सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग और प्रयत्न संस्था करौली के संयुक्त तत्वाधान में मूविंग अहेड़ परियोजना के अन्तर्गत जर्मनी कॉरपनेशन व के.के.एस. के सहयोग से मंगलवार को होटल करौली इन में बाल संरक्षण के क्षेत्र में मीड़िया की भूमिका, कार्य और कर्त्तव्यों पर एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
प्रयत्न संस्था राजस्थान के एडवोकेसी ऑफिसर राकेश कुमार तिवाड़ी ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाल अधिकारिता विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई करौली के सहायक निदेशक आशीष सिंघल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों के संबंध में जारी सभी दिशा-निर्देशों की पूर्णतः पालना सुनिश्चित कराई जावें। बच्चों की काउंसलिंग करके समझाईस की जावें। जिससे कि समय रहते हुए किसी बच्चे के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं हो सके। कार्यक्रम विशिष्ट अतिथि आकाश वाणी करौली के जिला प्रभारी बांकेबिहारी शर्मा ने बताया कि आज के परिवेश में जिस तरह से सोशल मीड़िया बच्चों के माईन्ड में प्रवेश कर चुका है। वह बहुत खतरनाक स्थिति पैदा करता है। नाबालिक बच्चे बिना मोबाईल रह नहीं रहे है। जिसका परिणाम है कि बच्चों की आंखे खराब हो रही है और मानसिक तनाव झेल रहे है। इस संबंध में आमजन से अपील है कि बच्चों को सोशल मीड़िया व मोबाईल से दूर रखें। आकाशवाणी की ओर से भी समय पर बच्चों के विशेषज्ञों की ओर से जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है। सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार मीणा ने बताया कि प्रत्येक बच्चे के पहुंच में अधिकारी हो और बच्चा अपनी बात को खुलकर कह सकें। ऐसी व्यवस्था सरकार की ओर से की जा रही है। बच्चों की हैल्पलाईन नम्बर 1098 पर सूचना देंवे।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बाल संरक्षण विशेषज्ञ राकेश कुमार तिवाड़ी ने बताया कि नाबालिग बच्चों की किसी भी स्थिति में पहचान उजागर नहीं की जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति बच्चों की पहचान उजागर करता है, तो उसे किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) संशोधित अधिनियम, 2021 की धारा 74 के तहत सजा व जुर्माने का प्रावधान दिया गया है। उन्होंने ने बताया कि राजस्थान सरकार की ओर से सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए राजस्थान स्ट्टी चिल्ड्रन नीति, 2022 जारी की गई है। इस अवसर पर प्रयत्न संस्था के राज कुमार गौड़ व रमेश मीणा आदि उपस्थित थे।
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