श्रीमहावीरजी में 24 साल बाद हुए पंचकल्याणक में प्रतिष्ठा के लिए बाहर के जिनालयों से भी प्रतिमाएं आई है। महोत्सव में 150 जिन प्रतिमाओं में आचार्य वर्धमानसागर और उनके श्रीसंघ ने मंत्र फूंककर सिद्ध किया है। जैन धर्म में प्रतिमाओं में भगवान के तत्व फूंकने की निर्धारित प्रक्रिया है। आचार्य प्रतिमाओं के कान में मंत्र फूंककर इनमें भगवान का तत्व फूंकते हैं। उल्लेखनीय है कि जिन मंदिरों में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं हो पाई है, उन्हें यहां महोत्सव स्थल पर लाकर रख दिया गया। इनमें प्राण-प्रतिष्ठा होने के बाद ये निज मंदिरों में ले गए हैं। इन 150 मूर्तियों का हुआ पंचकल्याणक भगवान महावीर मन्दिर में पद्मासन 24 तीर्थंकर, कमल मंदिर की 100 मूर्तियां नवग्रह अरिष्ठ निवारक जैन मंदिर सहित जयपुर, दिल्ली, आसाम, अलवर से भी प्रतिष्ठा के लिए कुछ मूर्तियां आई है। कुल 150 मूर्तियां आई है।
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