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उपभोक्ता प्रतितोष आयोग ने एक मामले में रेलवे की सेवा में कमी मान यात्री को 20 हजार रु. चुकाने को कहा है। पेशे से वकील यात्री ने परिवाद दायर किया कि- सफर के दौरान एसी कोच के टॉयलेट में सफाई व पानी का इंतजाम नहीं था। रेलवे ने कहा कि पानी यात्रियों के अपव्यय से खत्म हो गया। उसे जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। आयोग ने कहा कि पानी 12 घंटे बाद खत्म हुआ था एवं हरिद्वार-जोधपुर के बीच भटिंडा आता है, वहां पानी भरने की सुविधा थी। आयोग ने सेवा में कमी बताते हुए रेलवे से परिवादी को 20 हजार रु. अदा करने के आदेश दिए।
परिवादी ने पौने दो लाख रुपए का अनुतोष मांगा था
बनाड़ रोड निवासी आलोक डोभाल ने उत्तरी पश्चिमी रेलवे के जीएम व डीआरएम बीकानेर के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर आयोग को बताया कि उन्होंने आरक्षण करवा 24 जून 12 को हरिद्वार से जोधपुर के लिए एसी थ्री टायर कोच में यात्रा शुरू की थी। सुबह सूरतगढ़ स्टेशन पर नित्यकर्म के लिए टॉयलेट का प्रयोग करना चाहा तो गंदा होने के साथ पानी भी नहीं था। शिकायत टीटीई को करने पर उन्होंने बीकानेर स्टेशन से पहले पानी भरवाने में असमर्थतता जाहिर की। परिवादी ने पौने दो लाख रुपए का अनुतोष दिलाने का आग्रह किया।
रेलवे ने आयोग में प्रस्तुत जवाब में कहा कि ट्रेन रवाना होते समय हरिद्वार में कोच में पानी भरवाया था। रास्ते में यात्रियों के अपव्यय से पानी खत्म हुआ था। आयोग अध्यक्ष डॉ श्यामसुंदर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास एवं आनंदसिंह सोलंकी की पीठ ने परिवाद स्वीकार करते हुए कहा कि यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना रेलवे का दायित्व है। ट्रेन रवाना होने के 12 घंटे बाद कोच में पानी खत्म हुआ है जबकि रास्ते में भटिंडा स्टेशन पर पानी भरने की सुविधा होने के बावजूद ऐसा नहीं किया गया। आयोग ने इसे कर्मचारियों की लापरवाही व रेलवे की सेवा में कमी माना।
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