह भी थी कि इसी पते पर एक और फर्म का पता दर्शाया गया था। गनीमत ये रही कि इस दूसरी फर्म में कोई ट्रांजेक्शन किए जाने की जानकारी सामने नहीं आई।
ग्रेनाइट-मार्बल, स्क्रैप या कलर केमिकल्स कमोडिटी में सबसे ज्यादा टैक्स चोरी
पिछले एक-डेढ़ साल में जीएसटी चोरी करने वाले गिरोहों के बारे में लगातार कार्रवाई से सामने आया है कि ग्रेनाइट-मार्बल, स्क्रैप या कलर केमिकल्स से जुड़ी कमोडिटी में बोगस बिलिंग का सर्वाधिक उपयोग किया जा रहा है।
इसी तरह, दूसरी कमोडिटी हैंडीक्राफ्ट से जुड़ी है, जिसमें टैक्स चोरी के लिए फर्जी फर्मों से बिल लेने या देने का नेटवर्क बड़े पैमाने पर चल रहा है। इसी के मद्देनजर स्टेट जीएसटी और आयकर विभाग भी इन कमोडिटी से जुड़े नेटवर्क पर नजर रख रहा है।
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